शेयर दलालों को रखनी होगी ज्यादा बड़ी रकम

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शेयर ब्रोकरों के लिए न्यूनतम जमाराशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक कर दिया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] ने शेयर बाजार को उनकी ओर से पैदा किए जाने वाले जोखिम से बचाने के लिए बुधवार को यह फैसला किया है।

फिलहाल स्टॉक एक्सचेंज के किसी भी सदस्य को न्यूनतम आधार पूंजी [बीएमसी] के रूप में 10 लाख रुपये तक का डिपॉजिट अलग से रखना अनिवार्य था। इस जमाराशि का इस्तेमाल किसी भी तरह के कारोबारी लेनदेन में नहीं किया जा सकता है। इस बढ़ोतरी को अगले साल 31 मार्च से लागू किया जाएगा।

इससे पहले सेबी ने इस डिपॉजिट को वर्ष 1996 में बढ़ाकर दस लाख रुपये किया था। इन सोलह बरसों में शेयर बाजार में काफी बड़े संरचनात्मक और तकनीकी बदलाव आए हैं। इनकी वजह से कारोबार की रफ्तार बढ़ी है। मिनटों में लाखों ट्रेड अंजाम दिए जाने की वजह से जोखिम में भी वृद्धि हुई है। इसके चलते नियामक के लिए बीएमसी में इजाफा करना जरूरी हो गया था। इस जमाराशि यानी डिपाजिट को स्टॉक एक्सचेंज के किसी भी कारोबारी सेगमेंट की आपात जरूरतों के लिए सुरक्षित रखा जाता है।

इसका इस्तेमाल शेयर ब्रोकर द्वारा बाजार में पैदा किए जाने वाले जोखिम को कवर करने के लिए किया जाता है। संशोधित बीएमसी फ्रेमवर्क के अनुसार नकद खंड में स्टॉक ब्रोकर के रूप में पंजीकृत कारोबारी सदस्य के लिए ही नहीं, बल्कि डेरिवेटिव सेगमेंट में काम करने वालों पर भी बढ़ी बीएमसी सीमा लागू होगी। वैसे, विभिन्न सेगमेंट और एक्सचेंजों के मुताबिक यह जमाराशि अलग-अलग होगी।

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