रक्षाबंधन पर जहां भाई राखी बंधवा कर बहनों की रक्षा करने की कसम खाते हैं, वहीं हवस में अंधा एक
ऐसा भाई भी है जिसने अपनी सगी बहन के साथ दुराचार कर इस पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया। बालिका के गर्भवती होने पर लोक-लाज के भय से बूढे़ मां-बाप उसे बहराइच के पास एक अनजान रेलवे स्टेशन पर छोड़ आए। लड़की ने जान देने की कोशिश की तो जीआरपी ने बचा लिया और उसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। बाल कल्याण समिति में भी यह मामला पहुंचा। चाइल्ड लाइन ने उसकी काउंसलिंग कर उसे हताशा से उबार कर उसके रिश्तेदारों को सौंप दिया है।
मामला उत्तरप्रदेश के फीरोजाबाद जिले के एक कस्बे का है। पीड़ित किशोरी के परिवार में तीन बहन और एक भाई के अलावा बूढे़ मां-बाप हैं। बालिका को जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में भाई ने अपनी हवस का शिकार बनाया। उस समय माता-पिता एक रिश्तेदारी में एटा गए थे। भाई की करतूत से किशोरी ने अपने माता-पिता को अवगत कराया, लेकिन उन्हें यकीन नहीं आया।
बाद में जब वह गर्भवती हो गई, तब माता-पिता उसे रिश्तेदारी में लेकर चलने की बात कहते हुए लखनऊ ले गए। बीस जून को ट्रेन से बहराइच के लिए लेकर चल दिए और जरवल रोड स्टेशन पर छोड़ दिया। बेबस किशोरी ने जिंदगी खत्म करने की ठानी। एक ट्रेन के आगे कूदने का प्रयास किया तो जीआरपी के एक जवान ने उसे बचा लिया और बहराइच चाइल्ड लाइन को सौंपा।
बहराइच चाइल्ड लाइन ने फीरोजाबाद चाइल्ड लाइन से संपर्क साधकर किशोरी को उसे सौंपा। काउंसलर फिरदौस अंजुम ने काउंसलिंग की तो पता चला कि उसके सगे भाई ने उसके साथ बलात्कार किया, जिससे वह गर्भवती हो गई। चाइल्ड लाइन फीरोजाबाद के अध्यक्ष डॉ. आलम से इस संबंध में जानकारी की तो उन्होंने घटना की पुष्टि की और बताया कि पीड़ित किशोरी को 21 जून को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया।
मां-बाप और भाई के विरुद्ध कानूनी कदम उठाने के लिए समिति अध्यक्ष विश्वमोहन कुलश्रेष्ठ ने बालिका से सहमति लेनी चाही तो उसने मना कर दिया। 27 जून को उसे टिटनेस का टीका जिला महिला अस्पताल में लगवाया। लेकिन कुछ दिनों बाद गर्भपात होने की वजह से बालिका की हालत गंभीर होने पर उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती करा उपचार कराया गया। बाद में उसकी मर्जी पर उसको एक रिश्तेदार की सुपुर्दगी में दे दिया गया।