प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर सरकार नहीं है गंभीर

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर/अजमेर, 18 जुलाई। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार पर प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया। देवनानी ने यह आरोप विधान सभा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की अनुदान मांगों पर पर चर्चा में भाग लेने के दौरान लगाया।
देवनानी ने कहा कि आज हमारा प्रदेश स्वास्थ्य की दृष्टि से देश मेे 16वें पायदान पर है। राज्य में चिकित्सा व्यवस्थाओं में सुधार एवं विस्तार किये जाने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चाहे सरकार किसी भी दल की हो परन्तु आमजन को स्वस्थ रखना और उनके ईलाज की अपेक्षित व्यवस्थाएं करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि सरकार चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर कितनी गंभीर है यह इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि पिछली बार जब भाजपा की सरकार बनी थी तो 2014-15 में चिकित्सा के बजट में 121 प्रतिशत की वृद्धि कर 3953.99 से 8729.82 करोड किया गया था जबकि इन्होंने वर्तमान बजट में मात्र 6717 करोड का प्रावधान रखा है।

चिकित्सा मंत्री को हनुमानजी की तरह अपनी शक्तियों का नहीं एहसास, केकड़ी ही नहीं पूरे अजमेर की ले सुध-
देवनानी ने कहा कि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा जी के खुद के जिले का जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय आज वेंटीलेटर पर है। उन्होंने कहा कि मंत्री जी को हनुमान जी की तरह अपनी शक्तियों का अहसास ही नहीं है वो तो सिर्फ केकेड़ी के चिकित्सालय की व्यवस्था तक ही सीमित रहते है। उन्होंने कहा कि मंत्री जी अपनी शक्तियों को पहचाने व उनका पूरा उपयोग करते हुए जलाने चिकित्सालय सहित अजमेर जिले के अन्य चिकित्सालयों की भी सुध ले। अजमेर को 11 वर्षो से मेडीसिटी का सपना दिखाया जा रहा है। स्वंय मंत्री जी ने इसकी घोषणा की परन्तु बजट इसके बारे में मौन है।
उन्होंने कहा कि जलाने चिकित्सालय की एक मात्र सीटी स्केन अपनी क्षमता से अधिक कार्य कर चुकी है तथा आगे कार्य करने योग्य नहीं रही। इसी प्रकार यहां पर मात्र 2 सोनोग्राफी मशीने उपलब्ध है जिससे मरीजों को जांच के लिए 7 से 10 दिन बाद तक का समय मिलता है। उन्होंने मंत्री से आग्रह किया कि 2 नई सीटी स्केन व 2 सोनोग्राफी मशीने ओर लगाई जानी चाहिए। उन्होने केज्यूल्टी वार्ड में ब्मदजतंस वगलहमद ेलेजमउ तथा ब्मदजतंस ेनबापदह ेलेजमउ तथा एक्स-रे की सुविधा नहीं होने से यहां आने वाले गंभीर मरीजों को हो रही कठिनाईयों का भी जिक्र किया।
उन्होने जलाने चिकित्सालय में अधिकांश वेंटीलेटर खराब होने का विषय उठाते हुए कहा कि श्वास रोगियों के लिए आवश्यक वेंटीलेटर खराब होने से टीबी वार्ड का आईसीयू तो बन्द पड़ा है। मेडिकल आईसीयू व यूरोलाॅजी विभाग की हालत भी वर्तमान में चिंतनीय बताई जहां पर ए.सी खराब पड़े है, कूलर आदि की अन्य कोई व्यवस्था नहीं है। वर्तमान में डिजीटल एक्स रे व दन्त एक्स रे की फिल्में नहीं है जिससे मरीजों को मजबूरन निजी केन्द्रों से जांच करानी पड रही है।
उन्होंने अजमेर के जनाना अस्पताल में लेब नहीं होने का विषय रखते हुए कहा कि आवश्यक जांच के लिए सैम्पल लेकर जलाने चिकित्सालय जाना पड़ता है। रात के समय बाहर के मरीज को जनाना अस्पतला से जलाने चिकित्सालय तक जांच हेतु सेम्पल ले जाने में बहुत कठिनाई होती है।
उन्होंने चिकित्सा मंत्री जी से आग्रह किया कि जलाने मेडिकल काॅलेज में न्यूरोलाॅजी, यूरोलाॅजी व गेस्ट्रोएन्ट्रोलाॅजी विभाग में एम.सी.एच. कोर्स प्रारम्भ कराया जाना चाहिए जिससे इन विभागों में अधिक चिकित्सक उपलब्ध हो सकेंगे। उन्होंने जलाने चिकित्सालय के विभिन्न विभागों में चिकित्सकों के स्वीकृत 322 पदों में से 149 पद वर्तमान में रिक्त होने को चिन्ता का विषय बताते हुए सरकार से आग्रह किया कि वे यहां की ओर भी ध्यान दे।
देवनानी ने अजमेर को प्रदेश के केन्द्र में स्थित होने से यहां पर राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय खोले जाने की मांग भी रखी जिससे बीएएमएस करने के इच्छुक विद्यार्थियों को अधिक अवसर मिल सके तथा क्षेत्रवासियों को आयुर्वेद के विशेषज्ञों का लाभ भी मिल सके।

45 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त, कैसे चलेंगे नये क्लिनिक –
उन्होंने प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में लगभग 45 प्रतिशत से अधिक चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे है जबकि सरकार ने बजट में क्षेत्र की गली-मौहल्लों में जनता क्लिनिक खोले जाने की घोषणा की है साथ ही 5 नये ट्रोमा सेंटर भी खोले जाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि ये खुलने चाहिए परन्तु सरकार चिकित्सकों की व्यवस्था तो करे। प्रदेश में पूर्व से ही संचालित ट्रोमा सेंटर्स का विशेषज्ञ चिकित्सकों व संसाधनों के अभाव में बुरा हाल है। अजमेर का ट्रोमा सेंटर तो एक आर्थोपेडिक वार्ड बन कर रह गया है।

