पाठ्यक्रम में बदलाव कांग्रेस सरकार की संकीर्ण मानसिकता का परिचायक

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 17 मई। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री एवं विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने जौहर को सती प्रथा बताकर स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम से बाहर करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि जिसे सती प्रथा और जौहर में अंतर व इतिहास का ज्ञान नहीं है, वह शिक्षा मंत्री रहने के योग्य नहीं हंै।
देवनानी ने शुक्रवार को जारी इस आशय के बयान में कहा कि जौहर राजस्थान के इतिहास, शौर्य और बलिदान से जुड़ा विषय है, जिसे सती प्रथा से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। लेकिन प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा द्वारा जौहर को सती प्रथा बताकर स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम से बाहर करना ना केवल उनके ज्ञान, बल्कि कांग्रेस की मानसिकता को भी दर्शाता है। वीर और वीरांगनाओं के बलिदान का अपमान कर कांग्रेस सरकार अपने आलाकमान की चाटुकारिता करने में निम्न स्तर पर आ चुकी है। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ के शौर्य और बलिदान की गाथा महाराणा प्रताप और रानी पद्मिनी के जौहर पर ही टिकी है। लेकिन अशोक गहलोत सरकार ने आठवीं अंग्रेजी की किताब के कवर पेज से पद्मिनी के जौहर की तस्वीर हटाकर प्रदेश के गौरवशाली इतिहास का अपमान किया है।
देवनानी ने डोटासरा के इस बयान को हास्यास्पद बताया है कि जौहर सती प्रथा है और सती प्रथा पर प्रतिबंध है। इसलिए छात्रों को नहीं पढ़ाया जा सकता है। देवनानी ने कहा कि सती प्रथा पर प्रतिबंध है, यह बात सभी को मालूम है, लेकिन जौहर को सती प्रथा से जोड़कर बिल्कुल भी नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ किले में रानी पद्मिनी के रानियों के साथ जौहर पर तो हर साल चित्तौड़ में जौहर मेला आयोजित किया जाता है और रानी पद्मिनी की पूजा की जाती है। सरकार के इस निर्णय से जौहर मेला आयोजित करने वाला जौहर स्मृति संस्थान खफा है।

यह अंतर है जौहर और सती प्रथा में
दरअसल जौहर और सती प्रथा अलग-अलग है और दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। जौहर वीरांगनाओं के बलिदान की कहानी है। लेकिन सरकार जौहर और सती प्रथा में अंतर नहीं कर पा रही है। कालांतर में पति की मृत्यु होने पर विधवा महिला पति के साथ चिता में जल जाया करती थी। चूंकि हर विधवा महिला को जीने का हक है, इसलिए इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जबकि रानी पद्मिनी ने आक्रांताओं से अपने सतीत्व और शील की रक्षा के लिए रानियों के साथ जौहर किया था। जौहर करते समय भी रानी पद्मिनी और अन्य रानियों ने युद्ध में अपने पतियों की रक्षा की प्रार्थना की थी।

भावी पीढ़ी इतिहास की जानकारी से रह जाएगी वंचित
देवनानी ने कहा, सरकार के निर्णय से क्या यह मान लिया जाए कि चित्तौड़गढ़ के शौर्य का इतिहास तो पढ़ाया जाएगा, लेकिन पद्मिनी का जौहर छात्र नहीं पढ़ पाएंगे। यदि ऐसा होता है तो भावी पीढ़ी इतिहास के इस महत्वपूर्ण विषय को जानने से वंचित रह जाएगी। सरकार का यह निर्णय प्रदेश के गौरवशाली और बलिदानी इतिहास को अपनी संकीर्ण मानसिकता से बदलने का है, जो कांग्रेस सरकार के निम्न स्तर को साफ दर्शाता है।

अब तो मंत्री ही भिड़ने लगे
देवनानी ने कहा है कि परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने डोटासरा द्वारा स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में बदलाव करने पर नाराजगी जताई है। खाचरियावास ने डोटासरा को नसीहत भी दी है कि वे पहले इतिहास की जानकारी करें और उसके बाद बदलाव की सोचें। खाचरियावास ने भी जौहर और सती प्रथा में अंतर बताते हुए कहा है कि केवल किताबों में पाठ्यक्रम के पन्ने बदलने से इतिहास नहीं बदल जाता है। देवनानी ने कहा कि डोटासरा को अपनी ही सरकार के मंत्री की नसीहत से सीख लेते हुए पाठ्यक्रम में किसी तरह का बदलाव करने से बचना चाहिए अन्यथा प्रदेश की जनता और इतिहास की जानकारी से वंचित रहने वाली भावी पीढ़ी उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।

