उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान ने की प्रगति-राजीव स्वरूप

aअजमेर। पुष्कर में गोलमेज सम्मेलन के अंतिम सत्र में पैनल डिस्कशन की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख शासन सचिव श्री राजीव स्वरूप ने कहा कि राजस्थान ने विगत साढे 4 वर्षो में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है। राजस्थान के जोधपुर में आईआईटी, उदयपुर में आईआईएम, किशनगढ में केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं कोटा में ट्रिपल आईटी जैसे राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थान इसके उदाहरण है। उन्होंने बताया कि पहले राजस्थान को शिक्षा के क्षेत्र में पिछडा माना जाता था, लेकिन अब स्थितियां बदली है। राजस्थान में इस समय राज्य वित्तपोषित 26 विश्वविद्यालय है, साथ ही 36 निजी विश्वविद्यालय है। इसके अलावा राजस्थान के सभी विश्वविद्यालयों में इंगलिश लेब, स्मार्ट क्लासरूम एवं स्कॉलरशिप जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई है।
श्री राजीव स्वरूप ने कहा कि इन आंकडों के बावजूद उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कुछ ऐसे क्षेत्र है, जिन पर विचार-विमर्श आवश्यक है। उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए इस गोलमेज सम्मेलन के सुझाव महत्वपूर्ण एवं पथ प्रदर्शक होंगे। पैनल डिस्कशन में प्रो. अखिलेश कुमार, प्रो. टी.वी. मोहनदास पाई, प्रो. योगेश अटल, प्रो. के.बी. कोठारी, प्रो. के.एल. शर्मा ने भी अपने सुझाव दिए।

aaराज्य के तीर्थ पुष्कर से आज राजस्थान में अगले दस साल में उच्च शिक्षा परिदृश्य बदलने के लिए 2 दिवसीय ‘‘रोड मेप फॉर हॉयर एजूकेशन इन राजस्थान’’ का राष्ट्रीय स्तर का गोलमेज सम्मेलन प्रारम्भ हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय अनुसंधान प्रोफेसर पदम्श्री प्रो. गोवर्धन मेहता ने कहा कि राष्ट्र के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ‘‘गर्वनेंस व लीडरशिप’’ की गम्भीर एवं सोचनीय स्थिति है, अतः जवाबदेही, प्रतिबद्धता व गुणवत्ता का समावेश करके उच्च शिक्षा परिदृश्य को बदलने के लिए सामूहिक प्रयास किये जाने चाहिए।
राज्य आयोजना बोर्ड एवं राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, किशनगढ़, अजमेर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में प्रो. गोवर्धन मेहता ने उच्च शिक्षा मापदण्ड बदलने के लिए चार सूत्रीय फार्मूला प्रस्तुत किया। प्रो. मेहता ने कहा कि उच्च शिक्षा में कार्य करने के प्रोसेस को सुधारने के लिए, डिग्री कोर्स को रोजगार से जोड़ने एवं डिग्री कोर्स की संरचना को वर्तमान परिप्रेक्ष्य के अनुसार आमूलचूल परिवर्तन, उच्च शिक्षा के गुणवत्ता, मूल्यों को जोड़ने तथा वैश्विक नागरिक (ग्लोबल सिटीजन) तैयार करने की नीति के लिए नीतिगत निर्णय करने की जरूरत है।
aaaराज्य आयोजना बोर्ड, राजस्थान के उपाध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य पद्मभूषण प्रो. विजय शंकर व्यास ने सम्मेलन में अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार के लिए छात्रों, फैकल्टी, संस्थागत नियामक व्यवस्थाओं तथा समाज की जरूरत को ध्यान में रखकर नीतिगत परिवर्तन करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विचार मंथन किये जाने की अहम आवश्यकता है। उच्च शिक्षा क्षेत्र में बहुत सारे गैप्स हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिए।
