केकड़ी जिला अस्पताल में हिप रिप्लेसमेंट का बिगड़ा हुआ जटिल ऑपरेशन सफलता पूर्वक हुआ

तिलक माथुर
चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा के प्रयास रंग ला रहे हैं। केकड़ी में स्थित जिला अस्पताल जो कि डॉ शर्मा का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसमें बड़े-बड़े और जटील ऑपरेशन हो रहे हैं, वो भी ऐसे ऑपरेशन जो अजमेर जिला मुख्यालय पर स्थित जेएलएन अस्पताल में नहीं हो पा रहे। केकड़ी अस्पताल में कार्यरत ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ बालमुकुंद जेतवाल ने यह करिश्मा कर दिखाया है। वो भी उस मरीज का जिसने चार साल पहले ही भीलवाड़ा के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन कराया था लेकिन अपरिहार्य कारणों की वजह से वह सक्सेज नहीं हो पाया और जिसका लाभ मरीज को 25 सालों तक मिलना चाहिए था लेकिन वह 4 साल में ही फैल हो गया। मरीज नसीराबाद निवासी 53 वर्षीय कन्हैया लाल ने दो महीने पूर्व दर्द बढ़ने व एक पैर छोटा होने पर भीलवाड़ा के निजी अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टरों ने वापस ऑपरेशन करने की सलाह दी और बताया कि इस ऑपरेशन में करीब साढ़े तीन लाख रूपये का खर्चा आएगा, नसीराबाद में मिठाई की दुकान चलाने वाला मरीज कन्हैया लाल भारी खर्चे की सुनकर परेशान हो उठा और अपने नसीब को कोसने लगा। उसने अजमेर जेएलएन अस्पताल के डॉक्टरों को दिखाया लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने बिगड़े हुए इस केस को लेने से मना कर दिया तथा जयपुर जाने की सलाह दी। बाद में मरीज को किसी ने बताया कि आप केकड़ी अस्पताल में संपर्क करो वहां भी एक अच्छे सर्जन है। आखिर मरीज केकड़ी अस्पताल पहुंचा और यहां ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ जेतवाल से मिला। बाद में कल उसका यहां डॉ जेतवाल द्वारा साढ़े तीन घण्टे के प्रयासों के बाद सफल ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन में एनस्थीसिया चिकित्सक डॉ अपर्णा जैन, नर्सिंग स्टाफ मदनलाल आलोरिया, सतीश यादव, रमेश शर्मा व वार्ड बॉय रामगोपाल का भी सराहनीय सहयोग रहा। आज मरीज स्वस्थ व खुश है और चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा व ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक डॉ जेतवाल को दुआएं दे रहा है। मेरा यहां यह सब लिखने का आशय किसी की शान में कसीदे पढ़ना नहीं है, बल्कि लोगों तक हकीकत पहुंचाना है। अस्पताल में बहुत से डॉक्टर ऐसे हैं जिन्हें मरीजों की चिंता रहती है और वे पूरी कर्तव्यनिष्ठा से काम कर रहे हैं, जिससे मरीजों को लाभ मिल रहा है वहीं चिकित्सा मंत्री का यह ड्रीम प्रोजेक्ट सफलता की ऊंचाइयों की ओर कदम बढ़ा रहा है। मगर कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं जो न केवल अपने हितों को साधने में लगे हैं तथा चिकित्सा मंत्री डॉ शर्मा के सपने को दूषित करने की चेष्टा कर रहे हैं, और ऐसे डॉक्टर्स को एक मास्टर माइंड ने पनाह दे रखी है जिनके वरदहस्त की वजह से वे डॉक्टर केवल मंत्री जी के सामने अच्छा दिखने की कोशिश कर रहे हैं। इन डॉक्टर्स में चिकित्सा प्रभारी डॉ गणपतराज पुरी प्रमुख हैं। ज्ञात रहे ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ बी.एम. जेतवाल को गत महीनों इन्ही चिकित्सा प्रभारी डॉ पुरी की मनमानी का शिकार होकर एक माह तक एपीओ रहना पड़ा था। खैर मंत्री जी का शुक्रिया की उन्होंने मामले की गम्भीरता समझी और एक अच्छे व कुशल डॉ जेतवाल को भी सुना और उनका दोष न पाए जाने पर जनहित व अस्पताल हित में उन्हें पुनः केकड़ी अस्पताल में तैनात किया। यही वजह है कि आज बड़े-बड़े जटिल ऑपरेशन केकड़ी अस्पताल में हो रहे हैं और केकड़ी क्षेत्र के ही नहीं पूरे जिले के मरीज लाभान्वित हो रहे हैं साथ ही चिकित्सा मंत्री के सपने को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। मगर अब भी