पुष्पदन्त भगवान का मोक्ष कल्याणक व उत्तम सत्य धर्म विधान पूजा आयोजित Inbox

अजमेर 4 सितम्बर।
आज ऋषभायतन प्रांगण मैं स्थित मानस्तम्भ जो कि करीब 31 फुट ऊंचा है इसमें विराजित प्रतिमाओं का श्रावको ने सामूहिक विशेष अभिषेक किया गया। मानस्तम्भ की इन प्रतिमाओं का अभिषेक करीब 5 वर्ष बाद हुआ इसके लिए नीचे से मचान बांध कर रास्ता बनाया गया । प्रवक्ता विजय पांड्या ने बताया कि सुबह 7 से 10 बजे तक जिनेन्द्र प्रभु के अभिषेक के बाद नित्य नियम पूजा , देव शास्त्र गुरु पूजन ,पुष्पदन्त भगवान पूजन,पँचमेरू पूजन सोलह कारण पूजन समुच्चय पूजन दसलक्षण पर्व के पांचवे दिवस विधान पूजन मैं आज उत्तम सत्य धर्म पर पूजन,उसके बाद विश्व शांति पाठ क्षमापना पाठ , आयोजित हुए। समस्त कार्यक्रम कोकिलकंठी पंडित सुनील धवल व अलका पाटनी के मधुर स्वर मैं संगीत की मधुर ध्वनि के साथ आयोजित हुए। इस अवसर पर पंडित विराग शास्त्री जबलपुर ने रात्रि मैं प्रवचन सभा को उत्तम सत्य धर्म पर बताते हुए कहा कि
सत्य बोलो और धर्म का आचरण करो।*
क्रोध, लोभ, भय और हँसी-मजाक आदि के कारण ही झूठ बोला जाता है। जहाँ न झूठ बोला जाता है, न ही झूठा व्यवहार किया जाता है वही लोकहित का साधक सत्य धर्म होता है। हमें कठोर, कर्कश, मर्मभेदी वचनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जब भी बोलें हित मित प्रिय वचनों का प्रयोग अपने व्यवहार में लाना चाहिए तथा कहा भी गया है-
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय।औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होय।।*
कठोर वचन सत्य की श्रेणी में नहीं आते। सत्य का संबंध तो अहिंसा से है। अहिंसा सत्य को सौंदर्य प्रदान करती है और सत्य ‍अहिंसा की सुरक्षा करता है। अहिंसा रहित सत्य कुरूप है और सत्य रहित अहिंसा क्षणस्थायी है। अहिंसा और सत्य एक सिक्के के दो पहलू है ।
अहिंसा के अभाव में सत्य एवं सत्य के अभाव में अहिंसा की स्थिति नहीं है। नीतिकारों ने कहा है कि सत्य गले का आभूषण है, सत्य से वाणी पवित्र होती है जैसे स्नान करने से शरीर निर्मल हो जाता है।साबुन से वस्त्र स्वच्छ होता है। वैसे ही वाणी सत्य से निर्मल होती है। सत्य पर सारे तप निर्भर करते हैं। जिन्होंने सत्य का पालन किया, वे इस संसार से पार हो गए, मुक्त हो गए। सत्य ही संसार में श्रेष्ठ है। सत्यवादी की जग में सदा ही विजय होती है। इसीलिए कहा है सत्य मेव जयते। अत: हमें अपने जीवन में सदा सत्य का पालन करना चाहिए और सदा ही यह भावना रखनी चाहिए। सत्य धर्म केवल सच बोलने से तात्पर्य नहीं रखता अपितु सच को पाने का सीधा सा अर्थ है की हम आत्मस्वरूप को प्राप्त कर लें । इस संसार में सच्चाई इतनी ही है कि हम शुद्धता का अनुभव करें । प्रवचन पूर्व वीतराग महिला मंडल ने भजनों की प्रस्तुति दी।
विजय पांड्या
9783933641
प्रवक्ता

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