जिधर देखो एक सी अनबन मिली !!

यारियां हम को तो खाली हाथ मिली। मिली जहां कहीं भी , अनबन मिली। गली मे,घर मे या हो  म॔दिर मे, हर कहीं  ही एक सी अनबन मिली। हाथ जोङ़े या कि सिर झुकाए हुए, यों  किसी भी रूप मे अनबन मिल। पहिन ले लिबास चाहे जैसा भी, छिपती छिपती सी वही अनबन मिली। धूप … Read more

श्रीराम के प्रकृति-प्रेम की सकारात्मक ऊर्जा

रामनवमी- 6 अप्रैल 2025 एक युगांतरकारी घटना के तहत भगवान श्रीराम पांच सौ वर्षों के बाद टेंट से निकलकर मन्दिर में स्थापित हुए। भारत के जन-जन को रामराज्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलने लगी है, भारत ने एक नये युग में प्रवेश किया। जितनी आस्था एवं भक्ति से जन-जन ने श्रीराम के प्रति भक्ति एवं आस्था … Read more

गंभीर खतरे की घंटी है प्लास्टिक एवं माइक्रोप्लास्टिक

प्रकृति को पस्त करने, वायु एवं जल प्रदूषण, कृषि फसलों पर घातक प्रभाव, मानव जीवन एवं जीव-जन्तुओं के लिये जानलेवा साबित होने के कारण समूची दुनिया में बढ़ते प्लास्टिक एवं माइक्रोप्लास्टिक के कण एक बड़ी चुनौती एवं संकट है। पिछले दिनों एक अध्ययन में मनुष्य के मस्तिष्क में प्लास्टिक के नैनो कणों के पहुंचने पर … Read more

गीता,अध्याय अठारह, श्लोक 73 – सब विस्मृति में जी रहे हैं !

विस्मृति यानि अपनी आध्यात्मिक सच्चाई को भूले हुए रहना। इसके विपरीत स्मृति यानि इस सनातन सत्य को जान लेना कि मैं बार-बार मरता रहने वाला शरीर नहीं हूं। मैं अनश्वर आत्मा हूं। जीव भाव से युक्त हो जाने से मैं ही जीवात्मा हूं। यही जीवात्मा नामधारी शरीर धारण करते हुए जन्म-जन्मांतर तक भटकती रहती है। … Read more

रामनवमी मर्यादा पुरषोंत्तम राम का जन्मोत्सव एवं राम राज्य

भगवान विष्णु ने सातवे अवतार में भगवान राम के रूप में त्रेतायुग में जन्म लिया था  | भगवान राम का अवतार रावण के अत्याचारों को खत्म करने एवं पृथ्वी से दुष्टों को खत्म कर धर्म एवं सात्विकता की स्थापना के लिए हुआ था | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का  जन्म अयोध्या  में  चैत्र  शुक्ल  की … Read more

नारी कोई भीख नहीं

मूल कवित्री-देवी नागरानी नारी कोई भीख नहीं न ही मर्द कोई पात्र है जिसमें उसे उठाकर उंडेला जाता है जिसे उलट-पुलट कर देखा जाता है उसके तन की खुशबू का मूल्य आँका जाता है खरीदा जाता है, इस्तेमाल किया जाता है…! तद पश्चात उसे तोड़ मरोड़ कर यूं फेंका जाता है जैसे कोई कूड़ा करकट … Read more

राम से बड़ा राम का नाम

वो त्रेता युग का समय था जब सूर्यवंशी महाराज दशरथ के घर कौशलनन्दन श्री राम का जन्म हुआ था। समय कहाँ रुकता है भला ! तो वह अपनी गति से चलता रहा। आज हम द्वापर से होते हुए कलियुग में आ गए हैं। लेकिन इतने सहस्रों वर्षों के बाद भी, इतने युगों के पश्चात भी … Read more

*वैचारिकी- समावेशी संस्कृति*

यूँ हर समाज एक विशेष विचारधारा से पोषित होता है या कहें कि विचारधारा अपने उचित अनुचित प्रवाह से समाज को प्रभावित करती है। इस संदर्भ में जब भारतीय समाज पर विचार करते हैं तो यहाँ अनेक विचारधाराओं का अद्भुत संयोग है। सम्भवतः इसके मूल में यही वजह रही हो कि यहाँ समय -समय पर … Read more

गीता का नौवां अध्याय – चार श्लोक में कृष्ण के चार वादे!

कृष्ण ने जो भी कहा, डंके की चोट पर कहा। वहां आश्वासन नहीं, वचन है। कृष्ण वादा करते हैं। एक बार तो अठारहवें अध्याय के 65वें श्लोक में वे अर्जुन को यहां तक बोल देते हैं कि मेरी बात का यकीन कर, मैं सच कह रहा हूं। नौवें अध्याय के 31वें श्लोक में कृष्ण कहते … Read more

जब कृष्ण ने अर्जुन को कह दिया – जो तेरी इच्छा हो वह कर!

गीता, अध्याय अठारह, श्लोक 63) भगवान ने अर्जुन को सारी बातें समझा दीं। कर्तव्य कर्म, निष्काम कर्म, विपरीत कर्म, भक्ति, ज्ञान, सगुण-निर्गुण ईश्वर आदि। बता दिया कि तेरह तरह के वैदिक यज्ञों से भी ऊपर है कर्तव्य कर्म। समझा दिया कि मेरे ध्यान में रहते हुए सारे कर्मों का फल मेरे को अर्पित कर देने … Read more

राजा दशरथ की मर्मस्पर्शी कथा: जब पिता का हृदय पुत्र वियोग में टूट गया

श्री राज महाजन द्वारा राम-कथा में हृदयस्पर्शी वर्णन रामायण की मर्मस्पर्शी घटनाओं में से एक, राजा दशरथ का देहावसान, आज भी हर राम भक्त की आंखों को नम कर देता है। इस प्रसंग का वर्णन करते हुए, प्रख्यात राम-कथा वाचक श्री राज महाजन ने इस हृदयविदारक क्षण को इतनी आत्मीयता से प्रस्तुत किया कि श्रोताओं की आंखें … Read more

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