अजमेर के युवा-स्वर ने किया ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन

पूरे देश में जहाँ लोग घरों में बन्द रहने से परेशान हो रहे हैं वहीं अजमेर के युवा लेखन में समय बिता रहे हैं। अजमेर के युवा-स्वर ग्रुप में कल एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें रोहित राज यादव ने “मैं आवारा बादल हुँ”, नेहा जैन ने “हर वक्त युद्ध से जीत नही है मुमकिन”, अक्षय विजयवर्गीय ने ” एक नदी हमको जीने की कितनी कला सिखाती है”, शादाब शनिस ने “आंधियां चल रही है, संवेदना उबल रही है”, अक्षत गौड़ ने “झूठे हैं सारे पाठ तुम्हारे”, आशिष रुणवाल ने ये नुमाईशों का दौर है, वैशाली आसवानी ने “चेहरे मुखोटे हटा गए”,आयुषी मित्तल ने “जिंदगी ही तो है”,अमन ने ” जिंदगी मेरी बेरंग हो गयी”, देवांशी अरोड़ा ने “अहिंसा के मायने ” के माध्य्म से अपनी बात कही , कुणाल मेघवंशी ने “मुसाफिर है हम और सफर है ये जिन्दगी हमारी”, सुनील कुमार ने “सलीके ज़िन्दगी के हमें सिखाये जा रहे हैं”, माेहित महावर ने “कुछ बातें हैं जो अधूरी रह गयी ” आदि कविताएँ सुनायीं। वहीं नूपुर कश्यप ने एक लघुकथा ” उस सुबह, गयी रात के बाद” पढ़ी और मीना सोनी ने ” चमकते जुगनुओं के साये में, दिन तले अंधेरा है” कविता पढ़ तारीफ पायी ग्रुप के अन्य सदस्य जैसे दीप्ति चिनारिया,वंशिका, शीलू करारिया, रिया शर्मा, मुस्कान अग्रवाल आदि ने भी अपनी कविताओं से दाद पायी। गोष्ठी का संचालन “अजमेर के युवा-स्वर” के संयोजक गीतकार गौरव दुबे ने किया।

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