प्राइवेट विश्वविद्यालयों की मनमानी व धांधली रोकने लिए नियामक आयोग बनाया जाए

-व्यास विद्यापीठ विश्वविद्यालय, जोधपुर को अनुमति देने संबंधी विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते बोले देवनानी
-सरकारी विश्वविद्यालयों की दुर्दशा, प्राइवेट विश्वविद्यालयों में फर्जीवाड़े पर सरकार को आड़े हाथों लिया
-नए सरकारी विश्वविद्यालय खोलने में अजमेर की उपेक्षा का मुद्दा भी पुरजोर तरीके से उठाया

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 5 मार्च। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने सरकारी विश्वविद्यालयों की दुर्दशा और प्राइवेट विश्वविद्यालयों में धांधली का मुद्दा विधानसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को जहां अपने विश्वविद्यालयों की दशा सुधारने की तरफ ध्यान देना चाहिए, वहीं प्राइवेट विश्वविद्यालयों की मनमानी और धांधली रोकने के लिए नियामक आयोग बनाया जाना चाहिए, तभी उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने नए विश्वविद्यालय खोलने में अजमेर की पूरी तरह से उपेक्षा किए जाने का मुद्दा भी उठाया।
देवनानी ने विधानसभा में व्यास विद्यापीठ विश्वविद्यालय, जोधपुर को अनुमति देने संबंधी विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में हम इस उद्देश्य से प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने संबंधी विधेयक लाए थे कि युवाओं और विद्यार्थियों को निकटतम स्थान पर आधुनिक शिक्षा मिले, वहां अनुसंधान और अध्ययन की बेहतर व्यवस्था हो, उच्च शिक्षा में सारे संसाधन और गुणवत्ता वाले शिक्षक हों। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस सरकार लगातार हर विधानसभा सत्र में विधेयक लाकर प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति दिए जा रही है।
अलवर के सनराइज विश्वविद्यालय ने बांटी फर्जी डिग्रियां
देवनानी ने कहा, यह विचार किया जाना चाहिए कि जो प्राइवेट विश्वविद्यालय पहले खुले हैं, उनमें क्या स्ट्रक्चर है, क्या व्यवस्थाएं हैं और उनकी स्थिति अभी क्या है। उन्होंने अलवर के सनराइज विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए यह पता लगाने का आग्रह किया कि इस विश्वविद्यालय में किस प्रकार एडमिशन दिए गए और किस तरह डिग्रियां बांटी गईं। इन डिग्रियों के आधार पर कई लोग पंजाब, झारखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार आदि राज्यों में नौकरी लग गए और पदोन्नति तक पा ली। जब फर्जी डिग्रियों की जांच की बात आई, तो जांच भी उसी विश्वविद्यालय के पास गई। वहां पुलिस की मिलीभगत के साथ जांच की गई, जिसके आज तक कोई परिणाम सामने नहीं आए हैं।
फर्जी रजिस्टर में एंट्री, निरीक्षण में खानापूर्ति
देवनानी ने कहा कि केवल कागजों में प्राइवेट विश्वविद्यालय और काॅलेज खुलेंगे। लोग फर्जी पी.एचडी. व अन्य डिग्रियां लेकर चले जाएंगे। प्राइवेट विश्वविद्यालयों में फर्जी रजिस्टर में एंट्री होती है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है। सरकारी विश्वविद्यालयों के पास शिक्षक नहीं हैं, लेकिन प्राइवेट विश्वविद्यालयों के पास शिक्षकों की भरमार है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मापदंडों के अनुसार इन विश्वविद्यालयों के पास ना फैकल्टी है, ना स्टाफ है और ना ही संसाधन हैं। कुछ भी नहीं होता है। जबकि निरीक्षण करने में खानापूर्ति कर ली जाती है। केवल निरीक्षण के लिए कुछ शिक्षक इन विश्वविद्यालयों में जाते हैं। अलवर के सनराइज विश्वविद्यालय का निरीक्षण करने वाली टीम में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के दो शिक्षक थे। जेएनयू के क्या हाल हैं, जगजाहिर है। वहां 54 लोगों के मामले कोर्ट में चल रहे हैं, इसके बावजूद प्रबंध मंडल (बाॅम) ने रेग्यूलाइज करते हुए नियुक्ति दे दी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्राइवेट विश्वविद्यालय इस तरह से चलेंगे। उन्होंने कहा कि मापदंडों, नियमों और शिक्षा की गुणवत्ता से सरकार को कोई लेना नहीं है।
व्यास विद्यापीठ विश्वविद्यालय अनुमति का केवल एक कारण
देवनानी ने कहा कि व्यास विद्यापीठ विश्वविद्यालय, जोधपुर को अनुमति देने के लिए विधेयक लाने के पीछे उन्हें केवल एक ही कारण दिखाई देता है कि इसके संचालक जोधपुर जिले के सरदारपुरा के रहने वाले हैं। विश्वविद्यालय खोलने के लिए केवल एक एजूकेशन सोसायटी बनाकर रजिस्टर्ड करा ली गई है, लेकिन सोसायटी के संचालनकर्ता का कोई अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा, सरकार केवल प्राइवेट विश्वविद्यालय इसलिए खोल रही है, क्योंकि सरकारी विश्वविद्यालयों हाल खराब है। कांगे्रस सरकार ने तीन नए विश्वविद्यालय खोले, लेकिन उनके लिए भवन, शिक्षक और संसाधनों की कोई व्यवस्था नहीं की। इस प्रकार सरकारी विश्वविद्यालय खोलने का क्या औचित्य है, यह समझ नहीं आता है।
अजमेर ने पता नहीं सरकार का क्या कसूर किया
देवनानी ने कहा कि सरकारी विश्वविद्यालय भी केवल जयपुर और जोधपुर में खोले जा रहे हैं। अजमेर ने पता नहीं, इस सरकार का क्या कसूर किया, जो अजमेर में वर्षों पहले केवल एक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय खोला गया। इसके बाद एक भी नया विश्वविद्यालय अजमेर में नहीं खोला गया है। केवल प्राइवेट विश्वविद्यालय खुल रहे हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता से नहीं हो कोई समझौता
देवनानी ने कहा कि प्राइवेट विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने, यूजीसी के मापदंडों व नियमों की पालना के लिए सरकार को नियामक आयोग बनाना चाहिए। यदि गुणवत्ता नहीं होगी, तो हमारे विद्यार्थी प्रदेश और देश में ठगे-से रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति देने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पहले से 52 प्राइवेट विश्वविद्यालय चल रहे हैं, जो पर्याप्त हैं। सरकार पहले से चल रहे प्राइवेट विश्वविद्यालयों पर अंकुश लगाने के साथ सरकारी विश्वविद्यालयों की स्थिति सुधारने के लिए कदम उठाए।

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