धर्मनिरपेक्षता, संघीय व्यवस्था, नागरिकता जैसे संवैधानिक महत्व के अध्याय हटाने पर आपत्ति

विजय जैन
अजमेर। शहर शहर कांग्रेस ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा 9 व 12 के सिलेबस से धर्मनिरपेक्षता, संघीय व्यवस्था, नागरिकता जैसे संवैधानिक महत्व के अध्याय हटाने पर आपत्ति करते हुए विरोध स्वरूप प्रधानमंत्री एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय को जिला कलेक्टर के माध्यम से पत्र भेजा है।
कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में यह आरोप है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हाल ही में कोरोनावायरस संकट के बीच शिक्षा सत्र 2020-2021 में बच्चों के पर सिलेबस का बोझ कम करने के लिए स्कूलों में कोर्स को 30 फीसदी कम करने की घोषणा की थी, जिसके बाद जानकारी है कि बोर्ड ने स्कूलों में सिलेबस से धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी, संघीय व्यवस्था और नागरिकता और जैसे अहम चैप्टर हटा दिए हैं I कांग्रेस का आरोप है कि उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण अध्याय और विषय भारत के संविधान के मूल तत्व हैं , जिनकी जानकारी और अध्ययन स्कूली स्तर के बच्चों के लिए अति आवश्यक है I शिक्षाविदों और शिक्षण संस्थानों से जुड़े और इन विषयों के विशेषज्ञों तथा कई जानकारों और ने बोर्ड के इस कदम का लगातार विरोध कर रहे है I
कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में बताया गया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा नौ से 12 वीं तक के इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस विषयों को रिवाइज़ किया है, जिसमें कक्षा 11वीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद और निरपेक्षवाद जैसे अध्यायों को ‘पूरी तरह हटा’ दिया गया है। इसके अलावा भी कक्षा बारहवीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से कई महत्वपूर्ण अध्यायओं को तो पूरी तरह से हटा दिया गया है जो छात्रों के भविष्य के साथ एक तरह खिलवाड़ है इस तरह शिक्षा बोर्ड छात्रों के से पढ़ने और समझने के अधिकार को छीना जा रहा है I सरकार ने जिन चैप्टरों को हटाने का फैसला किया है उसमे अंतर्विरोध है फैंड्रीजम के चैप्टर को हटाकर बच्चों को पढाना कैसे संभव होगा ? सोशल मूवमेंट्स के चैप्टर को हटाकर भारत का इतिहास पढाना संभव नहीं है। फेडरलिज्म, धर्मनिरपेक्षता, अनेकता में एकता या डाइवर्सिटी, नागरिकता जैसे विषय भारत के संविधान के प्रस्तावना की आत्मा भी है और मूल तत्व भी हैं और हमारे लोकतंत्र की नींव है I अगर इन सब विषयों की जानकारी हमारी भावी पीड़ी को नहीं होगी तो कैसे एक धर्मनिरपेक्ष , लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील भारत की परिकल्पना की जा सकती है I अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने , भारत सरकार और सी.बी.एस.ई से मांग की है कि राष्ट्रहित और स्कूली बच्चों के हित में तुरंत प्रभाव से सिलेबस में उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण चैप्टर्स को पुन: शामिल किया जाए I

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