प्रो. गोवर्धन मेहता ने बताया कि प्रतिवर्ष 50 से 60 लाख विद्यार्थी डिग्री के लिए प्रवेश लेते हैं, लेकिन उनकों रोजगार मिलना बड़ी चुनौती बना हुआ है। हम ‘‘वर्थलेस ग्रेजुएट’’ (अनुपयोगी स्नातक) तैयार कर रहे हैं जिनके पास कोई गुणवत्ता नहीं है, फिर भी उनकी उच्च आकांक्षाएं हैं। समाज के नैतिक मूल्यों का समावेश व सम्मान नहीं करने से असंतोष का वातावरण तैयार होता है। उन्होंने कहा कि ‘‘देश के डिग्री कोर्स’’ के पूरे मॉडल पर पुर्नविचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में आने वाले लगभग 70 प्रतिशत छात्र अध्ययन में भाग नहीं लेते हैं, अतः उन्हें शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के लिए ‘‘इन्टरएक्टिव’’ व आकर्षित करने की रणनीति बनाई जानी चाहिए।
aaaaसम्मेलन के संयोजक राज्य आयोजना बोर्ड के सदस्य तथा शिक्षा कार्य समूह के अध्यक्ष प्रो. अशोक बापना ने कहा कि सम्मेलन में देशभर से आये शिक्षाविद्ों के गहन विचारों के आधार पर राज्य में उच्च शिक्षा परिदृश्य बदलने के लिए तैयार रोड मेप द्वारा नीतिगत दस्तावेज ‘‘पुष्कर डिकलेरेशन’’के नाम से तैयार करके सरकार को प्रेषित किया जायेगा। इस अवसर पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गये संदेश को उद्वत करते हुए बताया कि उच्च शिक्षा के प्रति दी गई सिफारिशों को लागू किये जाने के लिए सरकार संवेदनशील तरीके से सहयोग करेगी।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. एम.एम. सांलूखे ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि राजस्थान में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण संस्थाओं एवं छात्रों की संख्या में महत्वपूर्ण विस्तार हो रहा है। अतः इस ओर सावधानीपूर्वक ध्यान दिया जाना चाहिए।
‘‘राजस्थान के सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से वंचित वर्गों के सशक्तिकरण में विश्वविद्यालयों की भूमिका’’ पर आयोजित प्रथम सत्र की अध्यक्षता केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के उपकुलपति प्रो. फुरकान कमर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। सत्र में केन्द्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान, किशनगढ़, अजमेर के उपकुलपति प्रो. एम.एम. सांलूखे के नेतृत्व में राज्य आयोजना बोर्ड द्वारा कराये गये अध्ययन के आधार पर प्रस्तुत रिर्पोट का खुलासा करते हुए बताया कि सरकार एवं विश्वविद्यालयों द्वारा वंचित वर्ग के प्रथम पीढ़ी के शिक्षार्थियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस वर्ग में योजनाओं के प्रति जागरूकता उत्पन्न करनी चाहिए। उनके लिए छात्रवृतियां और परामर्श सेवाये के साथ कैरियर संबंधी मार्गदर्शन देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
इस अध्ययन में उच्च शिक्षा में सम्मान, समावेशी, उच्च शिक्षा, नामांकनों का विश्लेषण एवं भावी चुनौती को निपटने की रणनीति पर विस्तार से अध्ययन किया गया है।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में राजस्थान में उच्च शिक्षा के बारे में युवा वर्ग के विचार सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों एवं साक्ष्यों संबंधी रिर्पोट प्रस्तुत करते हुए जयपुरिया प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ. प्रभात पंकज ने कहा कि आज का युवा उच्च शिक्षा का चयन प्रमुखतः आजीविका अथवा नौकरी खोजने की दृष्टि से करता है। लगभग 63 प्रतिशत युवा उच्च शिक्षा से अपेक्षा करते हैं कि उन्हें बेहतर रोजगार दिलायेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि उच्च शिक्षा संस्थाओं को शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बाजारोन्मुख पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए। सत्र की अध्यक्षता करते हुए आईआईटी मद्रास के प्रो. एम.एम. शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालयों के लिए उच्चतर मापदण्ड के लिए गुणवत्ता एवं शोध-अनुसंधान एवं शैक्षणिक फैकल्टी पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में मिशनरी मोड में कार्य करने वाले अध्यापकों की जरूरत है। उन्होंने इस पर चिन्ता व्यक्त कि फैकल्टी चुनाव में इसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
