सचिन के हारने से कुछ कांग्रेसी नेताओं के दिलों को मिली ठंडक

सचिन पायलट
सचिन पायलट

अजमेर के निवर्तमान सांसद व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के लोकसभा चुनाव हार जाने से जहां कई कांग्रेसियों को बड़ी मायूसी हुई है, वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जिनके दिलों को ठंडक पहुंची है। जाहिर तौर पर इनमें पूर्व देहात जिला अध्यक्ष व अजमेर डेयरी के सदर रामचंद्र चौधरी का नाम सबसे ऊपर है। उन्होंने तो सचिन को टिकट मिलने से पहले ही उन्हें हराने की घोषणा कर दी थी। असल में उनकी इच्छा तो सचिन के सामने चुनाव लड़ कर जाट वोटों में सेंध मारने की थी, मगर ऐन मौके पर जैसे ही भाजपा ने दिग्गज जाट नेता नसीराबाद विधायक प्रो. सांवरलाल जाट को टिकट दिया तो उन्होंने अपनी रणनीति बदल दी। विधानसभा चुनाव में मसूदा में बागी बन कर खड़े हो कर उन्होंने कांग्रेस से तो नाता पहले ही तोड़ लिया था, लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ खुल कर आ गए। हालांकि उन्होंने भाजपा तो ज्वाइन नहीं की, मगर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की मौजूदगी में हुई आमसभा में खुल कर प्रो. जाट का साथ देने का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने सचिन पर भी जम कर शब्द बाण चलाए। यह बात दीगर है कि उनका यह अनुमान गलत साबित हुए कि सचिन तीन लाख वोटों से हारेंगे।
दिल को ठंडक तो नगर सुधार न्यास के पूर्व सदर नरेन शहाणी भगत को भी पहुंची होगी। भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे होने के कारण भाजपा सरकार के भारी दबाव में उन्होंने ऐन चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी, हालांकि भाजपा में नहीं गए। उन्होंने सीधे तौर पर सचिन पर हमला बोला और सचिन को लिखे अपने इस्तीफे में लिखा -मैं नरेन शाहनी भगत करीब बीस वर्षो से कांग्रेस पार्टी का सक्रिय सदस्य हूं, परन्तु वर्तमान में पार्टी के नेतृत्व के कारण कार्यकर्ताओं का राजनीतिक भविष्य को चौपट हो गया है। आपके नेतृत्व में गुटबाजी के कारण यह हुआ है। आम कार्यकर्ता व वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की अनदेखी के कारण मुझे बहुत पीडा हो रही है, जिसकी वजह से प्राथमिक मैं सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। आप अजमेर जिले के सांसद व केन्द्रीय मंत्री बनें, मगर अजमेर की जनता की सुनवाई के लिये आपने कोई भी स्वयं का स्थाई कार्यालय व निवास नहीं बनाया है, जिससे आम कार्यकर्ता व अजमेर की जनता का कांग्रेस से जुड़ाव कम हुआ है। आपके मंत्री होने के बावजूद भी अजमेर को एक भी नया उद्योग नहीं मिला है और न ही अजमेर रेलवे स्टेशन का स्तर आपकी घोषणानुसार वल्र्ड क्लास हो पाया है। इन परिस्थितियों में आमजन व कार्यकर्ता मायूस है।
पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारियां भी खुश हुए ही होंगे, जो कि चुनाव के वक्त भाजपा में शामिल हो गए। ये तीन नाम तो घोषित रूप से सचिन के विरोधी हैं, मगर ऐसे अनेक नाम हैं, जो कि प्रत्यक्षत: तो सचिन का विरोध इस कारण नहीं कर पाए क्योंकि सचिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं, मगर अंदर ही अंदर सचिन को हराने में लगे हुए थे। उनके नाम का जिक्र करना उचित नहीं, मगर अधिसंख्य कांग्रसियों को पता है कि वे कौन हैं। समझा जाता है कि सचिन को भी पता है। जाहिर सी बात है कि सचिन उनके प्रति कड़ा रुख अपनाएंगे। संभव है संगठन की प्रदेश व शहर जिला इकाई में उनको कोई स्थान न मिले।
-तेजवानी गिरधर

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