पर्यूषण पर्व महोत्सव की श्रृंखला में सुंगध दषमी व्रत सम्पन्न

अजमेर 08 सितम्बर 2019 – श्री 1008 पार्ष्वनाथ दिगम्बर जैसवाल जैन मंदिर कमेटी केसरगंज दस दिवसीय पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व महोत्सव की श्रृखंला में आज छठे दिन संुगध दषमी व्रत समाज की महिलाओं द्वारा पूर्ण हर्षोल्लास के साथ श्री 1008 पार्ष्वनाथ दिगम्बर जैसवाल जैन मन्दिर, महावीर मार्ग, केसरगंज, अजमेर के प्रांगण में धूमधाम के साथ मनाया गया।
यह जानकारी देते हुए प्रचार प्रसार संयोजक राकेष घीया ने बताया कि सर्वप्रथम प्रातः 6ः15 बजे शांतिधारा अभिषेक व संगीतमय पूजन विधान के साथ बड़े हषोल्लास के साथ महिलाओ ने अपने सुहाग की रक्षा के लिए जिनेन्द्र भगवान से प्रार्थना की तत्पष्चात् तत्वासूत्र वाचन हुआ। सांयकालिन कार्यक्रम मे रात्रि 8ः00 बजे सांगानेर से पधारे पंडित सत्यम जी द्वारा विषेष प्रवचन पर संयम धर्म पर धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए पंडित सत्यम जी ने कहा कि संयम का आषय है संकल्प पूर्वक समीचीनता के साथ मन-वचन-काय की प्रवृत्ति पर अंकुष लगाना। जो मृत्यु रूपी यम का संहार करने में समर्थ है वह है ‘‘संयम’’। जब यह आत्मा नये शरीर को धारण रकती है उसे जन्म तथा जब पूराने शरीर को छोड़ती है तो उसे मरण कहते है, इन जन्म-मरण के दुःख से छुटकारा दिलाने वाला संयम ही है। संयमित जीवन ही लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। दो किनारों के मध्य नियन्त्रित रहने वाली नहीं समस्त प्राणियों को तृषा प्यास को व संताप को शांत करती हुई सागर का रूप ले लेती हे यदि दोनो किनारों में से एक का भी उल्लंघन करती है तो वह संहारक और विनाषकारी बन जाती हे साथ ही अपने अस्तित्व को भी खत्म कर देती है। नदी की तरह ही हमारा जीवन तो संयम के तटों का सहारा लेकर आगे जाकर परमात्मा रूपी सागर में विलीन होता जाता है। यदि संयम की रक्षा करनी है तो संयमी के बीच में रहो। संयमी की संगति होने से संयम में वृद्धि होती है। उत्कृष्ट व्यक्तियों के मध्य रहने से तुम्हारे विचार भी उत्कृष्ट होंगे। मन-वचन काय की प्रवृत्ति संयमित होने पर जीवन में अनुपम उपलब्धि की प्राप्ति होती हे। हाथी स्पर्सन इन्द्रिय के कारण हथिनी आसक्त होने से बंधन में डाला जाता है, मछली श्वाद में आसक्त हो मछुआरे द्वारे जाल में फंसाई जाती है, भौर पुष्प की सुगन्धि में आसक्ति से और पंतगा, दीपक के प्रकाष में आसक्त होने से अपने प्राण गंवा देते है।
इसी क्रम में रात्रि 9ः00 बजे दिल्ली से आये मनोज शर्मा द्वारा लघु नाटिका ‘‘मतलब का संसार’’ नाटिका प्रस्तुत की गई जिसे श्रृद्धालुओं ने सराहना की।

राकेष घीया
प्रचार प्रसार संयोजक
मो. 9352000220

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