अजमेर, 12 सितम्बर। अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र सरकार से आ रहे करोड़ों रूपए आखिर कहां जा रहे हैं। शहर में किसी भी दिशा से प्रवेश करने पर स्मार्ट सिटी नहीं, बल्कि किसी गांव या छोटे कस्बे की तस्वीर सामने आती है। चारों तरफ से शहर में प्रवेश करते ही सड़कों पर बने हुए बड़े-बड़े गड्ढों से सामना होता है। यह कहना है पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी का। उन्होंने जिला कलेक्टर से शहर की सभी सड़कों को जल्द से जल्द दुरूस्त कराने को कहा है।
रविवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि सड़कों की मरम्मत और पेचवर्क के लिए प्रशासन को मिले लाखों रूपए पानी में बह गए हैं। पिछले दो-तीन दिन से चल रही बरसात में सभी सड़कों पर हुए पेचवर्क पूरी तरह धुल गए हैं। ऐसा लगता है कि इन सड़कों पर कभी पेचवर्क या मरम्मत कार्य कराया ही नहीं गया है। जिन सड़कों पर 20-25 या 15-20 दिन पहले पेचवर्क और मरम्मत कार्य कराए गए थे, उन सभी सड़कों पर फिर से गहरे गड्ढे बन गए हैं। श्रीनगर रोड, ब्यावर रोड, नसीराबाद रोड, जयपुर रोड, पुष्कर रोड से शहर में प्रवेश करते ही सड़कों पर गहरे और बड़े-बड़े गड्ढे नजर आते हैं। टूटी-फूटी सड़कों पर दुपहिया वाहन तो क्या चारपहिया वाहन में सफर करना मुश्किल हो गया है।
उन्होंने कहा कि इन मुख्य सड़कों के अलावा स्टेशन रोड, मार्टिंडल ब्रिज, सम्राट पृथ्वीराज चैहान राजकीय काॅलेज चैराहा, अलवर गेट, केसरगंज, गांधी भवन चैराहा, कचहरी रोड, पृथ्वीराज मार्ग, राजा साइकिल चैराहा, गुलाबबाड़ी, आगरा गेट, सोनीजी की नसियां, जवाहर लाल नेहरू अस्पताल, अग्रसेन चैराहा, सावित्री काॅलेज मार्ग व चैराहा, शास्त्री नगर, लोहागल रोड, वैशाली नगर, रेम्बुल रोड, माकड़वाली रोड, पंचशील, कोटड़ा, प्रगति नगर, हरिभाऊ उपाध्याय नगर, राम नगर, बी.के. कौल नगर, ऋषि उद्यान, फाॅयसागर रोड आदि क्षेत्रों में सड़कों की हालत बहुत ज्यादा दयनीय हो गई है। चूंकि इन दिनों बरसात का दौर चल रहा है, इसलिए पानी भरा होने के कारण गहरे गड्ढे दिखाई नहीं देते हैं, जिससे रोजाना अनेकों लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। पैदल चलने वाले अनेक लोग भी गड्ढ़ों में गिरकर घायल हो रहे हैं।
देवनानी ने कहा कि एक तरफ शासन-प्रशासन के नुमाइंदे अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा करते हैं, लेकिन शहर की सड़कों की यह स्थिति उनके दावों की पोल खोल रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए मिल रहे करोड़ों रूपए आखिर किधर और किस काम पर खर्च किए जा रहे हैं। यह कितना हास्यास्पद है कि जिस शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है, उसकी सड़कों की हालत किसी गांव या छोटे कस्बे से भी बदतर हो गई है। सड़कों की हालत तो पगडंडी से भी बदतर हो गई है।
देवनानी ने कहा कि स्टेशन रोड, पृथ्वीराज मार्ग और कचहरी रोड पर एलिवेटेड रोड का काम बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। इन मार्गों पर जिन जगह पिलर खड़े करने के लिए सड़क खोदी गई थी, उन जगहों पर ढंग से मरम्मत नहीं कराई गई है, जिससे इन मार्गों पर यातायात व्यवस्था पूरी तरह चैपट हो गई है। मार्टिंडल ब्रिज, आगरा गेट और राजस्थान लोक सेवा आयोग के पुराने भवन से लेकर पूरे मार्ग पर दिनभर वाहनों की रेलमपेल मची रहती है। अन्य वैकल्पिक मार्ग इतने सकरे हैं, जिनसे दुपहिया वाहन भी आसानी से आ-जा नहीं सकते।
वास्तविक हकदारों को भी मिले जमीनों के पट्टे-देवनानी
-सरकार केवल वोटों की राजनीति के मकसद से नहीं बांटे पट्टे
-केवल आबादी घोषित क्षेत्रों ही नहीं, सभी क्षेत्रों में बसे लोगों को भी मिले पट्टे
अजमेर, 12 सितम्बर। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि जिस तरह कांग्रेस सरकार केवल खानापूर्ति के लिए निकट भविष्य में प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान लोगों को नियमन कर पट्टे देने का प्लान बना रही है, उससे वास्तविक लोगों को लाभ नहीं मिलेगा।
रविवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार केवल वोटों की राजनीति के मकसद से प्रशासन शहरों के संग अभियान निकट भविष्य में चलाएगी। इस अभियान के दौरान उन लोगों को पट्टे दिए जाने का प्रावधान किया गया है, जो वर्षों से बिना नियमन और पट्टे वाली जमीन पर बसे हुए हैं। इससे उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को मकसद लोगोें को पट्टे देकर उनकी परेशानियों को हल करना होना चाहिए, लेकिन जिस तरह से अभियान के दौरान पट्टे जारी करने के लिए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं, उससे साफ लगता है कि इस अभियान से जो वास्तविक हकदार हैं, उन्हें कोई भी लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल आबादी भूमि या आबादी घोषित जमीनों पर बसे लोगों को पट्टे देने का दिशा-निर्देश बनाया है। इन लोगों को तो पट्टे दिए जाने ही चाहिए, लेकिन जो हजारों लोग ऐसे हैं, जो पहाड़ी, बारानी, डूब क्षेत्र और वन विभाग की जमीन पर बरसों से बसे हुए हैं, उन क्षेत्रों को भी आबादी क्षेत्र घोषित कर पट्टे दिए जाने चाहिए। यदि सरकार यह प्रावधान करती है, तो इससे हजारों लोगों को पट्टे की समस्या से निजात मिल जाएगी। साथ ही उन्हें इस कारण अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा।
देवनानी ने कहा कि अनेक कच्ची बस्तियां ऐसी हैं, जो पहाड़ी, बारानी, डूब क्षेत्र, वन क्षेत्र आदि में बसी हुई हैं। इन बस्तियों में पानी-बिजली के कनेक्शन दिए जा चुके हैं, लेकिन आबादी क्षेत्र घोषित नहीं होने के कारण विकास कार्य नहीं हो पाते हैं। इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को सड़क, नाली, सफाई जैसी मूलभूत समस्याओं से भी जूझना पड़ता है। इसलिए सरकार को इन क्षेत्रों में बसी बस्तियों के लोगों को भी पट्टे देने चाहिए, तब ही प्रशासन शहरों के संग अभियान सार्थक सिद्ध हो सकेगा।