वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव की 28वीं वर्षगॉठ के अवसर पर भव्य कार्यक्रम

श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन जिनालय, सर्वोदय कॉलोनी
अजमेर, 2 दिसम्बर, 2021 / सर्वोदय कॉलोनी, पुलिस लाइन स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन जिनालय की वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव की वर्षगॉंठ के अवसर 3-4 दिसम्बर, 2021 को भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। 3 दिसम्बर की शाम सामुहिक आरती, मंगलाचरण एवं भव्य भजन संध्या का आयोजन होगा, जिसमें साजबाज के साथ भजनो का कार्यक्रम रखा गया है। भक्तिभाव व भक्तिनृत्य की इसमें बेहतरीन प्रस्तुतियॉं दी जोएगी। 4 दिसम्बर, को प्रातः जिनेन्द्र देव के अभिषेक, नित्य पूजन, शांतिधारा के पश्चात् शांति मंडल विधान का आयोजन किया जाऐगा, जिसमें श्रीफल सहित अष्ठद्रव्य के 120 अर्घ चढ़ाऐ जाऐंगे। सामुहिक रूप से होने वाला यह कार्यक्रम – विधान बड़ा ही सुंदर छटा बिखेरेगा। इस दिन शाम को महिला मंडल द्वारा सामुहिक आरती, मंगलाचरण एवं खुला प्रश्नमंच भी होगा। इस दौरान मंदिर सुंदर लाइटिंग से सजा हुआ रहेगा।
उल्लेखनीय है कि यह जिनालय पुलिस लाईन से शास्त्री नगर की तरफ जाने वाले चौराहे पर दाहिनी तरफ स्थित सर्वोदय कॉलोनी के नुक्कड़ पर स्थित है। यहॉं मूलनायक भगवान श्री शांतिनाथजी की प्रतिमा है। तेरह पंथी आम्नाय को समर्पित यह जिनालय शहर का पहला ऐसा जिनालय है, जहॉं त्रिपुटी भगवान की खड़्गासन प्रतिमाएें विराजमान है। ये त्रिपुटी भगवान – श्री शांतिनाथ, श्री कुंथुनाथ एवं श्री अरहनाथजी है, जो कि क्रमशः सोलवे, सत्रहवें व अठारहवें तींर्थंकर हैं। इतिहास के अनुसार ये तीनों पहले ऐसे कामदेव थे जो चक्रवर्ती राजा बने और फिर तीर्थंकर पद को प्राप्त हुऐ।
मंदिर की पृष्ठभूमि –
मंदिर निर्माण के बारे में जिनालय समिति के संस्थापक सदस्य छीतरमलजी गदिया पुराने दिनों को याद करते हुऐ बताते है कि – आस-पास की कॉलोनी मसलन शास्त्री नगर, जवाहर नगर, पुलिस लाईन, सर्वोदय कॉलोनी, सर्वेश्वर नगर, स्टेट बैंक कॉलोनी आदि में अच्छी खासी जैन बस्ती होने लगी थी, जबकि इस क्षेत्र में एक भी जैन मंदिर नहीं था। यह कमी सभी जैन बंधुओं को खल रही थी। परिणामतः समाज के कुछ प्रतिनिधियों एव महानुभावों ने 20 जनवरी, 1986 को श्री कपूरचन्दजी जैन एडवोकट की अध्यक्षता में एक सभा आयोजित की तथा यहॉं एक मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। मंदिर हेतु भूमि क्रय करने का निश्चय हुआ तथा इसका नाम श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन जिनालय रखे जाने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ।
भूमि क्रय के पश्चात् मंदिर निर्माण की कड़ी में श्री पूनमचंदजी लुहाड़ियॉं ने 26 अप्रेल 1986 को प्रातः साढ़े सात बजे इसका शिलान्यास किया। भूमि पूजन व शिलान्यास संबंधी क्रियाऐं पण्डित चंपालालजी जैन द्वारा करवाई गई। तत्पश्चात् 16 जनवरी, 1987 को यहॉं 23वें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ की अष्ठधातु की प्रतिमा यहॉं लायी गयी। यह छोटी प्रतिमा डिग्गी बाजार वाले श्री घेवरचन्दजी गंगवाल के चैत्यालय से सन् 1986 में यहॉं लाकर प्रकाशचन्दजी पाटनी के मकान में स्थापित की गयी, जिसे जनवरी, 1987 में जिनालय की दीवार से सटी ताकनूमा वेदी में स्थापित किया गया। बाद में परिक्रमा पथ के लिए इस वेदी का निर्माण कर प्रतिमाजी को वेदी में स्थापित किया गया। यह प्रतिमा अब चोरी हो चुकी है।