सरकार की स्थिति स्पष्ट करें गहलोत
देवनानी ने कहा है कि जब पाठ्यक्रम में बदलाव के मुद्दे पर प्रदेश के दो मंत्री भिड़ रहे हैं और कांग्रेस के पूर्व सांसद गोपालसिंह ईडवा भी जौहर को पाठ्यक्रम से बाहर करने पर गहरी नाराजगी जता रहे हैं, तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं में अपनी ही सरकार के कामकाज और राजनीतिक नजरिए से बदलाव को लेकर तकरार चल रही है, उससे यह बात साबित हो रही है कि मुख्यमंत्री का अपने मंत्रियों पर कोई नियंत्रण नहीं है।

यह बयान भी संकीर्ण मानसिकता
देवनानी ने गणित की किताब को लेकर डोटासरा द्वारा दिए गए इस बयान में बेहद शर्मनाक और हास्यास्पद बताया है कि गणित की किताब से केवल पकौड़े तलने वाले तैयार होंगे। उन्होने डोटासरा को सलाह दी है कि वे पहले खुद किताबें पढ़ें और उसके बाद किसी किताब या पाठ्यक्रम में बदलाव करने की सोचें। यदि इतिहास और गणित की जानकारी नहीं है, तो पहले ज्ञान हासिल करें। लेकिन बिना सोचे-समझे केवल राजनीतिक द्वेषता और नजरिए से किसी भी किताब या पाठ्यक्रम में बदलाव करना कांग्रेस सरकार की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। डोटासरा का यह बयान प्रदेशभर के विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और गणित की पढ़ाई कर देश-विदेश में सेवाएं दे रहे इंजीनियरों और वैज्ञानिकों का अपमान है, जिसे प्रदेश की जनता कभी नहीं सहेगी।

सुधारों के परिणाम अब आने लगे
देवनानी ने कहा कि प्रदेश में भाजपा के शासनकाल में शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए कदम उठाए गए, जिनका ही नतीजा है कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का परीक्षा परिणाम उत्कर्ष हुआ है। सरकारी स्कूलों के परिणाम का प्रतिशत निरंतर बढ़ रहा है। जिस प्रदेश को देशभर में शिक्षा के सुधारों, गुणवत्तापूर्ण एवं गुणात्मक शिक्षा के लिए द्वितीय स्थान मिला हो, तो उस प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री का इस तरह बचकाना बयान देना प्रदेश की जनता और विद्यार्थियों का अपमान ही है।

लाइन छोटी नहीं, लम्बी करें
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार को राजनीतिक नजरिए से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। भाजपा के शासनकाल में शिक्षा सहित अन्य सभी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण और गुणात्मक सुधार के लिए उठाए गए कदमों को रोकने की बजाय आगे बढ़ाना चाहिए। इससे न केवल इन सुधारों और कदमों का जनता को लाभ मिलेगा, बल्कि प्रदेश भी तरक्की करेगा और भावी पीढ़ी शिक्षा की दृष्टि से मजबूत तैयार होगी। यह पीढ़ी आगे चलकर देश के चहुंमुखी विकास में भागीदार बनेगी।

इन्दौर से लोटे देवनानी
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री एवं विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी आज इन्दौर से अजमेर लोटे। देवनानी भाजपा नेतृत्व के निर्देश पर 12 मई को इन्दौर संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी के पक्ष में प्रचार-प्रसार के लिए गये थे।
देवनानी ने इन्दौर व उज्जैन संसदीय क्षेत्र में राजस्थान मूल के निवासियों व विभिन्न समाजों के लोगों से सम्पर्क कर भाजपा प्रत्याशियों के लिए समर्थन जुटाया। देवनानी ने बताया कि इन्दौर व उज्जैन संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी भारी मतों से विजयी होंगे।

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