व्यावहारिक जीवन में वेदान्त’ विषय पर एक व्याख्यान

vअजमेर। विवेकानन्द सार्ध शती समारोह समिति अजयमेरू के तत्वाधान ’व्यावहारिक जीवन में वेदान्त’ विषय पर एक व्याख्यान श्रीराम धर्मशाला में आयोजित किया गया। जिसमें विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी की अखिल भारतीय उपाध्यक्ष माननीय निवेदिता भिड़े मुख्यवक्ता के रूप में उपस्थित थीं तथा अध्यक्षता दिनेश अग्रवाल ने की।
निवेदिता जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी कहते थे कि दुनिया तभी पवित्र और अच्छी हो सकती है। जब हम स्वयं पवित्र व अच्छे हों। विवेकानन्द जी के कई संस्मरणों की जानकारी देते हुए बताया कि आधुनिक भारत में योग व वेदान्त अति आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द कहते थे कि हमारी परम्परा ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः‘‘ की है। विश्व में रहने वाला व्यक्ति ही नहीं प्रत्येक जीव को सुख की अनुभुति हो।
स्वामी जी ने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में तीन समस्याऐं आनी वाली हैं। पहली विघटन- जिसमें समाज, परिवार व व्यक्ति एक दूसरे को विश्वास न होने की वजह से एक दूसरे को दूर कर रहा है। शरीर, मन व बुद्धि का विघटन हो रहा है। दूसरा अश्रद्धा- धर्म ग्रन्थों, धर्मगुरूओं, परिवार के मुखिया से यह प्रश्न पूछा जाएगा कि ये क्यों हो रहा है और ये मैं क्यों करूं? तीसरा अतृप्ति- व्यक्ति को और सम्पदा चाहिए, और वैभव चाहिए, और सुख चाहिए। उसको बटोरने के प्रयास में व्यक्ति में अतृप्ति की भावना पैदा होगी। यह सभी चीजें वेदान्त और योग से ही पूरी की जा सकेंगी। जिसका अपार भण्डार सिर्फ हमारे भारत में ही है।
v 1उन्होंने कहा कि शाश्वत सुख का स्रोत अपने अन्दर ही है जब तक हम बाहर ढूढेंगे तब तक समाधान नहीं मिलेगा। व्यक्ति को अपने दुःख का कारण दूसरे को नहीं मानना चाहिए, स्वंय की जिम्मेदारी समझनी चाहिए। स्वामी जी कहते थे रोते रहने से परिस्थितियां नहीं बदलेगी, मैं जहां हूॅ वह काम मैं ही कर सकता हूं, ऐसा भाव मन में रखकर काम करना चाहिए
यह देश कब जागृत होगा यह सोच-सोच कर स्वामी जी कई-कई दिनों तक नहीं सोए थे। वो तड़प रहे थे कि यह देश कब तत्व ज्ञान को अपने अन्दर लाएगा।  स्वामी जी देशवासियों कहते थे कि तुम सोए हुए हो इस तत्व ज्ञान को भुलाए हुए हो। जबकि सारा विश्व भारत की ओर देख रहा है। स्वामी जी की इसी प्रेरणा को लेते हुए इस सार्ध शती वर्ष में समिति ने आह्वान किया है भारत जागो विश्व जगाओ।
  कार्यक्रम के शुरूआत तीन बार ॉकार प्रार्थना व विवेकानन्द की मूिर्त के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। संयोजक उमरदान व सह संयोजक लक्ष्मण पंजाबी ने निवेदिता जी व दिनेश जी का स्वागत किया। श्री उमेश चौरसिया ने कार्यक्रमों व गतिविधियों की जानकारी दी। विवेकानन्द पर  कु. मनीशा ने संस्कृत गीत ’भुवन मण्डले नव युग मुदयतु’ प्रस्तुत किया गया। हरि सिंह ने विवेक वाणी सुनाई। अंत में दिनेश अग्रवाल द्वारा आभार व धन्यवाद प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर शहर के सैंकड़ों गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
-उमरदान, संयोजक
9414281331
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