गत भाजपा सरकार के सुधारात्मक प्रयासों से घटी शिशु व मृत्यु दर-
देवनानी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि वर्ष 2012 में शिुशु मृत्यु दर 1000 जन्म पर 49 थी जो वर्तमान में ैत्ै 2017 के अनुसार 38 है। इसी प्रकार ैत्ै 2010-12 के अनुसार मातृ मृत्यु दर प्रति लाख 255 थी जो कि वर्तमान में ैत्ै 2014-16 के अनुसार 199 है। उन्होंने कहा कि यह नियंत्रण हमारी सरकार द्वारा टीकाकरण कार्यक्रमों के सफल आयायेजन व गंभीर बीमारियों से सुरक्षा के लिए किये गये सुधारात्मक प्रयासों का ही परिणाम है जबकि वर्तमान में टीकाकरण का 85 प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं होने से केन्द्र ने प्रदेश को मिलने वाले 500 करोड़ पर रोक लगा रखी है।
उन्होंने सरकार द्वारा बजट में निःशुल्क दवाईया व जांचों की संख्या को बढ़ाने की घोषणा को जनहित का कदम बताते हुए कहा कि प्रदेश में फार्मसिस्ट के 17 हजार पदों की जरूरत है जबकि स्वीकृत 6646 है व उनमें भी 1736 पद रिक्त है एसी परिस्थिति में दवाईयों का समुचित वितरण कैसे हो पाएगा। इसी प्रकार जांचों की मशीने खराब होने से निःशुल्क जांचे नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि किसी को पेट दर्द होता है तो उसे सोनोग्राफी की तारीख 10 दिन बाद की मिलती है। ऐसे में निःशुल्क जांचों का लाभ मरीजों को कैसे मिले इसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए। उन्होंने प्रदेश के पेंशनर्स को श्वास, डायबिटीज, किडनी, हृदय, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाईयां सहाकारी उपभोक्ता भण्डार की दुकानों पर नहीं मिलने व बिलों का भुगतान समय पर नहीं होने से उन्हें हो रही परेशानी का विषय भी रखा।

चिकित्सा विभाग में व्याप्त है भ्रष्टाचार-
उन्होंने प्रदेश के चिकित्सा विभाग मंे व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा कि एस.एम.एस. हास्पीटल की लाईफ लाईन मंे लगी आग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। सत्ता के नजदीक के लोगो तक शक की सुई जाने के कारण इस मामले में आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। एन.एच.आर.एम. की 2500 पदों की नियुक्तियों का खेल सबके सामने है। प्रदेश में दवाईयों के 6000 से ज्यादा सैम्पल पेन्डिंग है तथा अल्सर, बुखार व सिरदर्द तक की दवाईयों के सैम्पल फेल हो रहे है। उन्होंने कहा कि अचानक अचानक दवाईयों के सेम्पल फेल व घटिया क्यों होने लगे। जनता को इनके सब कारण समझ में आते है।

एसएमएस की बिल्डिंग नहीं सुरक्षित-
देवनानी ने अस्पतालों भवनों की दुदर्शा के सम्बंध में बोलते हुए कहा कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस की बिल्डिंग 70-80 वर्ष पुरानी है जहां पर जगह जगह से प्लास्टर गिरना आमबात है व ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम लगभग नष्ट होने की स्थिति में है। बिल्डिंग की स्थिति जांचने के लिए एक एक्सपर्ट कमेठी एमएनआईटी की बनी थी जिसने अपनी रिपोर्ट में बिल्डिंग को असुरक्षित बताया है। उन्होंने कहा कि अजमेर के जलाने चिकित्सालय की बिल्डिंग की भी हालत लगभग ऐसी ही है। उन्होंने कहा कि गत सरकार द्वारा जयपुर में स्टेट केंसर इन्स्टीट्यूट 500 करेाड़ की लागत से बनवाया गया परन्तु कैंसर विभाग का स्टाफ वहां जाना नहीं चाहता, जिससे यह शुरू नहीं हो पाया है।
देवनानी ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन को लेकर कहा कि एक ओर गत वर्ष 21 जून को अन्र्तराष्टीय योग दिवस के अवसर पर कोटा में राज्य स्तरीय आयोजन किया गया जिसमें 1.05 लाख लोगो ने एक साथ योग किया जिसे वल्र्ड रेकार्ड घोषित किया गया परन्तु इस वर्ष कांग्रेस सरकार द्वारा योग दिवस पर मात्र खानापूर्ति की गई।
उन्होंने चिकित्सालयों की एक अत्यन्त ही गंभीर व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी प्रमुख अस्पतालों में केज्यूल्टी/इमरजेंसी में सीनियर डाॅक्टर बैठते ही नही। रात के समय ही नहीं चिकित्सालय समय के बाद भी अस्पताल पहुंचने वाले सीरियस पेशेन्ट रेजीडेन्ट डाक्टर के भरोसे ही रहते है। सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए।

मुख्यमंत्री के गृह जिले के अस्पताल भी कार्यवाहक अधीक्षक के भरौसे-
उन्हांेंन प्रदेश के मेडिकल काॅलेजो के अधीन आने वाले अस्पतालों में कार्यवाहक अधीक्षक लगे हुए होने का विषय उठाते हुए कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के गृह जिले जोधपुर के ही तीनों अस्पतालों महात्मा गांधी, उम्मेद, मथुरादास माथुर में ही कार्यवाहक अधीक्षक कार्यरत है तथा यही हाल एसएमएस व अजमेर सहित शेष स्थानों के है।

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