यज्ञ की संकल्पना ही योग

शहीद भगतसिंह उद्यान में चल रहा योग प्रशिक्षण

मनुष्य जन्म प्राप्ति के बाद व्यक्ति जब तक अपना कर्म स्वयं करने में सक्षम नहीं बनता तब तक वह समाज एवं परिवार से योगक्षेम प्राप्त करता है किंतु जब वह कर्म करने योग्य बन जाता है और कर्मफल प्राप्ति के उपरांत उस कर्मफल का एक अंश समाज एवं परिवार को पुनः लौटाने लगे तो यह यज्ञ कहलाता है। आज समाज में इस यज्ञ के अनवरत चलने की आवश्यकता है। योग व्यक्ति के मन का विस्तार है तथा यह विस्तार त्याग और सेवा के माध्यम से आध्यात्म को जीवन में अपनाने से ही संभव है। भारत सदैव ऋषि एवं कृषि संस्कृति का अनुगामी रहा है और भारत ही विश्व को योग का सही ज्ञान देने में सक्षम है और विश्व भी भारत से यही अपेक्षा रखता है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र के प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख डाॅ0 स्वतन्त्र शर्मा ने शहीद भगतसिंह उद्यान में चल रहे योग एवं प्राणायाम प्रशिक्षण सत्र के तीसरेे दिन के सत्र में व्यक्त किए।
योग सत्र समन्वयक डाॅ0 भरत सिंह गहलोत ने बताया कि आज के अभ्यासों में शिथलीकरण का अभ्यास विस्तार संचालक डाॅ0 श्याम भूतड़ा ने कराया। उन्होंने बताया कि योग सत्र के स्थापन एवं संचालन में
अनीता गुप्ता , डॉक्टर अशोक मित्तल , महेंद्र काबरा अंकुर प्रजापति , लक्ष्मी चंद मीणा , शशी गहलोत की टीम सक्रिय रूप से सहयोग कर रही है।

*(भारत भार्गव)*
प्रचार प्रमुख
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी
शाखा अजमेर

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