जीवन को सही दिशा देते हैं वेद

vedअजमेर/ वेद हमें सहीे देखने, सोचने और करने का तरीका सिखाते हैं। धर्म आचरण है क्या करना चाहिये क्या नहीं यह बताता है, किन्तु जीवन के लिए क्या श्रेष्ठ है यह अंतिम निर्णय तो वेद से ही आता है। वेद को सही अर्थाें में समझना आज की आवश्यकता है। ये विचार राजस्थान संस्कृत अकादमी, ग्लोबल सिनजी, परोपकारिणी सभा, नाट्यवृंद व अ.भा.साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में पुष्कर रोड़ स्थित ऋषि उद्यान में आयोजित हो रहे दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय वेद सम्मेलन‘ के समापन समारोह में मुख्य अतिथि परोपकारिणी सभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. धर्मवीर ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्षा डॉ. सुषमा सिंहवी ने वेद को मनुष्यता का संविधान बताते हुए कहा कि वेद को आगे बढ़ाने के लिए अन्य भाषाओं से भी समन्वय करना होगा। विश्व की मानवता के विरूद्ध कोई भी कृत्य निंदनीय है, यह वेद ही हमें सिखाते हैं। उन्होंने बताया कि संस्कृत अकादमी प्राचीन हस्तलिखित संस्कृत ग्रंथों के डिजिटिलाइजेशन का काम शुरू करने जा रही है ताकि नयी पीढ़ी इन्हें पढ़कर अपने सांस्कृतिक गौरव को पहचान सके। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज युवा पीढ़ी वेद को जानने की ललक रखती है। विशिष्ट अतिथि विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि आज हम भौतिकवाद में लिप्त होकर आध्यात्म से दूर हो रहे हैे। वेद केवल संस्कृत के ज्ञाताओं तक ही सीमित न रह जाए, यह सरल और संक्षिप्त रूप में युवा विद्यार्थियों तक कैसे पहुँचे इस पर आज चिन्तन की आवश्यकता है। वे वेद ही हैं जिनके कारण भारत आज भी विश्वगुरू कहलाता है। इस अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की संयुक्त महासचिव रेखा दवे भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थी। संयोजक डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली ने सम्मेलन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। वैदिक मंगलाचरण से प्रारंभ हुए समापन समारोह का संचालन साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया ने किया तथा आभार ग्लोबल सिनर्जि की डॉ. श्रद्धा चौहान ने दिया।

दूसरे दिन के सत्रों में अध्यक्षता कर रहे वेदविद्वान ओममुनी ने कहा कि वेद ऐसी कुंजी है जिसमें सभी विषय समाहित हैं और सभी समस्याओं का समाधान इनमें विद्यमान है। डॉ. बद्रीनारायण पंचोली ने वेद के पुरूष सूक्त के प्रथ मंत्र की विस्तृत व्याख्या की। डॉ. रामभरोसी गुप्ता ने वेद और विज्ञान विषय पर व्याख्यान दिया। सत्रों का संचालन डॉ. सहदेव शास्त्री व डॉ. प्रहलाद दुबे ने किया। शांति पाठ से सम्मेलन का समापन हुआ।
लोकार्पण- इस अवसर पर पं. जागेश्वर प्रसाद निर्मल रचित एवं डॉ. मोक्षराज द्वारा संपादित पुस्तक यजुर्वेद प्रकाश का लोकार्पण अतिथियों ने किया।
विशिष्ट विद्वजनों का सम्मान- समारोह में वेदविज्ञ पं. बद्रीनारायण पंचोली एवं विज्ञान पुरूष पं. शिवनारायण उपाध्याय को उनकी वेद अध्ययन और शोध के क्षे़़त्र में उनके विशेष योगदान के लिए शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अखिलेश, अशोक भागवत, दुष्यन्त पारीक, गुमान सिंह, भागीरथ जोशी, जयदेव आदि सहयोगियों का भी सम्मान किया गया।
शोधपत्र हुए प्रस्तुत- वीडीयो प्रस्तुति के माध्यम से डॉ. अनीता खुराना ने वेदों में मानव धर्म के मूलसूत्र की व्याख्या विषय पर रोचक शोधपत्र प्रस्तुत किया। दूसरे दिन देशभर के विविध विश्वविद्यालयों से आये 32 वेद शोधार्थियों ने वेद के विविध सूक्तों पर आधारित शोध पत्र प्रस्तुत किये।
– उमेश कुमार चौरसिया

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