बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय को नवीन स्थल पर शीघ्र स्थानान्तरित करें

अजमेर, 26 जून। जिला कलक्टर श्री विश्व मोहन शर्मा ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे नया बाजार में चल रहे बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय को शास्त्री नगर स्थित नवीन स्थल पर शीघ्र स्थानान्तरित करने की कार्यवाही करें।
जिला कलक्टर बुधवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित चिकित्सालय भवन स्थानान्तरित किए जाने के संबंध में आ रही समस्याओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि शास्त्री नगर स्थित भवन में चिकित्सालय संबंधी समस्त मूलभूत सुविधाएं शीघ्र उपलब्ध होगी। इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिए गए। जहा चरणबद्ध तरीके से कार्य करते हुए सुविधाएं उपलब्ध हो जाएगी।
बैठक में पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अजय अरोड़ा ने शास्त्री नगर के भवन में चिकित्सालय को स्थानान्तरित किए जाने के संबंध में आ रही समस्याओं की जानकारी दी।
बैठक में अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त श्री निशान्त जैन, नगर निगम की आयुक्त चिन्मयी गोपाल, अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री कैलाश चंद लखारा, राजकीय संग्रहालय अधीक्षक श्री नीरज त्रिपाठी सहित सार्वजनिक निर्माण विभाग, एडीए एवं नगर निगम के अधिकारीगण उपस्थित थे।

अभिभावक अपने बच्चों का खसरा रूबेला का टीकाकरण अवश्य कराएं – जिला कलक्टर
अजमेर, 26 जून। जिला कलक्टर श्री विश्व मोहन शर्मा ने जिले के समस्त अभिभावकों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे अपने नौ माह से 15 वर्ष तक के बच्चों का खसरा रूबेला अभियान के तहत टीकाकरण आवश्यक रूप से कराएं। यह अभियान 22 जुलाई से आरम्भ होगा। जिसमें जिले के लगभग 8 लाख 50 हजार बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा।
जिला कलक्टर ने बताया कि खसरा एक जानलेवा एवं तीव्रगति से फैलने वाला अतिसंक्रामक रोग है। यह रोग प्रभावित रोगी द्वारा खांसने एवं छींकने से स्वस्थ बच्चों में फैलता है जिसके प्रभाव से बच्चें में निमोनिया, दस्त एवं मस्तिष्क से संक्रमण जैसी घातक बीमारियां उत्पन्न हो जाती है तथा ये बीमारियां नवजात शिशुओं एवं बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। इसी कारण प्रतिवर्ष 50 हजार बच्चे मृत्यु को प्राप्त हो जाते है।
इसी प्रकार रूबेला वायरस से गर्भावस्था के प्रारम्भ में महिला के संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है, जिससे गर्भपात एवं बच्चे के मृत जन्म की संभावना बढ़ जाती है। यदि बच्चा जीवित जन्म लेता है तो वह जन्म से ही बहरापन, अंधापन एवं हृदय की बीमारियों से ग्रसित होता है। यह विचारणीय है कि प्रतिवर्ष जन्मजात रूबेला सिंड्रॉम से लगभग 48 हजार बच्चे प्रभावित होते है।
उन्होंने बताया कि इन दोनो रोगों से बचाव का एक सशक्त माध्यम खसरा-रूबेला टीका है। यदि इसका टीकाकरण बचपन में ही करवा लिया जाए तो इसके प्रसार एवं गम्भीर खतरों को रोका जा सकता है। इन खतरों की रोकथाम हेतु ही यह अभियान 22 जुलाई 2019 से प्रारम्भ किया जाएगा। अभियान के प्रारम्भिक दो – तीन सप्ताह में सभी सरकारी व निजी विद्यालयों, मदरसों, आंगनबाड़ी आदि में बच्चें का टीकाकरण किया जाएगा। इसी प्रकार आगामी दो सप्ताह में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के आउटरीच/बाहृय सत्रों पर स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों, छूटे हुए बच्चों, ईंट -भट्टों, घुमंतू आबादी के बच्चें आदि का मोबाइल टीम द्वारा टीकाकरण किया जाएगा। अभियान के छठे सप्ताह में शेष / छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण करने के लिए इन गतिविधियों की आवश्यकतानुसार पुनरावृति की जाएगी अर्थात इसे पुनः दोहराया जाएगा।
उन्होंने सभी से आग्रह किया कि आप भी समाज के एक अभिन्न अंग है, इसलिए आपका भी यह दायित्व बनता है कि आप अपने बच्चों के साथ -साथ आपके आसपास में रहने वाले बच्चों के माता -पिता को इन अभियान के संबंध में अवगत करावें व निराश्रित बच्चों का भी टीकाकरण करवाकर जिले में अभियान के सफल संचालन एवं क्रियान्वयन में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें ताकि जिले में अभियान के लक्ष्य की शत प्रतिशत प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके।

