नितिश कुमार जी कि आत्मा शायाद अब मर चुकी हैं

नितिश कुमार जी कि आत्मा शायाद अब मर चुकी हैं और मरी भी नही हैं तो बीमार हैं या कौमा मे हैं, या फिर मोदी नामक हिटलर कि कैद मे हैं , क्योंकी नितिश कुमार जी आज ज़िस नैतिकता की बात पर जोर दे रहे हैं वह नैतिकता ऊनको 20 महीने पहले क्यों नही दिखाई … Read more

यूपी में बीजेपी की सियासी बेचैनी

शिखर से शून्य का डर शाह का 29 से तीन दिन तक लखनऊ प्रवास संजय सक्सेना,लखनऊ उत्तर प्रदेश में बीजेपी लगातार जीत का परचम फहराती जा रही है। यूपी में उसकी सफलता का ग्राफ शिखर पर है, लेकिन शिखर पर पहुंच कर भी बीजेपी एक ‘शून्य’ को लेकर बेचैन नजर आ रही है। उसे चुनावी … Read more

सत्ता की अंतरात्मा

समय थोड़ा ज्यादा लग गया, लेकिन बिहार मे भी अब भाजपा फिर सत्ता मे आ रही है। 16 ,मई को ब्लॉग लिखा था कि अबकी बारी,बिहार की बारी। आप एक बार फिर पढिए। लालू के पंजे से आजाद होने के लिए छटपटा रहे नीतीश फिर उसी भाजपा के अंगने मे सत्ता का डांस करेंगे,जिसे वो … Read more

रेलवे को संवेदनशील बनाना होगा

भारतीय जन-जीवन की आर्थिकी से लेकर सांस्कृतिक परिदृश्य तक भारतीय रेल एक सतत महत्वपूर्ण आधार और सशक्त माध्यम है, इसीलिए उसकी अव्यवस्था और बदहाली राष्ट्रीय चिंता का बड़ा कारण मानी जाती है। तरह-तरह की उपलब्धियों के बावजूद रेल यात्रियों को सफर में हर कदम पर कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। लेकिन सबसे शोचनीय पहलू यह … Read more

अखबार ओर TV का मोह हो रहा कम

किसी समय मे समाचारों के लिए केवल अखबारों ओर रेडियो पर निर्भरता हुवा करती थी, उसके बाद टेलीविजन आया जिनमे चित्रो ओर वीडियो के साथ समाचार आने लगे, वक्त के साथ साथ इसमे अब बदलाव आना शुरू हो गया है । जब से इंटरनेट क्रांति हुई है और इंटरनेट सुलभ ओर हाई स्पीड हुवा है … Read more

फारुख अब्दुल्ला को क्यों चाहिए आजादी ?

भारत की आजादी से 10 साल पहले जन्मे फारुख अब्दुल्ला अब 80 वर्ष के हो चुके हैं। भारत की आजादी से ज्यादा वर्षों की उनकी आयु हो चुकी है। 1980 में वे राजनीति में आए तथा पहली बार भारत की लोकसभा में सदस्य चुने गए। अपने पिता शेख अब्दुल्ला के मरने पर 1982 में वे … Read more

माया का राज्यसभा से इस्तीफा:लाचारी भरी ललकार

संजय सक्सेना, लखनऊ बसपा प्रमुख मायावती की पहचान एक ऐसी नेत्री की होती है जो सियासत की नब्ज पकड़ने में माहिर मानी जाती हैं। सियासी पिच पर उनकी टाइमिंग हमेशा परफेक्ट रही है, लेकिन इधर कुछ वर्षो से उनके फैसले कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं। उनका परम्परागत दलित वोट बैंक बिखरता जा रहा … Read more

कोविंदजी! अब देश आश्वस्त होना चाहता

श्री रामनाथ कोविन्द देश के चैहदवें नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। वह एक दलित के बेटे हैं जो सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने की दूसरी घटना है, जिससे भारत के लोकतंत्र नयी ताकत मिलेगी, दुनिया के साथ-साथ भारत भी तेजी से बदल रहा है। सर्वव्यापी उथल-पुथल में नयी राजनीतिक दृष्टि, नया राजनीतिक परिवेश आकार … Read more

मुंशी जी वापस आ गए हैं

वो अपने मुंशी जी अरे ! वहीँ मुंशी इतवारी लाल, विदेश गए थे अपने बेटे के पास आ गए हैं ? वो मार्च 2016में विदेश गए थे वापस अब आये है यानि 15 ई 2017 को , लेकिन जब से आये है बुखार में तप रहे है अंट शंट बोले जा रहे है जैसे उन … Read more

भ्रष्टाचार रूपी राजरोग के लिये सभी एकजुट हो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार पर नकेल कसने को लेकर शुरू से गंभीर ही नहीं है बल्कि एक निष्पक्ष एवं निर्णायक लड़ाई के लिये संघर्षरत हंै। इसी मकसद से उन्होंने नोटबंदी का फैसला किया। कालेधन को सामने लाने के लिए दूसरे उपाय आजमाए जा रहे हैं। लालू प्रसाद यादव हो या पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम इनके … Read more

भारतीयों पर आलसी होने का दाग लगना

दुनिया के सबसे आलसी देशों में भारत का अव्वल पंक्ति में आना न केवल शर्मनाक बल्कि सोचनीय स्थिति को दर्शाता है। जिस देश का प्रधानमंत्री 18 से 20 घंटे प्रतिदिन काम करता हो, वहां के आम नागरिकों को आलसी होने का तमगा मिलना, विडम्बनापूर्ण है। आलसी होना न केवल सशक्त भारत एवं नये भारत की … Read more

error: Content is protected !!