सिन्धु इतिहास एवं शोध साहित्य संस्थान का उद्घाटन जून माह में

सफल संचालन के लिये हुई बैठक में लिये अहम फैसले
अजमेर 22 मई। सिन्धी समाज महासमिति द्वारा नये प्रकल्प सिन्धु इतिहास एवं शोध साहित्य संस्थान की विधिवत स्थापना के संदर्भ में अजमेर के प्रमुख शिक्षाविद्, साहित्यकार, पत्रकार व समाजसेवियों की एक बैठक श्री अमरापुर सेवा घर, कोटडा पर आयोजित की गई। सफल संचालन के लिये बैठक में कई बिन्दुओं पर चर्चा कर अहम फैसले लिये।
अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी ने बताया कि युवा पीढी को सिन्धी इतिहास, साहित्य व शोध कार्य के लिये एक सम्पूर्ण सुविधायुक्त शोध केन्द्र की विधिवत स्थापना के साथ उदघाटन समारोह का आयोजन करने की चर्चा बैठक में की गई। इस शोध केन्द्र में 4000 से अधिक पुस्तकें एकत्रित की जा चुकी है जिसमें अरबी सिन्धी व देवनागिरी सिन्धी में सिन्ध के इतिहास, संस्कृति, पहनावा, विभाजन की त्रासदी, सभ्यता सिन्ध के पुराने गीत, नाटक, खेल व मुख्य रूप से रामायण महाभारत, वेद, भारत का संविधान, शब्द कोष, धर्मशास्त्र, वृत कथायें व आरतियां के साथ शिक्षा से जुडी अनेक पुस्तकें उपलब्ध है, जिन्हे क्रमबद्ध तरीके से कोड नम्बर सहित तैयार कर लिया गया है आने वाले दिनों में इन पुस्तकों को देवनागिरी, हिन्दी व अग्रेंजी में भी अनुवाद कर प्रकाशन कार्य संस्थान भामाशाहों के सहयोग से करायेगा। सेवा घर में रहने वाले आवासियों ने भी इस पुनीत कार्य में सहयोग प्रदान किया है। जून माह में शोध केन्द्र का उद्घाटन विधिवत किया जायेगा।
इस अवसर पर भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि अजमेर की धरती पर रखे इतिहास को इतिहासकार व साहित्यकारों के सहयोग से संकलन किया जा रहा है इस संगठन की ओर से युवा पीढी से जुडाव के प्रयासों में सहयोग मिलेगा व संगठन की ओर से सिन्धी विश्वविद्यालय के प्रयासों में सहयोगी रहेगी।
म.दस.विश्वविद्यालय के सिन्धु शोध पीठ निर्देशक डा्. सुब्रुधो दत्ता ने कहा कि ऐसे पुनीत कार्य के लिये हम मिलकर छात्रों के लिये सहयोग करेगें। पूर्व निर्देशक डाॅ. लक्ष्मी ठाकुर ने कहा कि मेरी सदैव इच्छा रही है कि विद्यार्थियों को शोध कार्य व शैक्षणिक कार्य से जोडकर आयोजन हो।
व्याख्याता राधाकिशन मोटवाणी ने कहा कि शोध करने वाले विद्यार्थियों को छोटे-छोटे आर्टिकल को सत्यता व प्रमाणिकता के साथ लिखना चाहिये जिससे उसके शोध की प्रमाणिक पहचान बनें जिसके लिये मैं स्वयं अपनी सेवायें देने को तैयार हूं।
साहित्यकार व संगीतकार ढोलण राही ने कहा कि कवियों लेखकों व इतिहासकारों के लिखी गई पुस्तकों का संग्रहण कर युवा पीढी को पहुंचाने के प्रयास मील के पत्थर साबित होगा।
राजकीय महाविद्यालय में सिन्धी की व्याख्याता डाॅ. परमेश्वरी पमनाणी ने कहा कि सिन्धी में बीए/एमए के अध्ययन हेतु राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद से पुस्तकें उपलब्ध करवाई जा रही है।
सिन्धु समिति के भगवान साधवाणी ने कहा कि युवा पीढी को पी.डी.एफ. के साथ स्पीच व वीडियो तैयार करना चाहिये जो मोबाइल के माध्यम से अध्ययन कर सके।
आदर्श विद्यालय के मास्टर टेउंमल ने कहा कि विद्यालय में उपलब्ध लाइब्रेरी की पुस्तकों का उपयोग शोध केन्द्र पर किया जाये जिससे पुराने इतिहास सही तरीके से सदुपयोग हो सके।
प्रशासनिक अधिकारी जी.डी. वृंदाणी ने कहा कि यह कार्य देखकर मैं अचंभित हूं कि आज के समय में पुराने इतिहास को आने वाली पीढी को सौ वर्ष बाद भी पुस्तकों से ज्ञानवर्धन हो सकेगा। सिन्धु ब््ोली विकास समिति के अध्यक्ष एम.टी, वाधवाणी ने कहा कि सभी सामग्री को देश दुनिया में पहुंचाने के लिये वेबसाइट का निर्माण कर सभी को उपलब्ध कराये जा सके।
बैठक में हरकिशन टेकचंदाणी, पुरूषोतम मूलचंदाणी, जे.आर. जगवाणी, दिनेश रोहाणी, अजीत पमनाणी, दिलीप थदाणी, महेश मूलचंदाणी, राजेश टेकचंदाणी, हरीश गोस्वामी, दिलीप बूलचंदाणी, शंकर बदलाणी ने भी अपने विचार प्रकट करते हुये अपने पूरे सहयोग की बात रखी। महासचिव हरी चंदनाणी ने सभी का आभार प्रकट किया।
कंवल प्रकाश
9829070059

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