विश्वास भक्ति आनंद का प्रतीक 74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियों का शुभारंभ

केकड़ी 13 नवंबर*पवन राठी* निरंकारी संत समागम विश्व भर के प्रभु प्रेमियों के लिए खुशियों भरा अवसर होता है जहां मानवता का अनुपम संगम देखने को मिलता है निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागरूकता द्वारा संपूर्ण विश्व में सत्य प्रेम एवं एकत्व के संदेश को प्रसारित कर रहा है जिसमें सभी अपनी जाति,धर्म,वर्ण,रंग,भाषा वेशभूषा एवं खानपान जैसी भिन्नताओं को भुलाकर आपसी प्रेम एवं मिलवर्तन की भावना को धारण करते हैं ।
केकड़ी ब्रांच मुखी अशोक रंगवानी ने बताया कि 74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियां इस वर्ष वर्चुअल रूप में पूर्ण समर्पण भाव एवं सजगता के साथ की जा रही है जिसमें संस्कृति एवं संप्रभुता की बहुरंगी छटा इस वर्ष भी वर्चुअल रूप में दर्शायी जाएगी यह सभी तैयारियां सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड-19 के निर्देशों को ध्यान में रखकर ही की जा रही है इस वर्ष के समागम की तिथियां 27 28 एवं 29 नवंबर 2021 को निर्धारित की गई है इस वर्ष के निरंकारी संत समागम का शीर्षक विश्वास-भक्ति-आनंद विषय पर आधारित है जिसमें विश्व भर से वक्ता गीतकार तथा कवि जन अपनी प्रेरक एवं भक्तिमय प्रस्तुति व्यक्त करेंगे। विश्वास-भक्ति और आनंद आध्यात्मिक जागृति का एक ऐसा अनुपम सूत्र है जिस पर चलकर हम इस परमात्मा का न केवल साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं अपितु इससे एकमिक भी हो सकते हैं इस सूचना से समस्त साध संगत में जहां हर्ष उल्लास का वातावरण है वहीं सभी भक्तों ने निरंकार की रजा में रहकर इसे सहज रूप में स्वीकार भी किया है संपूर्ण समागम का सीधा प्रसारण मिशन की वेबसाइट पर तथा साधना टीवी चैनल के माध्यम द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा मिशन के इतिहास में ऐसा प्रथम बार होने जा रहा है जब वर्चुअल समागम का सीधा प्रसारण किया जा रहा हो समागम के तीनों दिन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज अपने पवन प्रवचनों द्वारा मानव मात्र को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
मीडिया सहायक राम चन्द टहलानी ने बताया कि इस वर्ष का समागम पूर्णतया वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है किंतु इसे जीवन्त स्वरूप देने के लिए मिशन द्वारा दिन-रात अथक प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस जब इसका प्रसारण किया जाए तब इसकी अनुभूति प्रत्यक्ष समागम जैसी ही हो और सभी इस का आनंद प्राप्त कर सकें यह सब सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन द्वारा ही संभव हो पाया है। जैसा की सर्वविदित ही है मिशन का प्रथम निरंकारी संत समागम 1948 में बाबा अवतार सिंह जी की दिव्य उपस्थिति में हुआ यद्यपि संत निरंकारी मिशन का आरंभ बाबा बूटा सिंह जी के निर्देशन में हुआ जिसे गुरमत का रूप देकर बाबा अवतार सिंह जी ने आगे बढ़ाया निरंकारी संत समागम को व्यवस्थित सुसज्जित तथा प्रफुल्लित करने का श्रेय युग प्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी को जाता है तदोपरांत युग दृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने न केवल समागम को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया अपितु एकत्व के आधार पर वसुधैव कुटुंबकम और दीवार रहित संसार की सोच के साथ यूनिवर्सल ब्रदरहुड की पहचान देकर संसार को जाति धर्म वर्ग वर्ण भाषा और देश की विभिन्नताओं से ऊपर अनेकता में एकता का दर्शन कराया वात्सल्य एवं मातृत्व की साक्षात मूर्ति माता सविंदर हरदेव जी ने एक नए युग का सृजन किया और युग निर्माता के रूप में प्रकट होकर अपने कर्तव्य को पूर्ण रूप से निभाया वर्तमान समय में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज नई सोच एकाग्रता और समुदायिक सामंजस्य की भावना के साथ इसे आगे बढ़ा रही हैं इस प्रकार निरंकारी संत समागम अनेकता में एकता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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