जिनालय में लगे एक बोर्ड के अनुसार छीतरमल गंगवाल, छीतरमल गदिया, महावीर बड़जात्या, सुशील दोषी एवं प्रकाश पाटनी संस्थापकगण है। प्रथम कार्यकारीणी वर्ष 1986 से 1996 तक रही। जिसके अध्यक्ष कैलाशजी पाटनी एवं मंत्री छीतरमल गदिया थे। मंदिर का देवस्थान पंजीकरण संख्या – 3 अजमेर 1990/24.03.1990 है।
मुख्य वेदी का शिलान्यास केकड़ी निवासी रतनलालजी उत्तम चन्दजी गंगवाल के कर कमलों द्वारा 27 दिसम्बर, 1991 मिति चेत कृष्णा सप्तमी शुक्रवार को पं. प्रवर श्री चंपालालजी जैन नसीराबाद के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। मुख्य वेदी में आज विराजमान तीनों प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा वर्ष फरवरी, 1993 में नाका मदार पार्श्वनाथ मंदिर में सम्पन्न हुये पंचकल्याणक महोत्सव में हुई। तत्पश्चात् 2 दिसम्बर, 1994 से 4 दिसम्बर, 1994 तक यहॉं तीन दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ। यह महोत्सव आचार्य श्री विद्यासागरजी के परम शिष्य श्री सुधासागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री गंभीर सागरजी और क्षुल्लक श्री धैर्यसागरजी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। इन प्रतिमाओं को सूर्य मंत्र श्री सुधासागर जी महाराज ने ही दिया। यह प्रतिष्ठा चम्पालालजी जैन विशारद ने करवाई। उल्लेखनीय है कि इन जिनबिम्बों को विराजमान करने का सौभाग्य बिना किसी बोली के उन महानुभाओं को दिया गया, जिन्होंने इस जिनालय में प्रतिदिन पूजन प्रक्षाल के नियम लिऐ।
श्री शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा शिखरचन्दजी त्रिलोकचन्दजी सोनी द्वारा विराजमान कराई गई, जबकि श्रीकुन्थुनाथ भगवान की प्रतिमा शांतिलालजी बिलाला एवं श्री अरहनाथ भगवान की प्रतिमा लादूलालजी राजेन्द्रकुमारजी गदिया द्वारा विराजमान कराई गई। प्रतिमाऐं सफेद संगमरमर की है, जो कि वेदी के तीनों मेहराबों से बड़ी ही प्यारी लगती है। इन खड़्गासन प्रतिमाओं के बीच दो सर्वधातु की प्रतिमाऐं- भगवान आदिनाथ एवं भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमाऐं विराजमान है। ये प्रतिमाऐं क्रमशः प्रकाशचन्दजी जैन एवं हीरालालजी कासलीवाल द्वारा विराजमान कराई गई। ये प्रतिमाऐं पद्मासन मुद्रा में है। इनके आगे अष्टधातु की 3 प्रतिमाऐं है, जो कि भगवान पार्श्वनाथ, भगवान वासुपूज्य स्वामी एंव सिद्ध भगवान की है। भगवान वासूपूज्य की प्रतिमा सुशीलजी दोषी द्वारा एवं भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा छीतरमलजी गंगवाल द्वारा विराजमान कराई गई। सिद्ध भगवान की प्रतिमा राजेन्द्रकुमारजी अजयकुमारजी विजयकुमार जी दनगसिया परिवार द्वारा विराजमान करवाई गई।
वेदी संगमरमर पत्थरों से बनी बहुत ही कलात्मक है, जिसके दोनों तरफ ऐरावत हाथी और बीच में नीचे की ओर ‘अहिंसा के प्रतीक’ सिंह और गाय साथ-साथ उकेरे हुऐ है। वेदी के सामने तीन खण्डों में बंटा एक विशाल हॉल है, जो ना सिर्फ पूजा-पाठ, प्रवचन के काम आता है, अपितु भादवे में होने वाले सांस्कृतिक-धार्मिक आयोजनों व मंदिर से जुड़े अन्य कार्यक्रमों के लिए सभागार का उत्तम काम करता है।
मंदिर पर उतंग भव्य शिखर बना है। मुख्य द्वार भी झरोखों व छोटी-छोटी घुमटियों से युक्त आकर्षक बना है। इसका निर्माण राजेन्द्रकुमारजी अजयकुमारजी विजयकुमारजी दनगसिया ने करवाया। मंदिर निर्माण में भागचन्दजी पहाड़िया, नन्द किशोरजी हरीशकुमारजी (दिल्ली) अशोकजी पाटनी, अजीतकुमारजी पाटनी, लेखचन्दजी धर्मचन्दजी गदिया, आर.के.मार्बल्स आदि का भी विशेष आर्थिक सहयोग रहा है।
