सांस्कृतिक कार्यक्रम को सांस्कृतिक भी बनाएं

*किशनगढ़ के ऐतिहासिक बालाजी मेले के अवसर पर एक तथाकथित सांस्कृतिक संस्था द्वारा हर वर्ष विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। जिसमें कवि सम्मेलन सहित अन्य कार्यक्रमों की एक श्रृंखला होती रही है। किन्तु हर बार संस्था द्वारा सँस्कृति के नाम पर पता नहीं कौनसी परम्परा का निर्वहन करते हुए फूहड़ नृत्य पेश कर बालाजी मेले के अवसर पर संस्कृति की धज्जियां उड़ाई जाती है। कहने को तो वो बालीवुड डान्स होता किन्तु वास्तव में उसका सम्बन्ध किसी ‘ए’ सर्टिफिकेट प्राप्त करने योग्य निम्न स्तर की फिल्म के गीत से होने का एहसास होता है।*

*फिर भी ऐसे कार्यक्रम को हमारा सभ्य समाज अब तक सहन करता आया है जिससे कला व संस्कृति के लिए विश्व में अपनी पहचान रखने वाले किशनगढ़ की आत्मा को सरेआम नोचा जाता है।* *किन्तु ऐसे कार्यक्रमों के विरोध में यहाँ कोई नहीं है। यह प्रसंग अभी इसलिए याद किया जा रहा है क्योंकि आने वाले दिनों में फिर से इसका दौहरान होने की संभावना है*। *इसलिए किशनगढ़ के आम आदमी को इसे रोकने की पहल करनी होगी ताकि भारी मन्दी का बहाना कर नगर के विकास के नाम पर हाथ खींचने वाले धन्नासेठों द्वारा ऐसे फूहड़ नृत्यों के लिए अपना खजाना दिल खोलकर लुटाने की प्रवृत्ति पर लगाम लग सके और सार्वजनिक रूप से संस्कृति के नाम पर इनको छूट नहीं मिले। इसके लिए नगर के सभी* *आम- ओ- खास को आगे आना पड़ेगा। खुश खबरी यह है कि उपखंड के दोनों आला अधिकारियों ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अब तक हुआ सो हुआ अब ये नहीं चलेगा। जिसकी बानगी आने वाले कार्यक्रमों की तैयारी बैठकों में आयोजकों को इस बात के लिए आगाह किया जाना है। इसके अतिरिक्त सीएलजी बैठक में* *नगर के माननीय लोगों ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि इस बार ऐसा हुआ तो आयोजकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। सुनकर खुशी हुई। इसलिए अब सभी को इसका खयाल रखना चाहिए जिसमें हर आम*- *ओ-खास की ड्यूटी बनती है क्योंकि “हंगामा करना मेरा मकसद नहीं, पर सूरत हर हाल में बदलनी चाहिए*। ”
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– *बिरदीचंद मालाकार*
*संपादक*
*अजितंजय समाचार मित्र*,
*किशनगढ़*
*सचिव मार्बल सिटी प्रेस क्लब किशनगढ़*

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