ब्यावर, 27 दिसंबर। शहर की पर्ल आनंदा कॉलोनी में स्वर्णगंगा परिवार की ओर से आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन भारतीय सैनिकों और शहीदों को समर्पित रहा। जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्यामशरण देवाचार्य श्रीजी महाराज ने कहा कि धीरज, धर्म, मित्र, नारी, इन चार की परीक्षा संकट के वक्त होती है। धर्म का पालन राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सरहद पर डटे सैनिकों से सीखना चाहिए। हर व्यक्ति के मन में राष्ट्र के प्रति समर्पण होना चाहिए। हमारे राष्ट्र में ऐसी कई वीरांगनाएं हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व राष्ट्र को समर्पित कर रखा है। उन परिवारों को नमन है जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को राष्ट्र सेवा में समर्पित किया और राष्ट्र रक्षा करते हुए वो शहीद हो गए।
श्रीजी महाराज ने समय का पंछी उड़ता जाए, क्यों प्राणी हरिनाम न गाए.. भजन से भक्ति और जीवन का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि अंत समय में सिर्फ भगवान की भक्ति ही साथ जाएगी और उसी के जरिए जीव का मोक्ष संभव है। भक्ति में इतनी शक्ति है कि भगवान नृसिंह बनकर खम्भे से भी प्रकट हो जाएंगे लेकिन आपको भक्त प्रहलाद बनना होगा। पति-पत्नी के दांपत्य जीवन से जुड़े किस्से सुनाते हुए हास्य विनोद किया ताे पांडाल में मौजूद हजारों श्रोता ठहाके लगाने लगे। कथा में मेघा अग्रवाल व स्वरा अग्रवाल ने धार्मिक प्रस्तुति दी। जालंधर से आए संकीर्तनाचार्य पंडित विनोद शर्मा व अजमेर के पंडित रविशंकर शास्त्री ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी। मंच संचालन सुमित सारस्वत ने किया। कथा प्रारंभ होने से पहले मथुरा से पधारे स्वामी संजीवानंद महाराज, वृंदावन से साध्वी कमलेश सरस्वती चकोरीजी, स्वामी धर्मानंद महाराज, गणपत सर्राफ, दिल्ली से गिरधर अग्रवाल, जयपुर से कृष्णा अनिल गुप्ता, जोधपुर से सविता डाणी, कलकता से गुड़िया, मकराना से मुन्नालाल, रूपनगढ़ से उषा गर्ग, जयनारायण, रामअवतार, फुलेरा से सुरेश, हेमलता व अन्य भक्तों ने व्यासपीठ का पूजन कर आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
सनातन संस्कृति से राष्ट्र की महिमा
श्रीजी महाराज ने कहा कि ऐसे लोगों पर धिक्कार है जो हिंदू मंदिरों को छोड़कर विधर्मियों के यहां दूसरे धर्म के धर्मस्थलों पर जाते हैं। उन्हीं में एक स्थान अजमेर में है जहां बड़ी तादाद में हिंदू जाते हैं। ऐसे स्थान पर जाने वालों को हिंदू धर्म से बाहर निकाल देना चाहिए। सभी को याद रखना चाहिए कि यह हिंदू राष्ट्र है। यहां सनातन धर्म का राज है। इस राष्ट्र की महिमा सनातन संस्कृति से है। गर्व होना चाहिए कि आप हिंदू हैं और आपने सनातन धर्म की भारत भूमि पर जन्म लिया है।
कुछ दिन गुजारो मारवाड़ में
आचार्यश्री ने मारवाड़ की महिमा बताते हुए कहा कि मारवाड़ी बोली में मिठास है। यहां की मान-मनुहार आत्मीयता से भरी है। यह धोरों की धरती है। यहां देवता भी रमण करने आते हैं। यहां का व्यक्ति देश-विदेश के किसी भी क्षेत्र में विफल नहीं हो सकता। उन्होंने ठेठ मारवाड़ी बोली में यह भी बताया कि ‘जठै न पूगे गाड़ी, बठै पूग जावे मारवाड़ी’।
