विचार व विकास की धाराओं का है केकड़ी में जंग–किसे चुनता है मतदाता ?

केकड़ी 24 जनवरी (पवन राठी)केकड़ी निकाय जंग असल मे विचार और विकास की धाराओं के पेंच में फंस चुका है।अब शहर के मतदाताओ को दोनों में से एक को चुनना है।विगत के अनुभव और विकास से केकड़ी का आम मतदाता खुद रूबरू हो चुका है।वह यह भी जान चुका है कि विगत काल मे परिस्थितियां क्या रही आज का मतदाता बहुत होशियार और चिंतन मनन करने लगा है नफा नुकसान का आकलन करने लगा है।चुनाव प्रचार काफी रोचक मोड़ ले चुका है।कांग्रेस और भा ज पा दोनों ही और के तरकशों से रोज एक दूसरे पर निशाने साधे जा रहे है।आइये देखते है किसने कोनसे और किस पर लगाया है निशाना:-
किसी वार्ड में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है तो किसी वार्ड में भाजपा की वहीं कुछ वार्डों में निर्दलीयों ने दोनों दलों की नींद हराम कर रखी है। चुनाव परिणाम किसके पक्ष में होगा अभी कह पाना सम्भव नहीं, दोनों दल अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। राज्य के चिकित्सा मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डॉ रघु शर्मा के चुनाव मैदान में आ जाने से चुनावी दंगल और भी रोचक हो गया है। डॉ शर्मा विकास के विजन को लेकर चुनाव मैदान में हैं, वे अपनी नुक्कड़ सभाओं में भी कांग्रेस का बोर्ड बनने पर विकास के नए आयाम स्थापित करने व आमजन को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की बात कर रहे हैं। उधर भाजपा के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, वह अपनी विचारधारा के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में है। भाजपा नेता कांग्रेस पर चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग व आचार संहिता का उल्लंघन जैसे गम्भीर आरोप लगा रहे हैं। इस बार नगरपालिका का चुनाव काफी मायनों में महत्वपूर्ण है लेकिन शहर के विकास का मुद्दा अहम माना जा रहा है ! पिछले दो सालों से शहर का विकास थमा रहा, लोगों को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ा है। शहर के अवरुद्ध पड़े विकास के मामले में दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर दोषारोपण कर जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य में कांग्रेस का शासन है उसने राजनीतिक द्वेषता के चलते शहर का विकास रोक दिया, उधर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि शहर के विकास की जिम्मेदारी भाजपा बोर्ड की थी उसने क्यों नहीं कराया शहर का विकास। अब सवाल यह है कि क्या आगे भी यही हालात रहेंगे, क्योंकि दोनों दलों के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तो खत्म होने वाली नहीं। ऐसी स्थिति में शहर का सर्वागीण विकास कैसे हो, यह चिंतन का विषय है।
अगर यहां भाजपा का बोर्ड फिर से बनता है तो हालात वही रहने हैं इसमें कोई शक नहीं। शहर का विकास कैसे होगा यह बड़ा सवाल है। फिर से वही गतिरोध यहां भाजपा का बोर्ड व राज्य में कांग्रेस का शासन। अगर कांग्रेस व भाजपा की आपसी लड़ाई यूं ही चलती रही तो लोगों को फिर अगले तीन साल तक शहर की दुर्दशा से रूबरू होना पड़ेगा। ऐसे में फैसला मतदाताओं को लेना है। मतदाताओं के सामने दो विकल्प है एक ओर विचार धारा की लड़ाई दूसरी ओर विकास धारा की। अगर यहां कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो विकास का रास्ता खुलता है क्योंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है। अक्सर हमनें देखा है कि निकाय हो या पंचायत विकास तभी होता है जब कड़ी से कड़ी जुड़ी हो। पिछले दो साल का अनुभव हमनें देखा है, नगर पालिका के पास पर्याप्त बजट होने के बावजूद लोग विकास के लिए तरसते रहे और भाजपा बोर्ड कुछ भी नहीं कर पाया, जबकि भाजपा बोर्ड में 30 में से 27 पार्षद शामिल थे। शहर के कई मतदाता असमंजस की स्थिति में है कि वे किसे मत दें। कई मतदाता उम्मीदवार का चेहरा देखकर तो कई पार्टी देखकर मतदान का मानस बना रहे हैं मगर अधिकांश मतदाता ऐसे हैं जिन्हें शहर के विकास की चिंता है। अब सवाल यह उठता है कि जब पिछले दो सालों तक भाजपा मजबूत स्थिति में बोर्ड में काबिज होने के बावजूद विकास नहीं करा पाई तो अगर इस बार भाजपा का बोर्ड बन भी गया तो वो अगले तीन साल कैसे विकास कर पायेगी क्योंकि कांग्रेस का शासन तो अभी तीन साल और रहने वाला है। भाजपाइयों का आरोप है कि जबसे राज्य में कांग्रेस सत्ता में आई है शहर का विकास ठप्प हो गया, तो सवाल ये है कि शहर के विकास की जिम्मेवारी भाजपा बोर्ड की थी तो उसने क्यों नहीं कराया विकास ? आखिर कहीं न कहीं तो वह कमजोर थी इस वजह से विकास नहीं करा पाई। वरना भाजपा चाहती तो वह जनता की आवाज बनकर कांग्रेस का विरोध करती, शहर के विकास कौन रोक सकता था। इधर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा खुद ही अपने क्रियाकलापों में उलझी हुई थी, कहां से कराती विकास। उनका कहना है कि भाजपा बोर्ड पर मनमानी, अनियमितताओं व भ्रष्टाचार के कई गम्भीर आरोप लगे जो अभी भी विभागीय जांच, एसीबी व न्यायालय में विचाराधीन हैं। कुल मिलाकर फैसला मतदाताओं को करना है।

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