कुछ डॉक्टर्स ऐसे हैं जिनकी वजह से केकड़ी जिला अस्पताल बदनाम हो रहा है वहीं मरीजों को भी उन अव्यवस्थाओं का शिकार होकर बेवजह खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, जबकि चिकित्सा मंत्री इस अस्पताल में जिला स्तर की चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं। कल ही का ताजा उदाहरण है। कल शाम को केकड़ी अस्पताल में निकटवर्ती ग्राम सांकरिया की एक महिला की डॉ मनमोहन मीणा ने प्री मैच्योर डिलवरी कराई। डिलवरी के कुछ घण्टों बाद ही महिला तेज बुखार में तपने लगी मरीज के रिश्तदारों ने अस्पताल में तैनात डयूटी डॉक्टर को कहा कि मरीज की हालत खराब है उसे तेज बुखार है उसे देखिए लेकिन डॉक्टर ने कोई सुनाई नहीं की बाद में महिला की हालत और बिगड़ गई और उसे तान आने लगी। इस पर परिजनों ने डिलवरी करने वाले डॉ मनमोहन मीणा से भी सम्पर्क किया उन्होंने कहा कि डयूटी पर तैनात डॉक्टर से कहो वे देखेंगे। इस पर मरीज के परिजन वापस नाइट ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर के पास गए और डॉक्टर से आग्रह किया कि मरीज की हालत गम्भीर है। इस पर डॉक्टर ने कहा कि हमारे पास रोजाना दो हजार मरीज आते हैं किस-किस को देखें। डॉक्टर से जी हुजूरी यह घटनाक्रम रात दस बजे तक चलता रहा लेकिन निर्दयी डॉक्टर ने एक नहीं सुनी। परिजनों के ज्यादा जिद करने पर मरीज को अजमेर रैफर कर दिया गया। रैफर के दौरान मरीज को ड्रीप लगाकर छोड़ दिया गया। मरीज व परिजन परेशान होते रहे और आखिर परेशान होकर मरीज को अजमेर ले जाने की तैयारी शुरू कर दी। वे मरीज को स्ट्रेचर पर लेकर अस्पताल के गेट पर एक घण्टे तक एम्बुलेंस की इंतजार में खड़े रहे। आखिर रात्री को 11 बजे एम्बुलेंस आई और परिजन मरीज को लेकर रात्रि साढ़े बारह बजे अजमेर जनाना अस्पताल पहुंचे और इलाज शुरू हुआ। आखिर ऐसे में चिकित्सा प्रभारी की जिम्मेदारी बनती है कि वे अस्पताल की ऐसी तमाम अव्यवस्थाओं पर नजर रखें। लेकिन नहीं उन्हें तो मास्टर माइंड ने कह रखा है कि में सब देख लूंगा। अस्पताल में इस प्रकार की आये दिन होने वाली अव्यवस्थाओं का आखिर कौन है जिम्मेदार। यह सब अस्पताल प्रभारी डॉ पुरी की अकुशल प्रशासनिक क्षमता का ही परिणाम है कि अस्पताल की व्यवस्थाएं बेलगाम हो रखी हैं। मेरा तो मास्टर माइंड से भी आग्रह है कि वे डॉ पुरी का मोह छोड़े और जनहित का ख्याल रखें तथा मंत्री जी तक जनता की आवाज पहुंचने दें उसे कुचलने की चेष्टा न करें वरना कहीं ऐसा न हो कि जनता को फिर से ढ़ोल बजाकर सरकार व प्रशासन की नींद उड़ानी पड़े। मेरे लिखने से कोई नाराज हो या राजी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता में तो बस सच्चाई लिखता रहूंगा चाहे परिणाम कुछ भी हो। कुछ लोग मेरे लिए कहते हैं कि में बाइज्ड होकर खबर लिखता हूं तो में उन लोगों को यह बता देना चाहता हूं कि में क्षेत्र के हितों पर कुठाराघात नहीं होने दूंगा। आमजन की पीड़ा व समस्या लिखना व जनता की आवाज सरकार व प्रशासन तक पहुंचाना हर खबरनवीस का कर्तव्य है और धर्म भी। कुछ लोग भले ही मंत्री जी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को दूषित करने के प्रयास कर उन्हें भृमित कर रहे हैं। मैंने कल की इस घटना की जानकारी व शिकायत मय प्रमाण मंत्री जी तक पहुंचाई है। मेरी मंत्री जी से गुजारिश है कि वे क्षेत्र की जनता व अस्पताल हित में ऐसे अकुशल प्रशासक डॉक्टर को यहां से नो दो ग्यारह करें व दोषी डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही करें ताकि क्षेत्र के लोगों व उनके ड्रीम प्रोजेक्ट इस अस्पताल का भला हो सके। अब किसी को बुरा लगे या भला में तो निरन्तर यूं ही आमजन की पीड़ा सरकार व प्रशासन तक पहुंचाता रहूंगा। आखिर निष्पक्ष पत्रकारिता का कर्त्तव्य व धर्म भी यही कहता है, ना रुकूंगा और ना बिकुंगा !

तिलक माथुर 9251022331*

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