सम्मेलन में मनीपाल ग्लोबल एजुकेशन के अध्यक्ष श्री टी.वी. मोहनदास पाई, यूनेस्कों के पूर्व प्रिसिंपल निदेशक डॉ. योगेश अटल, जयपुर नेशनल विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. के.एल. शर्मा, सुखाडिया विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी, मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर के उपकुलपति प्रो. संदीप संचेती, आईआईएम उदयपुर के निदेशक प्रो. जनत शाह, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा के उपकुलपति प्रो. आर.पी. यादव, आईआईएलएम जयपुर के निदेशक विनय चिराणिया, जे.के. लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय जयपुर के उपकुलपति प्रो. उप्रेन्द्र धर, प्रथम राजस्थान के ट्रस्टी प्रो. के.बी. कोठारी सहित पूरे देश से आये उच्च शिक्षा क्षेत्र से जुड़े शिक्षाविद् दो दिवसीय विचार मंथन में भाग ले रहे हैं।
राजस्थान के विशेष संदर्भ में उच्च शिक्षा में शिक्षक समुदाय की संलग्नता-चुनौतियां एवं अवसर पर आयोजित सत्र में यूनेस्कों के पूर्व निदेशक एवं समाजशास्त्री प्रो. योगेश अटल ने की।
जे.के. लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय, जयपुर के उपकुलपति प्रो. उपेन्द्र धर ने शोध अध्ययन रिपोर्ट के हवाले से बताया कि भारत में 86 प्रतिशत छात्र स्नातक स्तर का अध्ययन पूर्ण करते हैं, केवल 12 प्रतिशत ही स्नातकोत्तर शिक्षा हेतु पढ़ाई करते हैं और मात्र एक प्रतिशत ही पी.एच.डी. के लिए पंजीकृत होते हैं। शैक्षणिक अध्यापकों को कम वेतन, अधिक कार्यभार और अपर्याप्त संसाधनों का सामना करना पड़ता है।
प्रो. गोवर्धन मेहता की अध्यक्षता में राजस्थान में तकनीकी एवं उच्च शिक्षा में नवाचार विषयक में मनीपाल विश्वविद्यालय जयपुर के उपकुलपति प्रो. संदीप संचेती ने चर्चा में भाग लिया।
राजस्थान की उच्च शिक्षा में कोरपोरेट सेक्टर की सहभागिता पर मनीपाल ग्लोबल एजुकेशन के अध्यक्ष श्री टी.वी. मोहनदास पाई की अध्यक्षता में आयोजित सत्र में बताया गया कि राजस्थान में अधिकांश शिक्षण संस्थाओं द्वारा यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) और एन.ए.सी. के प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं किये गये हैं और यह स्थिति छात्रों को दी जा रही निम्न स्तरीय शिक्षा में योगदान का कारण बन रही है और इसी के साथ शोध कार्य में भी उत्पादकता का स्तर निम्न बना हुआ है। उच्च शिक्षा द्वारा रोजगार अन्तराल को समाप्त करने के लिए सुप्रसिद्ध आर्थिक विश्लेषक प्रो. विजयशंकर व्यास की अध्यक्षता में चर्चा की गई। इस सत्र में राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा के प्रो. आर.पी. यादव ने अपने अध्ययन के आधार पर बताया कि राजस्थान में परम्परागत कॉलेज वर्तमान की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे हैं। उन्होंने उद्योग एवं नियोक्ता के कौशल आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम बनाने का आग्रह किया। ‘‘उद्योगों के लिए तत्पर व्यावसायिकों’’ की जरूरत बताई।
अन्तिम सत्र राज्य सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में ‘‘ए रोड मेप फॉर हायर एजुकेशन इन राजस्थान’’ पर आयोजित किया गया। इस चर्चा में टी.वी. मोहनदास पाई, प्रो. योगेश अटल, प्रो. के.बी. कोठारी, प्रो. के.एल. शर्मा सहित कई शिक्षाविदों ने विचार प्रस्तुत किये।
इस सम्मेलन के दौरान ‘‘ए रोड मेप फॉर हायर एजुकेशन इन राजस्थान’’ संबंधी विशेष रूप से राज्य आयोजना बोर्ड, राजस्थान द्वारा तैयार की गई पुस्तिका का विमोचन प्रो. गोवर्धन मेहता द्वारा किया गया।
-कल्याण सिंह कोठारी

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