महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व व कृतित्व को कमजोर करने का कांग्रेसी षड़यंत्र: देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 28 जून।
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व व कृतित्व को कमजोर करने का षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राजस्थान बोर्ड की दसवीं की सामाजिक विज्ञान व बारहवीं की इतिहास की पुस्तकों में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर महाराणा प्रताप व मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास को कलंकित करने का कार्य किया है।
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने रविवार को पत्रकारों से मुखातिब होकर कहा कि एतिहासिक तथ्यों के आधार पर गत भाजपा सरकार के समय प्रकाशित पुस्तकों की समीक्षा के लिए सरकार ने डाॅ. बी.एस. शर्मा के संयोजन में समीक्षा समिति गठित की जिसने बिना तथ्यों के आधार पर जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमें वर्ग विशेष के तुष्टीकरण की गंध आती है। समीक्षा समिति ने वामपंथी या फारसी इतिहासकारों व साहित्यकारों के आधार पर पुस्तकों में संशोधन किये है जबकि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की स्पष्ट जीत के कई प्रमाण मौजूद है किन्तु हैरत की बात है कि कांग्रेस सरकार इन्हें नहीं मानती।
महाराणा प्रताप की विजय के है कई प्रमाणिक स्त्रोत –
देवनानी ने कहा कि हल्दीघाटी युद्ध में भाग लेने वाले चारण कवि द्वारा रचित ‘‘झूलड़ा महाराणा प्रतापसिंहजी रा काव्य‘‘ जिसमें उन्होंने आॅखों देखा वर्णन लिखा है उसमें महाराणा प्रताप की स्पष्ट जीत का उल्लेख है। इसी प्रकार अकबर की सेना मेें भाग लेने वाले इतिहासकार अलबदायूनी की रचना ‘‘मुत्तखुबउत्ततवारीख‘‘ में भी महाराणा की जीत का तथा युद्ध के बाद अकबर सेना के निराश, हतोत्साहित व भयभीत होने का उल्लेख है।
उन्होंने कहा कि युद्ध के तीन वर्ष बाद खरपीणा गांव के शिलालेख व नो वर्ष बाद सुरपणखेडा गांव में टीकमबावजी मंदिर में उत्कीर्ण शिलालेख पर महाराणा प्रताप की जीत का स्पष्ट उल्लेख है। युद्ध के 43 वर्ष बाद रचित ‘‘राणा रासो काव्य‘‘ तथा संस्कृत भाषा में रचित ‘‘अमरकाव्य‘‘ में भी महाराणा की जीत का उल्लेख है।
देवनानी ने कहा कि युद्ध के बाद अकबर द्वारा मानसिंह व आसिफ खां से मिलने से मना कर दिया गया था जबकि जीत कर आने वालों का तो अभिनन्दन होता है। इसी प्रकार गोगुन्दा में अकबर की सेना ने खाईयां खोदकर छुपकर शरण ली तथा उनके भूखे मरने की नौबत आ गई थी जिन्होंने घोड़ो को मारकर अपनी भूख मिटाई। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों के आधार पर महाराणा प्रताप की जीत में कोई संदेह कहां रहता है। इसके अतिरिक्त उदयपुर स्थित जगदीश मंदिर के सभा मंडप में प्रवेश के स्थान पर दो श्याम पाषाण की शिलाओं में संस्कृत के शिलालेख के 41वें श्लोक तथा इतिहास से जुड़े डिंगल गीतों में भी हल्दी घाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत का उल्लेख मिलता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने इतिहास को मनमाने ढंग से तोड़-मरोड़कर पुस्तकों में काल्पनिक विवरण प्रस्तुत किया है जबकि महाराणा प्रताप की वीरता व देशप्रेम से प्रेरणा लेकर बंगाल के स्वतंत्रता सैनानियों ने आजादी की लड़ाई लड़ी तथा गणेशशंकर विद्यार्थी ने उनकी प्रेरणा से प्रताप नाम से समाचार पत्र का प्रकाशन किया। प्रसिद्ध कवि श्यामनारायण पांडेय ने हल्दीघाटी शीर्षक के खण्डकाव्य का ओजस्वी भाषा में काव्यपाठ किया। महात्मा गांधी ने लंदन में गोलमेज सम्मेलन में प्रताप के शौर्य की प्रशंसा की। यहां तक की वियतनाम ने भी अमेरिका आंदोलन के दौरान हल्दीघाटी युद्ध से प्रेरणा लेने की बात कही।
झूठा व भ्रमित इतिहास पढ़ाना विद्यार्थियों के साथ अन्याय-
देवनानी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर विद्यार्थियों को झूठा व भ्रमित इतिहास पढ़ाने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कक्षा बारहवीं की पुस्तक में मेवाड़ के इतिहास में महाराणा उदयसिंह को बलवीर का हत्यारा बताया गया है जबकि उदयसिंह जब चित्तौड पहुंचे थे तब बलवीर लाखोटा बारी से भाग गया था। इसी प्रकार हल्दीघाटी युद्ध में 150 नवविवाहित युवतियों के सम्मिलित होने का जिक्र भी बारहवीं की पुस्तक में किया गया है कि उनके हाथों में हल्दी लगी होने से जगह का नाम हल्दीघाटी रखा गया जोकि सरासर तथ्यहीन है जबकि हल्दीघाटी की मिट्टी का रंग हल्दी जैसा होने से शुरू से ही इसका नाम हल्दीघाटी है। उन्होंने कहा कि ऐसे झूठा व भ्रमित करने वाले इतिहास को पढ़ाने के साथ ही हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप को विजीत नहीं बताना अथवा युद्ध को अनिर्णित बताना विद्यार्थियों के साथ अन्याय है।
वीरों, महापुरूषों का अपमान नहीं करेंगे सहन-
उन्होंने कहा कि देश के वीरतापूर्ण इतिहास के साथ कांग्रेस द्वारा किये जा रहे खिलवाड़ को ना तो समाज बर्दाश्त करेगा और ना ही भारतीय जनता पार्टी। आज सम्पूर्ण मेवाड़ क्षेत्र व क्षत्रिय समाज में इसे लेकर आक्रोश है। भाजपा द्वारा सड़क से सदन तक इसका विरोध किया जाएगा। देश के वीरों, महापुरूषों का अपमान किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री झाड़ रहे पल्ला –
देवनानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को स्वायत्तशासी संस्था बताकर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहे है जबकि पाठ्यपुस्तकों में देश के महापुरूषों के गौरवशाली इतिहास के साथ जो भी छेड़छाड़ की जा रही है वह राज्य सरकार की सहमति बिना सम्भव नहीं। समीक्षा समिति का गठन भी शिक्षा मंत्री के अनुमोदन से ही हुआ है तथा समिति की रिपोर्ट भी निश्चित रूप से उनकी सहमति से ही स्वीकार की गई होगी। देवनानी ने कहा कि प्रदेश सरकार के गठन के बाद लगातार देश व महापुरूषों के वीरतापूर्ण गौरवशाली इतिहास को कमजोर करने की साजिश चल रही है तथा यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि कांग्रेस की पहचान, महापुरूषों का अपमान।

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