जैन धर्म के तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी की शिष्याओं मुमुक्षु बहनों राजुल बाई, मुमुक्षु खुशी बाई, मुमुक्षु भावना बाई, मुमुक्षु कनिष्का बाई की उपस्थिति में इस वर्ष सामुहिक रूप से सुंदर विलास स्थित तेरापंथ भवन में त्याग तपस्या के पावन पर्व पर्युषण महापर्व को मनाया जा रहा है। पर्युषण के पांचवें दिन अणुव्रत चेतना दिवस मनाया गया। इस मौके पर बताया गया कि अणुव्रत चरित्र-निर्माण का आंदोलन है कथनी-करनी की समानता तथा ज्ञान और आचरण की दुरी कम करने का नाम है। अणुव्रत जीवन-विकास का प्रारम्भ है। यह शक्ति को जगाने का दिव्य मंत्र है। अणुव्रत की आधारशिला संयम है। यह आचरण की शुद्धि का उपक्रम है इसलिए मानव धर्म है। अणुव्रत आवश्यकताओं का अल्पीकरण है जो ऊंचाई की ओर बढ़ने का सरलतम मार्ग भी है। यह अहिंसा, शांति, पवित्रता और चरित्र का उदगम स्थल है, यह नाश के मार्ग से बचाकर व्यक्ति को सन्मार्ग पर स्थापित करता है। अणुव्रत पतन के गड्ढ़े में गिरते मानव को ऊपर उठने का सशक्त माध्यम है। यह व्यसन मुक्त जीवन अणुव्रत का आदर्श है। व्रत का अणु भी व्यक्ति को अनेक विध बुराइयों से उबार लेता है। अणुव्रत के तीन कार्य हैं जिसमें व्यक्ति का चरित्रवान बनाना,व्यवहार की शुद्धि करना एवं धर्म समन्मय करना है।
अशोक छाजेड़
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