*देवनानी की सक्रियता और पहल, अब लाएगी रंग*

-आनासागर में जलकुंभी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पूरी तरह एक्शन मोड में
-मौके पर किया अवलोकन, अफसरों की खिंचाई, शासन सचिव से बात कर उच्च स्तरीय कमेटी बनाने के दिए निर्देश
-जलकुंभी के विकराल रूप धारण करने से देवनानी चिंतित, झील में गिर रहा दूषित पानी और गंदगी
-अमृत योजना तहत 8 एमएलडी के एक नए बन रहे एसटीपी को भी जल्दी पूरा करने के दिए निर्देश
-एनजीटी के निर्देशानुसार शहर के नालों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ना था, लेकिन अभी भी कई नालों का पानी आनासागर झील को कर रहा है दूषित

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील में पूरी तरह पसरी जलकुंभी को साफ कराने के लिए अब अजमेर उत्तर के विधायक और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पूरी तरह एक्शन मोड में आ गए हैं। वे आनासागर में जलकुंभी की समस्या से खासे चिंतित भी हैं और नागरिकों की चिंता से सरोकार भी रखते हैं। इसीलिए उन्होंने तीन दिन पहले रविवार को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का अवलोकन किया और कामकाज में धीमी गति पर अफसरों की खिंचाई की। उन्होंने झील से जलकुंभी हटाने के लिए कामों को और गति देने तथा एसटीपी को पूरी क्षमता के साथ संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से साफ शब्दों में कहा कि झील के किनारे 2014 के बाद बने अवैध रेस्टोरेंट और ढाबों सहित सभी निर्माणों को सीज किया जाए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में गलत जवाब भेजने वाले अफसरों की जिम्मेदारी तय हो और मछलीपालन के ठेके पर पुनर्विचार हो, ताकि झील को स्वच्छ एवं स्वस्थ पानी मिल सके और जलकुंभी का खात्मा हो। यहां देवनानी को सबसे पहले यह भी देखना पड़ेगा कि पूर्ववर्ती सरकार के राज में किन-किन अधिकारियों के हस्ताक्षर से एनजीटी में गलत जवाब दिया गया था। सबसे पहले तो उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए तुरंत प्रभाव से अजमेर से रूखस्त किया जाना चाहिए। यदि इनमें शामिल किसी अधिकारी का अजमेर से तबादला हो चुका है, तो उसकी भी जवाबदेही करते हुए कार्यवाही की जद में उन्हें भी शामिल करना चाहिए। तबादला हो जाने से किसी की जिम्मेदारी और जवाबदेही खत्म नहीं हो जाती है। यही नहीं, बार-बार चेताने के बाद भी अभी तक एनजीटी के आदेशों-निर्देशों और फैसलों की पालना नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए।

