यकायक सुर्खियों में आ गए दरगाह दीवान

dargaah deevan 6यूं तो दुनिया भर में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जेनुल आबेदीन अली खान एक नेशनल फीगर हैं ही, मगर हाल ही उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री परवेज अशरफ के दरगाह शरीफ की जियारत के दौरान विरोध प्रदर्शन करते हुए जिस प्रकार जियारत का बहिष्कार किया, उससे वे यकायक सुर्खियों में आ गए हैं। सुर्खी भी छोटी-मोटी नहीं। कट्टर हिंदूवादी संगठन शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे यदि उन्हें उनके इस कदम की बिना पर भारत रत्न देने की पैरवी कर रहे हैं तो यह कोई कम बात नहीं है। हालांकि यह तय सा है कि कांग्रेस नीत सरकार उन्हें भारत रत्न नहीं देने वाली, मगर ठाकरे का अदद मांग करना ही अपने आप में बड़ी बात है। उनकी जियारत का बहिष्कार करने की घोषणा को भी सारे राष्ट्रीय इलैक्ट्रॉनिक चैनलों व सारे अखबारों ने काफी तवज्जो दी थी।
बकौल ठाकरे देशभक्ति की भावना और देश प्रेम से उन्होंने यह दिखा दिया है कि वे देश के सच्चे रत्न हैं। इतना ही नहीं उन्होंने तुलना करते हुए भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को उनकी ओर से अशरफ का भव्य स्वागत करने पर उन्हें लानत दी है। ठाकरे ने जियारत कर चले जाने के बाद अजमेर में अशरफ के गुजरने वाले रास्तों की धुलाई करने वालों की भी तारीफ की है।
आइये, इस मौके पर दरगाह दीवान की निजी जिंदगी के बारे में भी जान लें। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार वे ख्वाजा साहब की वंश परंपरा में निकटतम उत्तराधिकारी हैं, हालांकि दरगाह के खादिम इसे स्वीकार नहीं करते और उन्हें एक मुलाजिम मानते हैं।
दरगाह दीवान का सैयद जेनुल आबेदीन अली खान जन्म 24 दिसम्बर, 1951 को हुआ। उन्होंने इतिहास, उर्दू व परशियन में बी.ए. और एल.एल.बी. की शिक्षा अर्जित की है। वे हिंदी व अंग्रेजी के अतरिक्त उर्दू व परशियन भाषा के अच्छे जानकारी हैं। उनके वशंजों को मुगल बादशाह अकबर महान की ओर से दीवान व मुगल बादशाह शाहजहां की ओर से अली खान की पदवी प्रदान की गई थी। सन् 1877 को ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया की ओर से शेख-उल-मशायख की उपाधि दी गई। वे ख्वाजा साहब के उर्स में महफिलखाने में छह दिन होने वाली महफिल, हर गुरुवार को अहाता-ए-नूर में होने वाली महफिल, हर माह की छठी शरीफ की महफिल, हर माह की चांद की 14 तारीख को कुतुब साहब के चिल्ले पर होने वाल महफिल और मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर 11 रबी उल अव्वल को होने वाली महफिल की सदारत करते हैं। वे उर्स के दौरान छहों दिन ख्वाजा साहब के मजार शरीफ को गुसल देने रस्म में शरीक होते हैं। वे 27 व 28 अगस्त 2000 को संयुक्त राष्ट्र संघ के असेम्बली हॉल में मिलेनियम वल्र्ड पीस सम्मिट में आतंकवाद व मुस्लिम जगत के बारे में भाषण दे चुके हैं।
-तेजवानी गिरधर

1 thought on “यकायक सुर्खियों में आ गए दरगाह दीवान”

  1. दरगाह दीवान बधाई के तो पात्र तो हैं ही,उनका खुल कर इस प्रकार पाक प्रधान मंत्री का सम्मान करने से इंकार,उनके बुलुंद होंसले को बताता है,उनकी यह भावना उन लोगों के मुहं बंद करने के लिए भी एक तमाचा है, जो बात बात पर सभी मुस्लिमों को शक की निगाह से देखते हैं.जब की देश विरोधी कार्यवाही करने वाले लोग,सभी धर्म जाति में बैठे हैं.

Comments are closed.

error: Content is protected !!