जिधर देखो एक सी अनबन मिली !!
यारियां हम को तो खाली हाथ मिली। मिली जहां कहीं भी , अनबन मिली। गली मे,घर मे या हो म॔दिर मे, हर कहीं ही एक सी अनबन मिली। हाथ जोङ़े या कि सिर झुकाए हुए, यों किसी भी रूप मे अनबन मिल। पहिन ले लिबास चाहे जैसा भी, छिपती छिपती सी वही अनबन मिली। धूप … Read more