चालू वित्तीय वर्ष में बढ़ी विकास दर


वित्त वर्ष 2013 की पहली तिमाही में देश की विकास दर उम्मीद से ज्यादा रही। वित्त वर्ष 2012-2013 की पहली तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 5.5 फीसद हुई, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2012 की समान अवधि में 5.3 फीसद थी।

हालाकि वित्तीय वर्ष 2013 की पहली तिमाही में हर साल मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ घटकर 0.2 फीसद हो जाती है। वहीं वित्त वर्ष 2012 की अप्रैल-जून तिमाही में मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 7.3 फीसद रहती थी। मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में खनन क्षेत्र की ग्रोथ में बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2013 की अप्रैल-जून तिमाही में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 0.1 फीसदी रही, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस सेक्टर की ग्रोथ नकारात्मक रही।

वित्त वर्ष 2013 की पहली तिमाही में उद्योग क्षेत्र की ग्रोथ से भी निराशा ही हाथ लगी है। अप्रैल-जून तिमाही में सालाना आधार पर इंडस्ट्री सेक्टर की ग्रोथ 5.6 फीसदी से घटकर 3.6 फीसदी हो गई है। पहली तिमाही में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ में जबर्दस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2013 की पहली तिमाही में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ बढ़कर 10.9 फीसदी रही, जबकि वित्त वर्ष 2012 की पहली तिमाही में इस सेक्टर की ग्रोथ 3.5 फीसदी रही थी।

कृषि क्षेत्र ने भी निराश ही किया है। वित्त वर्ष 2013 की पहली तिमाही में कृषि सेक्टर की ग्रोथ घटकर 2.9 फीसदी पर आ गई है। वित्त वर्ष 2012 की अप्रैल-जून तिमाही में कृषि सेक्टर की ग्रोथ 3.7 फीसदी रही थी। मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ घटकर 6.3 फीसदी हो गई है। वहीं वित्त वर्ष 2012 की पहली तिमाही में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ 8 फीसदी रही थी। साथ ही सर्विस सेक्टर की ग्रोथ भी घटकर 6.9 फीसदी रही, जबकि वित्त वर्ष 2012 की पहली तिमाही में इस सेक्टर की ग्रोथ 10.2 फीसदी रही थी।

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