प्रेम आनंदकर
👉देवनानी ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान्ट का निरीक्षण किया और अफसरों को मौके पर बुलवाकर अब तक की गई कार्यवाही की जानकारी ली। उन्होंने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि अब तक सभी नालों का गंदा पानी एसटीपी के जरिए शुद्ध करके झील में नहीं डाला जा रहा है। जबकि अफसर एनजीटी में यह जवाब भेज चुके है कि झील में सभी नालों का पानी एसटीपी में शुद्ध करने के बाद ही डाला जा रहा है। ऐसे अफसरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब ऐसा नहीं चलेगा और आगामी एक महीने में सभी नालों का पानी एसटीपी में शुद्ध करके ही झील में डाला जाए। एसटीपी को अपनी पूरी क्षमता यानी 13 एमएलडी प्रतिदिन की क्षमता से संचालित किया जाए। अब आप खुद देखिए अध्यक्ष जी, यह अधिकारी अपनी खाल बचाने के लिए किस स्तर तक झूठ बोल सकते हैं। आपको बता दें, एनजीटी केवल अधिकरण (ट्रिब्यूनल) नहीं है, बल्कि पर्यावरण की बड़ी अदालत है। ऐसे अधिकारियों का क्या किया जाए, जो बड़ी अदालत में भी सफेद झूठ बोल देते हैं। उनके झूठ बोलने का मतलब सरकार का झूठ बोलना होता है। तो क्यों नहीं सरकार की किरकिरी कराने और अजमेर के साथ धोखा करने वाले ऐसे अधिकारियों को जल्द से जल्द अजमेर से विदा कर दिया जाए और ऐसे अधिकारियों को लाया जाए, जो केवल जनता के हितों की रक्षा कर सकते हैं।
👉देवनानी ने बताया कि पिछले 4-5 वर्ष तक एसटीपी की कोई संभाल ही नहीं की गई। अब जबकि जलकुंभी विकराल स्वरूप धारण कर चुकी है, तब इसको गति दी जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि गंदा पानी आनासागर में न गिरे और आनासागर के एसटीपी में जा रहे पानी की जांच भी प्रति सप्ताह करवायी जाए। देवनानी जी, कांग्रेस शासनकाल में अधिकारियों की मौज रही, जमकर मनमानी की। कोई देखने वाला नहीं था। पूरे पांच साल तक एक भी एसटीपी बंद पड़ा रहा, तो अब सवाल उठता है कि लाखों-करोड़ों रूपए खर्च कर एसटीपी क्यों बनवाया गया था। एसटीपी बंद पड़ा रहा, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है। जो भी अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार हों, उनके खिलाफ कार्यवाही तो होनी चाहिए। अब आप सोचिए एसटीपी जैसे महत्वपूर्ण प्लांट को इन अधिकारियों ने ताबूत बनाकर रख दिया था, ऐसे और ना जाने कितने महत्वपूर्ण संस्थान और प्लांट होंगे, जो अधिकारियों की मनमानी और अनदेखी के शिकार होकर बंद पड़े होंगे।
👉देवनानी ने बताया कि एनजीटी के निर्देशानुसार शहर के नालों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोडना था, लेकिन अभी भी कई नालों का पानी आनासागर झील को दूषित कर रहा है। पूर्ववर्ती सरकार के अधिकारियों ने एनजीटी के सामने गलत रिपोर्ट और तथ्य पेश किए कि हमारे द्वारा सभी नालों को एसटीपी से जोड़ दिया है। देवनानी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शीघ्र ही बचे हुए नालों को भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाए। अब आप ही बताइए, पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में मक्कार अधिकारियों ने किस तरह मलाई खाई।
👉देवनानी ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की कि झील के किनारे बने अवैध रेस्टोरेंट और ढाबों सहित होटलों व खाने पीने की वस्तुओं के बेचान से झील का पानी गंदा हो रहा है और नगर निगम इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। ऐसे वर्ष 2014 के बाद बने सभी अवैध रेस्टोरेंट, ढाबों व दुकानों को सीज किया जाए तथा सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी तरह से गंदगी झील में नहीं जा पाए। देवनानी ने कहा कि निगम शीघ्र इस पर कार्यवाही करे। इसी तरह जलकुंभी हटने तक झील में मछली पालन के ठेके पर भी पुनर्विचार हो। झील में बने टापू पर भी खाने पीने की वस्तुओं के सम्बन्ध में उचित कार्यवाही हो। झील के किनारों पर आटा गोली बेचने वालों पर भी प्रतिबन्ध लगे तथा अवैध कब्जों के खिलाफ कार्यवाही हो।
👉देवनानी कहा कि नगर निगम एवं प्रशासन की एक सक्षम समिति जांच करे कि अब तक कितने नालों को एसटीपी से जोड़ा गया है और शेष को जल्दी जोड़ा जाए। बांडी नदी से आने वाली गंदगी भी झील में नहीं जाए। उन्होंने उच्च स्तर पर भी इस संबंध में बात कर जलकुंभी हटाने के लिए अजमेर नगर निगम का सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। देवनानी ने बताया कि शीघ्र ही झील के संपूर्ण संरक्षण के लिए जिला प्रशासन के स्तर पर एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी, जिसमें नगर निगम, मछलीपालन विभाग, सिंचाई विभाग एवं अन्य विभागों से समन्वय कर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
👉देवनानी ने जिस तरह अधिकारियों की खिंचाई की है, उससे उम्मीद है कि आनासागर एक साफ और स्वच्छ झील के अपने पुराने स्वरूप में जल्द ही लौट आएगी। इसकी रौनक और प्राकृतिक सौंदर्य की छटा फिर से बिखरने लगेगी।

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