कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती के अनुसार शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर बताया है कि कोरोना पेनडेमिक संकट के मध्य नजर संपूर्ण देश के अभिभावकों द्वारा भारत सरकार से निजी स्कूलों की फीस आगामी 3 माह तक माफ किए जाने की निरंतर मांग की जा रही है। विगत 24 दिवस के लॉक डाउन के परिणाम स्वरूप देश के बड़े, मध्यम, लघु एवं कुटीर उद्योग बंद पड़े हैं। वहीं दूसरी ओर सभी दुकानदारों, स्ट्रीट वेंडरों, दिहाड़ी मजदूरों आदि के समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो चुका है। ऐसी स्थिति में निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को अपने बच्चों की फीस जमा करवाने हेतु दबाव डाला जाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के प्रतिकूल है। निजी स्कूलों द्वारा येन केन प्रकेण फीस वसूली का दबाव बनाने हेतु ऐसे छात्रों को ऑनलाइन क्लास शिक्षण बाहर रखने की धमकी देनी प्रारंभ कर दी है, जिनके द्वारा बकाया फीस अभी तक जमा नहीं करवाई गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि निजी स्कूलों का उक्त विशुद्ध व्यावसायिक रवैया निंदनीय है। किंतु इससे भी अधिक दुखद भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय का व्यवहार है। मानव संसाधन मंत्रालय एवं उनके मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा फीस माफी के नाम पर केवल स्कूल बस की फीस को माफ किया जाना देश की जनता के साथ धोखा है। क्योंकि जब विद्यार्थी पिछले 24 दिन से स्कूल गए ही नहीं तथा स्कूल बसों का संचालन ही नहीं हुआ तो फिर नैतिक आधार पर निजी स्कूलों को स्कूल बस फीस वैसे भी नहीं ली जानी चाहिए।
जहां राजस्थान सरकार सहित अनेक राज्य सरकारों द्वारा मकान मालिकों को अपने किरायेदारों से भवन किराया लिए जाने को निषेध कर दिया गया है। बिजली नियामक बोर्डो द्वारा बिजली के बिलों का स्थगन कर दिया गया है। किंतु निजी विद्यालयों द्वारा हर संभव तरीके से फीस की वसूली करना न्यायोचित नहीं है। तथा केंद्र सरकार द्वारा भी फीस माफी के नाम पर केवल बस फीस माफ किया जाना यह दर्शाता है कि मानव संसाधन मंत्रालय निजी स्कूल प्रबंधन के सिंडिकेट के हितों की पैरवी कर रहे हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि निजी स्कूल यह भी भूल चुके हैं कि एक-एक छोटे कमरों से प्रारंभ होने वाले स्कूलों की आज विशालकाय दिखने वाली बिल्डिंग वर्षों तक छात्रों से वसूले गए विकास शुल्क का ही परिणाम है। किंतु संकट में फंसे हुए उन्हीं अभिभावकों की स्कूल प्रबंधन को कोई चिंता नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने जांच की मांग करते हुए पत्र में लिखा कि यदि सरकार यह पड़ताल करें तो चौंकाने वाला यह तथ्य निकल कर सामने आएगा कि ऐसे निजी स्कूल जो फीस अप्राप्ति की स्थिति में अपने शिक्षकों को वेतन भुगतान में असमर्थता जताने वाले स्कूलों के नाम उनके बैंकों में लाखों रुपए के फिक्स्ड डिपॉजिट राशि मिलेगी। वास्तव में निजी स्कूलों के पास वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं है। बल्कि उनका लोभ ही उन्हें जबरन फीस वसूली के लिए प्रोत्साहित कर रहा है तथा केंद्र सरकार की भी इस संबंध में चुप्पी यह दर्शाती है कि सरकार भी इस लोभ के मायाजाल में फस चुकी है।
जिस प्रकार सरकार द्वारा सभी औद्योगिक इकाइयों से सामुदायिक विकास हेतु उनके लाभांश की 2 प्रतिशत राशि प्रतिवर्ष खर्च किया जाना नियम अंतर्गत अनिवार्य कर रखा है, उसी प्रकार इन निजी स्कूलों से भी हर वर्ष सामुदायिक विकास हेतु 2% धनराशि सरकार द्वारा ली जानी चाहिए।
खांग्रेस अध्यक्ष ने खुलासा किया कि लॉकडाउन में निजी स्कूल बंद हैं। इसका असर स्कूल के शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों पर पड़ने लगा है। ज्यादातर निजी स्कूलों ने अभी तक शिक्षकों को वेतन नहीं दिया हैं। अब स्कूल प्रबंधन कह रहे हैं कि वेतन तो देंगे लेकिन फिलहाल कटौती कर। लॉकडाउन होने के बाद जैसे ही सभी स्कूलों को बंद किये जाने के निर्दश दिये गए, कई स्कूलों की तरफ से अभिभावकों के पास फीस जमा करने के फोन पहुंचने लगे। साथ ही, अभिभावकों पर फीस जमा न करने को लेकर लेट फीस चार्ज लगाने से जैसे कई तरह के दबाव बनाए जाने लगे। इस संबंध में कई अभिभावकों ने विभाग से शिकायत भी की, जिसके बाद भी कई प्राइवेट स्कूल उन पर फीस जमा करने के लिए दबाव बनाते रहे। फिलहाल, स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी इस आदेश के बाद कोई भी स्कूल अभिभावकों पर फीस का दबाव बना रहे हैं।