बताते है कि पहले यह जमीन मात्र 30 गुना 60 फीट ही थी। बाद में इसके दोनों ओर की जमीन लेकर प्लॉट का विस्तार किया गया। अब यहॉं बना विशाल हाल करीब 40 गुणा 60 फीट का है। परिक्रमा पथ के पीछे 4 कमरे है, जो कि पूजन-प्रक्षाल करने, बर्तन रखने आदि के काम आते है। यहॉं के शास्त्र भंडार करीब 7 अलमारियों में है, जिनमें नित्य पूजा के अलावा शास्त्र, जिनवाणी, विभिन्न विधान एवं विशिष्ठ पूजा की सभी पुस्तकें, शास्त्र आदि समाहित है।
संताशाला का निर्माण –
वर्ष 2009-10 में एक त्यागी-व्रती व साधुओं के रहवास के लिए ‘संतशाला’ का निर्माण किया गया। इसमें एक हॉल के अलावा 3 कमरे बनवाये गऐ। नीचे एक कुऑं खुदवाया गया। इस संत शाला व कुऐं के लिए मोहनलालजी-पुनीतकुमारजी, पारसमलजी- निकुंज कुमार जी, श्रीमती पतंगदेवी-धर्म पत्नी श्री प्रेमचन्दजी आदि का आर्थिक सहयोग उल्लेखनीय रहा। जिनालय के मुख्य हॉल में अगस्त, 2014 में यहॉं दीवारों पर तीर्थ क्षेत्र के बहुत ही आकर्षक 12 चित्र लगाऐ है, जिससे जिनालय की शोभा में चार चॉंद लग गऐ है।
मंदिर की देख-रेख व व्यवस्था यहॉं बनी समिति द्वारा की जाती है। मंत्री विनय गदिया बताते है कि मंदिर से वर्तमान में करीब 70 जैन परिवार जुड़े है। रोजाना करीब 150-200 लोग यहॉं दर्शन-पूजा के लिए आते है। पर्युषण पर्व के पश्चात् 2 अक्टूबर को यहॉं प्रतिवर्ष वार्षिक कलशाभिषेक होते है। इस अवसर पर त्यागी-व्रतियों व कॉलोनी की प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है। भादवे में यहॉं की रौनक दर्शनीय होती है। इस दौरान यहॉं महिलाऐं केसरिया परिधान तो पुरूष सफेद धोती-दुपट्टा पहने सामुहिक पूजन करते है। 9 जुलाई, 2011 में यहॉं विराग सागरजी के संघ का आना हुआ, जिसमें 62 पिच्छियॉं सम्मिलित थी। इनके आगमन से कॉलोनी में धूम मच गई। आचार्य वर्धमान सागरजी महाराज ने छतरियॉं, अजमेर से किशनगढ़ विहार के समय दिनांक 14 अप्रेल, 2015 को यहॉं ससंघ दर्शन किऐ। 6 जुलाई, 2015 को यहॉं आचार्य वसुनन्दी जी महाराज का संसघ आगमन हुआ। इसमें 11 पिच्छी थी। यह संघ एक दिन के प्रवास पश्चात् 7 जुलाई, 2015 को पंचशील कॉलोनी के लिए विहार कर गया।
वर्तमान कार्यकारिणी –
वर्तमान कार्यकारिणी में अध्यक्ष विजय दनगसिया, मंत्री विनय गदिया, उपाध्यक्ष प्रवीण सोगानी, कोषाध्यक्ष सुभाषजी गंगवाल, संयुक्त मंत्री अनिल गंगवाल, व्यवस्थापक दिनेश पाटनी, विरेन्द्र पाटनी, अनिल पाटनी एवं सदस्यों में सुभाष पाटनी, ताराचंद सेठी, नवीन पाटनी, अभय जैन, नरेन्द्रकुमारजी दोषी, मनीष पाटनी है। दो मनोनीत सदस्यों में धनकुमार जी लुहाड़िया और अशोक सुरलाया है। अंकेक्षक के रूप में सुभाष बड़जात्या चार्टेड अकाउंटेंट है। इस कार्यकारिणी का चुनाव सितम्बर, 2021 में सम्पन्न हुऐ चुनावों में हुआ। जिनालय एवं जिनालय समिति अपनी गौरवपूर्ण यात्रा के कई पड़ाव पार करके उत्तरोतर विकास को निरंतर अग्रसर है। फिलहाल वेदी प्रतिष्ठा की वर्षगॉंठ को लेकर कॉलोनी वासियों एवं महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती इंद्रा कासलीवाल, मंत्री रेणु पाटनी, एवं मधु जैन, बीना गदिया, अनामिका सुरलाया, गुणमाला गंगवाल सहित सभी सदस्यों में हर्ष व्याप्त है तथा बढ़चढ़ कर इस कार्यक्रम को भव्य रूप देने में प्रयासरत है।

✍️ अनिल कुमार जैन
सदस्य, श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन जिनालय समिति
निवास – ‘अपना घर’, 30-अ,
सर्वोदय कॉलोनी, पुलिस लाइन, अजमेर
फोन – 9829215242

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