गुरुदेव श्री सौम्यदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि घर परिवार में रिश्तो और आपसी संबंधों में मधुरता का होना अति आवश्यक है। रिश्तो में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो खून से जुड़े रहते हैं ।जैसे भाई भाई का, बहन भाई का ,मां बेटे का आदि मगर कुछ रिश्ते प्रेम के धागों से जुड़े होते हैं उनमें से एक रिश्ता है सास और बहू का। घर परिवार में यह रिश्ता बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता है, क्योंकि इस रिश्ते के सही रहने पर ही घर में सुख शांति और स्वर्गमय वातावरण का निर्माण हो सकता है। इस रिश्ते को सही बनाने के लिए सास को बहू को बेटी के समान मानना चाहिए, और बहू को सास को मां के समान मानना चाहिए। सास अपनी बेटी के लिए जो चाहती है, या जैसा व्यवहार बेटी के साथ करती है, वैसा ही व्यवहार बहु के साथ रखें ।भेदभाव का त्याग करें ।क्योंकि बेटी को तो लक्ष्मी ही कहा जाता है, मगर बहू को तो गृह लक्ष्मी कहा जाता है ।अतः आप अपने घर की लक्ष्मी का पूरा पूरा ख्याल रखें ।
रिश्तो को निभाने के लिए केवल एक पक्ष से ही काम नहीं चलता। जैसे गाड़ी को चलाने के लिए दोनों पहिए चाहिए, उसी प्रकार सास बहू का आपसी तालमेल आपसी सहयोग और प्रेम गृहस्थी जीवन को सुंदर बना देता है। बस इसके लिए आपको छोटी-छोटी बातों को गौण करने की आवश्यकता है ।ध्यान रखें घर परिवार में टकराव और संघर्ष ज्यादातर छोटी-छोटी बातों को लेकर ही होता है ।सास बहू एक दूसरे के स्वार्थों का त्याग करके अगर रिश्तो को निभाने के लिए कुछ कुर्बानी भी देनी पड़े या अपना हित भी छोड़ना पड़े तो छोड़ दे ।मगर रिश्तो को टूटने नहीं दे। रिश्तो की मधुरता को खत्म नहीं होने दे ।अगर ऐसा प्रयास और पुरुषार्थ रहा तो आपके आपसी संबंध मधुरता और मजबूती को प्राप्त हो सकेंगे।
धर्म सभा को पूज्य श्री विराग दर्शन जी महारासा ने भी संबोधित किया।
धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा ने किया।
पदम चंद जैन
* मनीष पाटनी,अजमेर*