सामाजिक बदलाव: बेटियों को बेटे के बराबर समझने लगा समाज
ब्यावर (सुमित सारस्वत)। रफ्तार से बदलते वक्त के साथ अब पीढ़ियों से चली आ रही पुरातन परंपराओं में भी बड़ा बदलाव आया है। समाज अब बेटियों को भी बेटों के बराबर समझने लगा है। ऐसा ही एक सामाजिक बदलाव राजस्थान के ब्यावर में देखने को मिला। यहां एक पिता की मौत के बाद समाज ने पुत्री के सिर पर पगड़ी बांधकर परिवार की जिम्मेदारी सौंपी।
ब्यावर में प्रताप नगर क्षेत्र निवासी 68 वर्षीय ओमप्रकाश कारगवाल का निधन हो गया था। ईंट का कारोबार करने वाले ओमप्रकाश के बेटा नहीं था। वे अपनी चार पुत्रियों को ही पुत्र के समान समझते थे। सीमा, ऋतु, पूनम व हर्षा ने भी अपने पिता को पुत्र की कमी खलने नहीं दी। पिता की मृत्यु के बाद पुत्रियों ने ही अंतिम संस्कार की रस्म निभाई। परिवार व रिश्तेदारों की मौजूदगी में पगड़ी की रस्म निभाई गई। पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालने का दायित्त्व सौंपे जाने की रस्म के रूप में बांधी जाने वाली पगड़ी भी ओमप्रकाश की बड़ी बेटी सीमा मारवाल के सिर पर बांधी गई। इस पहल की सभी ने सराहना की।
सीमा ने बताया कि उनके पिता अपनी चारों बेटियों को बेटों के समान मानते थे। बेटों की तरह ही प्यार से रखते थे। बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदलने और रुढ़िवादी रीति-रिवाज में बदलाव के लिए यह नई परंपरा कायम की है। इस पहल से भविष्य में हर पिता को पुत्री होने पर शर्मिंदगी और वंश गति की चिंता नहीं, गर्व ही महसूस होगा।
सीमा को भी भी अपनी तीन बेटियों पर गर्व
जिस सीमा मारवाल के सिर पर पिता की पगड़ी बंधी वो भी तीन पुत्रियों की माता है। वे अपनी पुत्री पलक, साक्षी और पीहू को बेटा ही मानती हैं और तीन बेटियों की मां होने पर गर्व महसूस करती हैं। वे कहती हैं कि बेटियां देवी का स्वरूप है और मुझे खुशी है कि मेरे घर में दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती स्वरूपा तीन बेटियां हैं। सीमा की बड़ी बेटी पलक जयपुर में दंत चिकित्सक हैं।