पोंजी व एमएलएम के 250 संदेहास्पद लेनदेन की पहचान

govt-redflags-over-250-dubiousनई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने इस साल अब तक 250 से ज्यादा संदिग्ध बैंकिंग ट्रांजेक्शनों की पहचान की है। इनमें से ज्यादातर मामले मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) और पोंजी स्कीमों से जुड़े हैं। मंत्रालय ने इन मामलों को संबंधित एजेंसियों और राज्य सरकारों के हवाले कर दिया है।

संदिग्ध वित्तीय ट्राजेक्शनों (एसटीआर) की पहचान करने में जुटी फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआइयू) ने सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (सीईआइबी) को 272 संदिग्ध मामलों की सूचना दी। सीईआइबी ने इन एसटीआर की विस्तृत जांच में पाया है कि इन मामलों में करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की गई है। सीईआइबी को यह सूचनाएं जनवरी से मार्च के बीच हासिल हुई थीं।

एसटीआर की सूचना 10 लाख रुपये से ज्यादा के ऐसे ट्रांजेक्शन के मामले में भेजी जाती है, जिनमें नशीले पदार्थो की तस्करी सहित अन्य अपराधों को बढ़ावा देने और कालेधन के प्रसार का संदेह होता है। सीईआइबी को भेजी गई एसटीआर में से ज्यादातर मामले मल्टी लेवल मार्केटिंग से जुड़े हैं। इन मामलों को संबंधित राज्य सरकारों को सौंपा गया है। कुछ मामलों में सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर चोरी का भी खुलासा हुआ है।

एफआइयू द्वारा भेजी गई सभी एसटीआर बैंकों में जमा की गई नकदी, चेक या लोगों के बीच बैंक के जरिये किए गए अन्य तरह के ट्रांजेक्शनों पर आधारित हैं। राज्यों को सौंपे गए मामलों पर अभी उनकी प्रतिक्रियाएं मिलना बाकी है। पोंजी स्कीमों पर शिकंजा कसने के लिए सेबी, आरबीआइ, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय जैसी सरकारी एजेंसियां पहले ही जांच शुरू कर चुकी हैं। निवेशकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले पश्चिम बंगाल स्थित सारधा समूह के खिलाफ भी शिकंजा कसा गया है।

बाजार नियामक सेबी ने अब तक कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम (सीआइएस) के 59 मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की है। कंपनी मामलों का मंत्रालय भी सारधा समूह के खिलाफ नियमों के उल्लंघन की जांच कर रहा है।

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