सहारा ग्रुप को ‘सुप्रीम’ झटका, ब्याज सहित लौटाने होंगे 17,400 करोड़ रुपये


सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सहारा समूह की रीयल एस्टेट कंपनी को निर्देश दिया है कि वह अपने निवेशकों को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ 17,400 करोड़ रुपये लौटाए।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएन अग्रवाल इस रकम को लौटाए जाने की प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। अदालत ने कहा है कि बाजार नियामक सेबी निवेशकों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी का सत्यापन करेगा और जिन निवेशकों को तलाश नहीं किया जा पाएगा, उनकी रकम सरकारी खजाने में जमा कराई जाएगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि सहारा ग्रुप सारे दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराता है, तो इसे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना जाएगा। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी कि आदेश के उल्लंघन की स्थिति में सेबी को सहारा समूह की परिसंपत्तियों को कुर्क और नीलाम करने का अधिकार होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह द्वारा प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। सैट ने सहारा समूह की दो कंपनियों को 2.3 करोड़ निवेशकों से वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचरों (ओएफसीडी) के जरिये जुटाई गई 17,400 करोड़ रुपये की राशि लौटाने का निर्देश दिया था।
इसके अलावा न्यायालय ने सेबी को इन दो कंपनियों के दस्तावेज की जांच करने को भी कहा है। अदालत ने 14 जून को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इससे पहले 9 जनवरी को अदालत ने सैट के आदेश पर स्थगन देते हुए सहारा समूह की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। अपनी याचिका में सहारा समूह ने कहा था कि उसके पास निवेशकों के हितों के संरक्षण के लिए उचित मात्रा में संपत्तियां हैं।
इससे पहले, समूह ने अदालत को बताया था कि उसने हलफनामा देकर यह स्पष्ट किया है कि वह इन दो कंपनियों में धन लगाने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करेगा।

error: Content is protected !!