पशु क्रूरता रोकने के लिए जन जागरूकता जरूरी – अतिरिक्त जिला कलक्टर
अजमेर, 26 जून। जिला स्तरीय पशु क्रुरता निवारण समिति की बैठक बुधवार को अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री कैलाश चंद लखारा की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर ने कहा कि पशु क्रुरता रोकने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। इसके लिए जन जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। उन्होंने मुर्गियों को अमानवीय तरीके से लटका कर ले जाने को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के भी निर्देश दिए। पशु क्रूरता अधिनियम की जानकारी समिति के सभी सदस्यों को देने के लिए पीपीटी तैयार कर आगामी बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए गए।
बैठक में पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अजय अरोड़ा ने गत बैठक कार्यवाही की अनुपालना के साथ ही पशु क्रूरता अधिनियम तथा जन जागरूकता के लिए किए गए कार्यों की जानकारी दी।
इस मौके पर समिति के सदस्य महंत शिवरतन शरण, अमर सिंह राठौड़, श्रीमती राजकुमारी शर्मा, श्री सुकान्त जैन एवं धीरज शर्मा ने सभी सदस्यों के परिचय पत्र का नवीनीकरण किए जाने की आवश्यकता बतायी। साथ ही उन्होंने पशु क्रूरता रोकने के उपायों पर भी सुझाव दिए।

बैठक में उप पुलिस अधीक्षक यातायात श्री जाजू, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती दर्शना शर्मा सहित वन, नगर निगम के अधिकारी उपस्थित थे।

बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ योजना के संबंध में बैठक गुरूवार को
अजमेर, 26 जून। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं योजना के सफल एवं सुव्यवस्थित संचालन के लिए जिला कलक्टर श्री विश्व मोहन शर्मा की अध्यक्षता में जिला स्तर पर गठित जिला टास्क फोर्स समिति की बैठक गुरूवार 27 जून को प्रातः 11 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित की जाएगी। महिला अधिकारिता उप निदेशक श्री जितेन्द्र शर्मा ने यह जानकारी दी।

किसानों से फॉर्म पोण्ड के लिए आवेदन आमंत्रित
आर.ए.सी.पी. परियोजना क्षेत्र में फार्म पॉण्ड निर्माण को मिलेगा प्रोत्साहन
अजमेर, 26 जून। राज्य सरकार ने राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक परियोजना के तहत जिले में पीसांगन ब्लाक की 22 पंचायतों के 44 गांवो में विश्व बैंक के वित्त पोषण से संचालित योजना में फॉर्म पॉण्ड के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।

कृषि उप निदेशक श्री वी.के.शर्मा ने बताया कि ऎसे कृषक जिसके नाम कृषि योग्य भूमि है एवं फार्म पॉण्ड हेतु पर्याप्त पानी की आवक हो वे योजना में आवेदन कर सकते हैं। इन किसानों की भूमि परियोजना क्षेत्र के नक्शे की बाउण्ड्री में आना आवश्यक है। किसानों को कृषक एम.टी. जी. (मल्टी टास्क ग्रुप) का सदस्य हाना भी जरूरी है। कृषक के परिवार में पूर्व मे किसी परियोजना से फार्म पौण्ड हेतु अनुदान नहीं लिया गया हो। ऎसे किसान फार्म पॉण्ड निर्माण के लिए पात्र होंगे।

उन्होंने बताया कि कृषक निर्धारित आवेदन पत्र, जामबन्दी, नजरी नक्शा, फोटा युक्त पहचान पत्र के साथ परियोजना क्षेत्र में कार्यरत एनजीओ (स्टूडेन्ट रिलिफ सोसायटी पीसांगन) के माध्यम से आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। पात्र प्रस्ताव पर ग्राण्ट एग्रीमन्ट का निष्पादन कृषक एवं परियोजना के मध्य करते हुए निर्माण हेतु प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जायेगी। जिसके पश्चात कृषक स्वंय के संसाधनों से निर्धारित मापदण्डानुसार फार्म पॉण्ड का निर्माण कर सकता है।

उन्होंने बताया कि वर्षा जल के सरंक्षण हेतु परियोजना क्षेत्र में वर्ष 2018-19 में 11 फार्म पॉण्ड का निर्माण हुआ था। फार्म पॉण्ड निर्माण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से भूस्वामित्व क्षेत्रफल में शिथिलता प्रदान की गई है। अब कृषि जोत का आकार छोटा होने एवं क्षेत्र में पर्याप्त पानी की आवक के मध्यनजर एक स्थान पर 0.5 हैक्टर से कम कृषि भूमि वाले एवं परियोजना क्षैत्र की बाउण्ड्री मे आने वाले कृषक भी फार्म पॉण्ड का निर्माण कर सकते हैं। पूर्व मे कृषक के नाम एक स्थान पर न्यूनतम 0.5 हैक्टर कृषक योग्य भूमि का होना आवश्यक था।

उन्होंने बताया कि 1200 घन मीटर अधिकतम भराव क्षमता आकार के फॉर्म पोण्ड निर्माण पर ईकाई लागत दर का लघु व सीमांत श्रेणी के कृषको को 90 प्रतिशत तथा अन्य श्रेणी के कृषको को 80 प्रतिशत तक सहायता देय है। बिना जियोमेमम्बि्रन के लघु/सीमान्त श्रेणी कृषकों को 90 प्रतिशत सहायता के तहत अधिकतम राशि रु. 94500/- तथा जियोमेमम्बि्रन (एच.डी.पी.ई शीट) बी.आई.स अनुमोदित 500 अथवा 300 माइक्रोन के साथ राशि रु. 135000/- देय है। जबकि अन्य श्रेणी के कृषकों को बिना जियोमेमम्बि्रन के 80 प्रतिशत सहायता राशि रु. 84000/- व जियोमेमम्बि्रन के साथ राशि रु. 120000/- देय है।

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