त्याग और सेवा भारत के आदर्श

प्रत्येक राष्ट्र का गुण धर्म होता है और भारत का गुण धर्म अध्यात्म है तथा इसके आधार त्याग और सेवा है| प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र के इन मूल्यों से आपस में जुड़ा हुआ है तथा व्यक्ति से परिवार, समाज व राष्ट्र की संकल्पना को साकार कर रहा है ।भारत का यह सूत्र ही संपूर्ण विश्व को बांधने का कार्य करता है तथा व्यक्ति का समष्टि में विस्तार ही उसके मन के आनंद का सूत्रपात करता है । स्वामी विवेकानंद कहते हैं विस्तार ही जीवन है तथा संकुचन मृत्यु है। योग अभ्यास के द्वारा मन का विस्तार होता है तथा मन की जीवंतता व्यक्ति की सफलता का आधार बनती है। उक्त विचार विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रांत के प्रशिक्षण प्रमुख डॉ स्वतंत्र शर्मा ने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर एलआईसी कॉलोनी वैशाली नगर में चल रहे योग सत्र के तीसरे दिन व्यक्त किए ।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में समाज से योगक्षेम प्राप्त करके ही विकसित होता है और जब वह कर्म करने के योग्य बनता है तब कर्म फल प्राप्ति के पश्चात उसका कुछ अंश यज्ञ के रूप में समाज को लौटाना ही धर्म चक्र कहलाता है
योग सत्र समन्वयक डॉ श्याम भूतड़ा ने बताया आज शिथिलीकरण के अभ्यास मनोज बीजावत द्वारा कराए गए तथा सूर्य नमस्कार का अभ्यास राकेश शर्मा ने कराया। सत्र के दौरान राखी वर्मा एवं कुशल उपाध्याय का भी सहयोग रहा। लक्ष्मी चंद मीणा द्वारा योगाभ्यास एवं सूर्य नमस्कार का प्रदर्शन किया गया।

भारत भार्गव
प्रचार प्रसार प्रमुख

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