भारतीय कंपनियों के खिलाफ माइक्रोसॉफ्ट का नया दाव

भारतीय आइटी कंपनियों से मिल रही चुनौती से परेशान दुनिया की सॉफ्टवेयर दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने नया दाव खेला है। कंपनी ने एच-1बी वीजा शुल्क में भारी भरकम बढ़ोतरी का सुझाव दिया है। इसके मुताबिक विदेश से नौकरी करने अमेरिका आने वालों से करीब पाच लाख रुपये (10 हजार डॉलर) वीजा फीस लिया जाए।

वहीं यहा की स्थायी नागरिकता या ग्रीन कार्ड फीस को बढ़ाकर करीब साढ़े सात लाख रुपये (15 हजार डॉलर) कर दिया जाए। अगर इस प्रस्ताव को अमेरिकी काग्रेस मान लेती है तो इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय आइटी कंपनियों पर पड़ेगा।

माइक्रोसॉफ्ट का सुझाव है कि एच-1बी वीजा और ग्रीन कार्ड की नई श्रेणी में सालाना 20 हजार आवेदनों को मंजूरी दी जाए। इससे एक दशक में करीब 25 हजार करोड़ रुपये (पाच अरब डॉलर) की आमदनी होगी। इस राशि का इस्तेमाल सरकार एसटीईएम (विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को बढ़ावा देने में कर सकती है। इससे देश में ही जरूरी मानव संसाधन पैदा करने में मदद मिलेगी और विदेशी पेशेवरों पर निर्भरता घटाने में कंपनियों को सहूलियत होगी। अमेरिका ने पिछले साल ही वीजा शुल्क में भारी वृद्धि की है जिसका भारतीय कंपनिया विरोध कर रही हैं।

वाशिगटन स्थित थिंक टैंक गेदरिंग के समक्ष माइक्रोसॉफ्ट के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट (कानूनी व कॉरपोरेट मामले) ब्रैड स्मिथ ने यह प्रस्ताव रखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि अमेरिकी छात्रों के शिक्षा स्तर को ऊंचा उठाने के लिए यह कदम जरूरी है। इससे इन्नोवेशन आधारित उद्योग में नौकरी सुरक्षित रखने में उन्हें मदद मिलेगी। अभी बहुत कम ही अमेरिकी छात्र इस स्तर तक पहुंच पाते हैं। उनके मुताबिक एसटीईएम के शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर और उनकी भर्ती के लिए अतिरिक्त संसाधन मुहैया करा कर इसे बढ़ावा दिया जा सकता है।

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