देवनानी ने रविवार को जारी बयान में कहा कि अरबों रूपए अजमेर को स्मार्ट बनाने पर खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन बारिश से उपजे हालात को देखकर यह सवाल उठता है कि आखिर यह धन किस जगह खर्च किया जा रहा है। जिस शहर में सड़कें, नाले-नालियां पूरी तरह ठीक नहीं हैं और थोड़ी-सी बरसात से गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है, सीवरेज के मेनहाॅल खुल जाते हैं और कुछ दिन पहले बनाई गई सड़कों और सड़कों पर किए गए पेचवर्क उखड़ जाते हैं, पूरे शहर में गड ढों की भरमार है, लोग गिर कर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं, उस शहर को कैसे स्मार्ट सिटी माना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में मिलने वाला अधिकांश धन सड़कों, नालियों, नालों को दुरूस्त करने में खर्च किया जाना चाहिए था, लेकिन जिला प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्रबंधन द्वारा मनमाने ढंग से कार्य कराए जाने के कारण आज शहर की यह स्थिति हो गई है। स्मार्ट सिटी में चाहे कितनी ही बरसात हो जाए, पानी बिल्कुल नहीं ठहरना चाहिए, लेकिन अजमेर में तो स्थिति इसके बिल्कुल उलट है।
नेहरू अस्पताल में वार्डों की छतों से टपका पानी
देवनानी ने कहा कि अजमेर संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल की हालत खराब है। वार्डों में छतों से मरीजों के बिस्तरों पर पानी टपक रहा है। वार्डों की छतों से प्लास्टर गिर रहे हैं। स्मार्ट सिटी में इस अस्पताल की हालत सुधारने की तरफ अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पानी टपकने के कारण मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। यदि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में इस अस्पताल के सभी वार्डों की दशा सुधारने की प्लानिंग की जाती, तो यह हालात सामने नहीं आते।
सड़कों की दुर्दशा, अनेक लोग दुर्घटनाग्रस्त
देवनानी ने कहा कि इस मानसून में पहली बार अच्छी बारिश हुई है। लेकिन इससे शासन और प्रशासन की सभी व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। पूरे शहर में जगह-जगह सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। समय रहते इन सड़कों की मरम्मत नहीं कराई गई। जिन सड़कों पर पेचवर्क कराए गए थे, वह सभी पहली बरसात में ही उखड़ कर फिर से गड्ढों में तब्दील हो गए हैं। सड़कों के बीचों-बीच सीवर लाइन के मेनहाॅलों के ढक्कन खुल कर ऊपर आ गए हैं, जिनसे गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। कई जगह तो इतना ज्यादा पानी भरा हुआ है कि मेनहाॅल के खुले ढक्कन और सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई नहीं दे रहे हैं, जिससे अनेक वाहन चालक इनमें गिर कर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।
कछुआ चाल से काम, हादसों का न्योता
देवनानी ने कहा कि एलिवेटेड रोड का काम पूरी तरह कछुआ चाल से चल रहा है, जिससे पृथ्वीराज मार्ग, स्टेशन रोड और कचहरी रोड पर हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। इन तीनों मार्गों पर एलिवेटेड रोड के नीचे जहां-जहां सड़कों पर पेचवर्क कराए गए, वह भी बरसात से पूरी तरह उखड़ चुके हैं। इन तीनों मार्गों से वाहन चालक और राहगीरों को आने-जाने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे जानलेवा बन गए हैं। इसी प्रकार पुष्कर रोड, कोटड़ा, पसंद नगर, बी.के.कौल नगर, हरिभाऊ उपाध्याय नगर, फाॅयसागर रोड, वैशाली नगर, क्रिश्चियन गंज, महावीर चैराहा, जयपुर रोड, अग्रेसन चैराहा, सावित्री काॅलेज चैराहा, कलेक्टेªट, दरगाह बाजार, नाला बाजार, नया बाजार, आगरा गेट आदि मार्गों और क्षेत्रों में सड़कों की हालत बहुत ज्यादा बिगड़ी हुई है।
सड़कें खोद डाली, लेकिन मरम्मत नहीं कराई
देवनानी ने कहा कि शहर में जगह-जगह सीवरेज लाइन और गैस पाइप लाइन डालने के लिए सड़कें तो खोद दी गई हैं, लेकिन उनकी मरम्मत अभी तक नहीं कराई गई हैं, जिससे इन सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। यह सड़कें कच्ची सड़कों में तब्दील हो गई हैं, जिससे पानी में जगह-जगह कीचड़ होने के कारण फिसलन हो गई है। अनेक जगह तो बाइक, स्कूटी व कारें भी सड़कों में धंस गई हैं।
निचली बस्तियां जलमग्न, सोया प्रशासन
देवनानी ने कहा कि बरसात से जलमग्न हुई निचली बस्तियां भी स्मार्ट सिटी के सपनों का सच दिखाने के लिए काफी हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में एक बार भी बरसात के पानी की समुचित निकासी की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। यदि समय रहते इस पर ध्यान दिया जाता और पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था की जाती, तो शहर की अनेक निचली बस्तियां पानी में नहीं डूबतीं। स्थिति यह है कि लोगों के घरों में घुटनों तक पानी भरा हुआ है और सारा सामान भीग गया है। अनेक घरों में तो पकाने-खाने और सोने तक का संकट पैदा हो गया है। आनासागर एस्केच चैनल के किनारे सटी निचली बस्तियों की स्थिति तो बहुत ज्यादा बुरी है।
प्रशासन करे तत्काल समुचित प्रबंध
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को तत्काल प्रभाव से इन बस्तियों में राहत कार्य शुरू करने चाहिए। जिन लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, उनके समुचित स्थान पर ठहराव, खाने-पीने और रहने का बंदोबस्त करना चाहिए।