पालिका में सदस्यों के मनोयन का प्रकरण बना चर्चा का मुद्दा

केकड़ी 17 जून(पवन राठी)
केकड़ी नगरपालिका में सहवरण सदस्यों का मनोयन इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल राज्य सरकार द्वारा मनोनीत छह सहवरण सदस्यों में से एक सदस्य को भाजपा पृष्ठभूमि का बताया जा रहा है वहीं दूसरा सदस्य भाजपा पार्षद का भाई बताया जा रहा है। इन सदस्यों के मनोयन पर कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने एतराज जताया है। इन कांग्रेसजनों का कहना है कि बरसों से कांग्रेस के लिए समर्पित भावना से काम कर रहे कार्यकर्ताओं को तवज्जो न देकर भाजपा की पृष्ठभूमि से आये कार्यकर्ता को सहवरण सदस्य मनोनीत करना कहां तक न्यायोचित है, यह मनोनीत पार्षद कांग्रेस का सदस्य तक नहीं है और भाजपा का कर्मठ कार्यकर्ता रहा है। इन कांग्रेस जनों का मानना है कि इससे कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है। इन कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसकी जगह अगर किसी अच्छे, समर्पित कार्यकर्ताओं को सहवरण सदस्य बनने का मौका दिया जाता तो बेहतर होता, और भी कई कार्यकर्ता सहवरण सदस्य बनने की कतार में थे जिनके मंसूबों पर पानी फिर गया। उल्लेखनीय है कि हाल ही में राज्य सरकार ने केकड़ी नगर पालिका में छह सहवरण सदस्य मनोनीत किये हैं। इसमें सभी वर्गों को जोड़ने का प्रयास किया गया है, इसके तहत ही जाति विशेष को कांग्रेस से जोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया है। मगर कुछ कांग्रेस जनों ने इस पर एतराज करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है। अंदरखाने विरोध कर रहे इन कांग्रेस जनों का कहना है कि जिस व्यक्ति ने गत महीनों भाजपा से टिकट मांगा था और टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा। इसकी वजह से कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहते हुए चुनाव हार गया था, उसे ही सहवरण सदस्य बना दिया गया है। इन लोगों का कहना है कि अगर इस व्यक्ति ने चुनाव नहीं लड़ा होता तो उस वार्ड में कांग्रेस उम्मीदवार जीत सकता था, क्योंकि जीत का अंतर बहुत मामूली था। वहीं भाजपा से जीतकर आये एक पार्षद के भाई को ही सहवरण सदस्य बना दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज करने वाले एक कांग्रेसी पार्षद को सोशल मीडिया कांग्रेस के व्हाट्सएप ग्रुप से रिमूव कर दिया गया है। हालांकि इस मामले में कांग्रेस के स्थानीय एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इसमें बुराई कहां है, पार्टी नेताओं ने सोच समझ कर ही यह कदम उठाया होगा, यह कोई गलती से तो हुआ नहीं है। आखिर ऊपर तक यही व्यवस्था चल रही है। पार्टी को मजबूत करने व परिवार को बढ़ाने के लिए सभी पार्टियां ऐसा करती आई है। कुल मिलाकर विरोधी स्वर सही तरह से मुखर नहीं हो पाए हैं या उन्हें दबा दिया गया है। मगर यह मामला इन दिनों चर्चा का विषय जरूर बना हुआ है, सोशल मीडिया में यह मामला जमकर ट्रोल हो रहा है। गौरतलब है कि केकड़ी नगरपालिका में छह सहवरण सदस्यों के मनोयन के बाद कांग्रेस बोर्ड की स्थिति और मजबूत हो गई है। हालांकि बोर्ड में वैसे भी कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी कांग्रेस के पास अपने पार्षदों की संख्या 21 है वहीं उसे 2 निर्दलीय पार्षदों का समर्थन प्राप्त है। नगरपालिका में कुल 40 वार्ड हैं। छह सहवरण सदस्यों के मनोयन के बाद अब कांग्रेस के पास 29 पार्षदों का जोड़ हो गया है। बोर्ड में भाजपा के 17 पार्षद हैं।

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