मोदी से अजमेर को भी है बहुत उम्मीदें

नरेन्द्र कुमार जैन सीए
नरेन्द्र कुमार जैन सीए

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार के गठन के साथ ही अजमेर वासियों की उम्मीदें भी जाग गई हैं। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा ने मिशन 25 को हासिल कर कड़ी से कड़ी को जोडऩे का काम किया है। केन्द्र और राज्य में दोनों जगह एक ही पार्टी की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी है। किसी को रूठने-मनाने का कोई झंझट नहीं है। ऐसे में अजमेर शहर की उम्मीदें और बढ़ जाती हैं। हमारे शहर में आज भी कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे हम बखूबी रूबरू हैं, इसकी ओर केन्द्र का ध्यान दिया जाना जरूरी है:-
1. वल्र्ड क्लास स्टेशन पर गंदगी के ढ़ेर-
अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में आने वाले जायरीन ही नहीं बल्कि में ब्रह्मा मंदिर में भी देश के कोने-कोने मेें श्रद्धालु आते हैं। इसकी आवक को देखते हुए रेलवे स्टेशन को वल्र्ड क्लास का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन यहां से जाने वाले जायरीन और श्रद्धालु एक कड़वा अनुभव साथ ले जाते है, कारण कि आज भी स्टेशन पर कई सुविधाएं नहीं हैं। हालंाकि पहले से काफी सुधार हो रहा है और सुविधाएं भी बढ़ रही हैं, पर अब भी होना चाहिए-
साफ-सफाई – देश के किसी वल्र्ड क्लास स्टेशन पर अगर गंदगी के ढ़ेर मिले तो यह बेहद शर्मनाक है। अजमेर के भी ऐसे ही हाल हैं। आये दिन अधिकारियों के दौरों में सफाई व्यवस्था को लेकर स्थानीय कर्मचारियों को लताड़ पिलाई जाती है। हर बार इसमें सुधार कि उम्मीद होती है लेकिन डांट-फटकार सब बेमानी रहती है। अब उम्मीद कि जानी चाहिए कि इसकी मोनिटरिंग की ठोस व्यवस्था हो, कहीं गंदगी नजर नहीं आये। यात्री यहां कि यह याद लेकर जन की वह उदाहरण दे कि देखना है तो अजमेर स्टेशन देखो।
2. वेटिंग रूम बदहाल-
आरक्षित श्रेणी के यात्रियों के लिए वेटिंग रूम के हाल भी बेहाल है। अन्य स्टेशन पर वेटिंग रूम में स्टार फेसिलिटी है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। कहने को ए.सी. है, लेकिन ठीक ढंग़ से काम नहीं करता। यदि यात्रियों को लम्बे समय तक इंंतजार करना पड़े तो उसके मनोरंजन के लिए टीवी भी नहीं है। ऐसे में वक्त काटना कितना पीड़ादायक है, इसका अहसास किया जा सकता है। इतना ही नहीं, ट्रेन के आवागमन को लेकर किए जाने वाले एनाउसमेंट की भी व्यवस्था उचित नहीं है। कहने का मतलब ये कि दूरदराज से आने वाला यात्री। जायरीन या श्रद्धालु आरक्षण लिए जाने के बाद भी परेशानी का मजबूर हैं। अब यह उम्मीद की जानी चाहिए कि वल्र्ड क्लास सुविधाओं को लागू कर केन्द्र सरकार आधिकारियों को पाबंद करे कि जरा भी लापरवाही या शिकायत पर दोषी के खिलाफ कड़ी काईवाई की जाए ताकि शहर का नाम रोशन हो।
3. टच स्क्रीन मशीन और डिस्पले बोर्ड-
बाहर से आन वाले यात्री अमूमन पूछताछ विंडो पर जाकर, धक्के खाकर अपने गंतव्य के बारे में जानकारी जुटाना चाहता है, लेकिन वहां से उसे उचित जबाव नहीं मिलता। पीएनआर के लिए भी कतार में लगना पड़ता है। गुजरात के अहमदाबाद स्टेशन की तरह यदि यहां भी पीएनआर स्टेटस जांचने के लिए टच स्क्रीन मशीन लगाई जाए तो सहूलियतें बढ़ेंगी, आम यात्री राहत महसूस करेगा। इसी तरह बड़े-बड़े डिस्पले बोर्ड भी कई जगह लगाए जाएं, जिनमें पूर्ण जानकारी हो ताकि हर कोई इत्मीनान से अपनी यात्रा के बारे में सतुंष्ट रहे। उम्मीद कि जानी चाहिए कि मोदी सरकार इस पर भी गौर फरमाएगी।
4. आरओबी की दरकार
शहर के बढ़ते यातायात के दबाव के कारण गुलाबबाड़ी रेलवे समपार फाटक नं. 44 पर आरओबी का निर्माण जरूरी हो गया है। यहां आये दिन हादसे होते रहते हैं। भारी यातायात वहां से निकलता है। पूर्व में इस संबंध में रेल-मंत्रालय तक पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब उम्मीद है कि मोदी सरकार इससे निजात दिलाएगी।
5. पुष्कर भी हो विकसित –
तीर्थ नगरी पुष्कर को यूं तो राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में लिया गया है, लेकिन इस योजना का धरातल पर प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। आज भी यहां वहां घाटों पर गंदगी के ढ़ेर जमा है। आवारा पशुओं का जमघट लगा रहता है। बेहतर रहेगा कि घाटों तक आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए बेरिकेट्स इस तरह लगाए जाएं कि उनका प्रवेश ही नहीं हो सके। जब यह हो जाएगा तो गंदगी से स्वत: ही निजात मिल जाएगी। इसके अलावा पुष्कर के विकास की योजना बनाएं।
उम्मीद की जानी चाहिए कि पुष्कर को सरकार ऐसा चमकाए कि यह एक नायाब उदाहरण दुनिया के समझ पेश हो।
कहने को तो और भी कई अपेक्षाएं हैं, प्रधानमंत्री से, मसलन वंचित बड़े स्टेशनों तक ट्रेनों का जुड़ाव, पुष्कर-मेड़ता लाइन का विस्तार कर इसे देश से सीधे जोडऩा, स्थानीय रेलवे स्टेशन पर मल्टीस्टोरी पांर्किग, वीआई लांच, एस्केलेटर्स आदि इस सबका को भी ध्यान में रखना है।
हम उम्मीद करते हैं कि जैसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, अच्छे दिन आने वाले हैं… अजमेर के भी अच्छे दिन आयें और हर आम यात्री, श्रद्धालु, जायरीन, शहरवासी यही गाए कि अच्छे दिन आ गए हैं।
-नरेन्द्र कुमार जैन सीए
कार्यकारी संपादक, अजयमेरू पाक्षिक

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