जँगल वाले बाबा का देवलोक गमन

गुरुदेव 108 मुनि श्री चिन्मय सागर जी महाराज जँगल वाले बाबा का शाम 6.18 पर देवलोक गमन हो जाने पर समस्त जैन समाज मे शोक की लहर छा गयी । आज सुबह परम पूज्य मुनि श्री चिन्मय सागर जी जंगल वाले बाबा के पास डाक्टर की टीम जाँच करने आयी तो डाक्टर ने मशीन लगाकर जाँच कर कन्नड़ भाषा में कहा कि महाराज की समाधि हो चुकी है तो महाराज जी ने सुन लिया आँख खोल कर डाक्टर का हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रखवाया व कहा कि चेक करो मैं जाग्रत हु डाक्टर चकित रह गये व कहा कि महाराज के न तो पल्स आ रहे हैं व नाडी देखने से पता चला कि नाडी में भी कोई धड़कन नहीं है, उन डाक्टर ने मीडिया चैनल पर इंटरव्यू में बताया Miracle आश्चर्य व चमत्कार है सिरफ दिमाग व दिल की धड़कन काम कर रही है।महावीर इंटरनेशनल अजयमेरु ने आज एक विनयांजलि सभा आयोजित कर विनियांजली दी। निवर्तमान अध्यक्ष अशोक छाजेड़ व वर्तमान अध्यक्ष कमल गंगवाल ने इस अवसर पर विनयांजलि प्रकट करते हुए कहा कि
जैन धर्म के प्रति इनके योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा।गंगवाल ने बताया कि जब ये त्याग ओर तपस्या करते थे तब इनके आस पास बड़े बड़े जंगली जानवर व पक्षी आकर बैठ जाते थे पर ये अपनी तपस्या में मगन रहते थे ये ज्यादा त्याग और तपस्या जंगलों में एकांत जगह पर करते थे ।इसलिये ये पूरे विश्व मे जंगल वाले बाबा के नाम से मशहूर थे इनका कई बार अजमेर भी आगमन हुआ । जैन धर्म को आगे बढ़ने में इनकी महती भूमिका रही है ।ईस अवसर पर अशोक जैन छाजेड़ कमल गंगवाल गजेंद्र पंचोली लोकेश सोजतिया,विजय पांड्या राजकुमार गर्ग राजेन्द्र ,रविन्द्र लोढ़ा,गौतम चन्द जैन,अनुराग जैन संयम गंगवाल आदि उपस्तिथ थे

*पूज्य मुनि श्री चिन्मय सागर जी का संक्षिप्त परिचय*_

*जन्म*:- ०६-०८-१९६१
*जन्म नाम*:- श्री धर्नेन्द्र कुमार जी जैन
*जन्म स्थान*:-जुगुल जिला बेलगाँव (कर्नाटक)
*माता का नाम*: -श्रीमती हीरादेवी मोले
*पिता का नाम*:- श्री अन्नपा मोले जी
*शिक्षा* :- हायर सेकंड्री
*ब्रह्मचर्य व्रत* :- सन १९८२
*संघ प्रवेश* :- ९ जुलाई १९८७ अतिशय क्षेत्र थुवोन जी
मुनि दीक्षा
*दीक्षा गुरू*:- संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी
*विशेष* :- आप जंगल में रहकर चतुर्थ कालीन मुनि की तरह चर्या करते थे…!!
*समाधि दिनांक*:- १८/१०/२०१९

कमल गंगवाल
9829007484

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