मानसून की कमी से घटेगी विकास दर

मानसून की कमी के चलते देश की विकास दर में कमी आ सकती है। योजना आयोग ने आशंका जताई है कि यह 6 से 6.5 के बीच रह सकती है। आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवलिया ने बताया कि मानसून की कमी के चलते कृषि उत्पादन कम हो सकता है, जिसका असर विकास दर पर पड़ना तय है।

वहीं देश में सूखा पड़ने के आसार काफी बढ़ गए हैं। मौसम विभाग के मुताबिक अब तक पूरे देश में 19 फीसदी कम बारिश हुई है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अब तक करीब 70 फीसदी तक कम बारिश हुई है। वहीं सौराष्ट्र और कच्छ समेत पूरे गुजरात में करीब 80 फीसदी तक कम बारिश हुई है। इन इलाकों में दलहन, तिलहन समेत ज्यादातर खरीफ फसलों की बुआई होती है। हालांकि, मध्यप्रदेश के कई इलाकों में बारिश होने से यहां स्थिति थोड़ी सुधरी है। लेकिन पूरे उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत में सूखे जैसे हालात हैं।

इसके अलावा आगे भी मानसून के सुधरने की संभावना नहीं है। अल नीनो की वजह से सितंबर में हालात और खराब होने के आसार जताए जा रहे हैं। मौसम विभाग के डायरेक्टर, लक्ष्मण सिंह राठौड़ का कहना है कि 2012 में मॉनसून सामान्य से कम रह सकता है। हालांकि, मॉनसून खत्म होने से पहले सूखे की स्थिति है या नहीं, ये कहना ठीक नहीं है। सूखे की घोषणा मौसम विभाग ने नहीं, राज्यों के राजस्व विभागों ने की है।

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