काव्य गोष्ठी में बही गीतों की रसधार

अजमेर/बुधवार 23 अक्टूबर की शाम शास्त्री नगर स्थित ऋतुचक्र में चित्तौड़ से आये राष्ट्रीय गीतकार रमेश शर्मा की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें परिवार और परिवेश को उकेरते मधुर गीतों की रसधार ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। गोष्ठी में अतिथि गीतकार भीलवाड़ा के नरेन्द्र दाधीच ने जब तुम्हारा खत मिला इतिहास की पुस्तक में और जीवन की बगिया में संग संग खेले हैं…….गीतों को तरन्नुम में गुनगुनाया। अध्यक्षता कर रहे रमेश शर्मा ने जब दिखोगी मालिन से बढ़ती कीमत पर झगड़ती तब मिलूंगा तुमसे और क्या लिखते रहते हो यों ही गीतों का सस्वर पाठ किया। उन्होंने जब लोकप्रिय मार्मिक गीत वो ही देहरी द्वार खिड़कियां तू बदली ना बदली मैं सुनाकर विवाह के निकट बिटिया के मनोभावों को उकेरा। पौराणिक विषयों के लेखक देवदत्त शर्मा ने वटवृक्ष बन छांव देती हूं….., बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने कोई तो ख्वाब उसने भी बुना होगा बहारों में….., कथाकार राजेश भटनागर ने डरता हूं ठुकरा न दो कहीं प्यार को…….., उमेश कुमार चौरसिया ने अहल्या के प्रसंग पर प्रश्न उठाते हुए ओ अहल्या तुम्हें दोषी ठहराने वाले महर्षि गौतम…..काव्य रचनाएं सुनायीं। व्यंग्यकार प्रदीप गुप्ता ने दुःखी आत्मा व्यंग्य का पाठ किया।

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