आसान नहीं निजी कंपनियों के लिए बैंकिंग की राह

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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नए बैंकिंग लाइसेंस देने के लिए रिजर्व बैंक ने बहुप्रतीक्षित अंतिम दिशानिर्देश जारी कर दिया है। इसके बावजूद निजी क्षेत्र के लिए बैंकिंग कारोबार में उतरना आसान नहीं होगा। आरबीआइ के बेहद सख्त नियमों को स्वीकार करने के बाद बैंक खोलने वाली निजी कंपनियों को पहले से जमे-जमाए सरकारी व निजी के अलावा विदेशी बैंकों से भी मुकाबला करना होगा।

दिशादिर्नेश में यह साफ है कि जो भी औद्योगिक समूह बैंक खोलेगा, उसके अन्य सभी वित्तीय कारोबारों की निगरानी भी परोक्ष तौर पर रिजर्व बैंक करेगा। मसलन, अगर टाटा समूह अपनी एनबीएफसी को बैंक में बदलने का फैसला करता है तो उसकी अन्य वित्तीय सेवा (बीमा या म्यूचुअल फंड) सब्सिडियरियों की जांच-पड़ताल भी रिजर्व बैंक मौका पड़ने पर कर सकता है।

मुख्य प्रमोटर कंपनी की बाजार से कर्ज लेने या शेयर जारी करने संबंधी अन्य गतिविधियों के लिए भी केंद्रीय बैंक से अनुमति लेनी होगी। केंद्र सरकार ने बैंकिंग अधिनियम में हाल ही में इस बारे में आवश्यक संशोधन कर रिजर्व बैंक को अधिकार दे दिया है।

इसके अलावा भी नए बैंकों को कई कठोर नियमों का पालन करना होगा। मसलन, निदेशक बोर्ड में आवश्यक तौर पर 50 फीसद सदस्य ऐसे होने चाहिए जिनका बैंक की प्रवर्तक कंपनी के किसी भी अन्य कारोबार से कोई संपर्क नहीं हो। ये सदस्य कृषि, उद्योग, कानून, वित्त, अर्थंशास्त्र, ग्रामीण विकास वगैरह के विशेष जानकार होने चाहिए। प्रमोटर कंपनी ने किस स्त्रोत से पैसा जुटाया या निवेश किया है, इस बारे में रिजर्व बैंक को पूरी जानकारी लेने या अपने स्तर पर जांच करने का पूरा अधिकार होगा। साथ ही, केंद्रीय बैंक इस पर भी नजर रखेगा कि प्रबंधन के शीर्ष अधिकारियों को क्या वेतन दिया जा रहा है।

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका से सबक सीखते हुए आरबीआइ ने निजी बैंकों में वेतन निगरानी संबंधी समिति बनाने का फैसला किया है। नए निजी बैंकों के लिए दस हजार से कम आबादी वाले गांवों में एक चौथाई से ज्यादा शाखा खोलने का प्रावधान भी काफी चुनौतीपूर्ण है। नए निजी बैंक जब तक इन गांवों में शाखा खोलना शुरू करेंगे, सरकार के वित्तीय समावेश प्रोग्राम के तहत कई बैंक इन गांवों में प्रवेश कर चुके होंगे। पिछले तीन वर्षो में दो हजार से ज्यादा आबादी वाले लगभग 73 हजार गांवों को बैंकों से जोड़ा गया है। अभी एक हजार की आबादी वाले लगभग डेढ़ लाख गावों को बैंकों से जोड़ने की प्रक्रिया जारी है। जाहिर है कि नए निजी बैंकों को कुछ नया करना होगा।

टाटा, रिलायंस जैसे बड़े औद्योगिक समूहों के साथ ही आइएफसीआइ, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, एलआइसी हाउसिंग जैसे सरकारी क्षेत्र के उपक्रम भी बैंकिंग कारोबार में कूदने के इच्छुक हैं। बिड़ला समूह, महिंद्रा एंड महिंद्रा, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस, आइआइएफसीएल, मुथूट फाइनेंस, एसकेएस माइक्रोफाइनेंस जैसी एनबीएफसी भी बैंकिंग कारोबार में उतरना चाहती हैं।

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