उम्र का ये सफर वो सफर भी कटता रहा
उम्र का ये सफर वो सफर भी कटता रहा मुझको बांट कर ये डगर मुझसे मिटता रहा मैं बरखा बनूं या बादल बनूं ये मुझपे न था कोई झरना मुझसे कैसे कोई फिर फूटता रहा ना मैं जमीं ही थी ना कोई आसमान ही थी हर ऊंचाई मुझे होते हुए झुकता रहा ख्वाब तो कई … Read more