-राहुल चौधरी- नसीराबाद के उप-चुनाव को ले कर सांवरलाल जाट दुविधा की स्थिती में फंस गये है। अपने बेटे को टिकट नही दिलवा पाने की स्थिती में सांवरलाल किसी नाइट वाचमैन की तलाश कर रहे है। भाजपा की राष्ट्रीय नीति के मुताबिक नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की टीम ने किसी भी जनप्रतिनिधी के बेटे या परिवारजन को टिकिट देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, ऐसे में ना केवल सांवरलाल बल्कि कोटा साउथ से ओम बिरला भी अपनी पत्नी के लिए पैरवी नही कर पा रहे है।
पर सावंरलाल की दुविधा ओम बिरला से कही ज्यादा बड़ी है। क्योकि नसीराबाद में उप-चुनाव खुद सांवरलाल जाट के राजनितिक भविष्य को भी तय करेगा। सांवरलाल जाट की पहली प्राथमिकता अपने बेटे रामस्वरुप को येनकेन प्रकारेण टिकिट दिलवाने की होगी। परन्तु इसके लिए उन्हे वसुंधरा राजे के माध्यम से दिल्ली में अमित शाह को उनकी नीति के विरुद्ध फैसला लेने पर मजबूर करना होगा जो कि नामुमकिन नजर आता है।
सांवरलाल के लिए दूसरे ऑप्शन रामचन्द्र चौधरी हो सकते है। पर विड़म्बना ये है कि चौधरी, राजनैतिक रुप से अति महत्वकांशी है औऱ जाट की मदद से अगर भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ कर विजयी होते है तो उनका सबसे पहला टारगेट सांवरलाल जाट स्वयं होगे। ऐसे में सांवरलाल जाट, नसीराबाद क्षेत्र में अपना एक मजबूत प्रतिद्वंदी खड़ा करने की गलती करे, ऐसा संभव नजर नही आता।
अति उत्साह में किसी और के लिए एक बार सीट छोड़ने के बाद, नसीराबाद में सांवर लाल के चैप्टर पर पूर्ण विराम लग सकता है। यही कारण है कि वे अपने बेटे को टिकिट दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है। नसीराबाद छूटने के बाद सांवरलाल के लिए किशनगढ़ और मसूदा का ऑप्शन होगा पर वहां से चुनाव लड़ना सांवरलाल के लिए टेठी खीर साबित हो सकती है। ऐसे में सांवरलाल जाट किसी भी हालत में नसीराबाद को छोड़ने को तैयार नही है।
सांवरलाल के पास तीसरा ऑप्शन, वसुंधरा राजे की पंसद के किसी बाहरी गुर्जर को लाने का हो सकता है। ऐसे में एक बारगी तो वसुंधरा राजे औऱ सांवरलाल दोनो का पांचों अंगुलियां घी में होगी, पर नसीराबाद सीट पर भाजपा से गुर्जर आने की स्थिती में यहां जाटों का दावा हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा। स्थानीय स्तर पर राजेश गुर्जर और ओमप्रकाश भड़ाना, गुर्जर समाज से दावेदारी कर रहे है।
ऐसे में सांवरलाल के पास किसी रावत पर हाथ रखने के सिवा कोई चारा नजर नही आता जो उनकी गद्दी को चार साल तक गर्म रख सके। रावत समुदाय से तिलक सिंह रावत, ड़ार्क हार्स के रुप में उभर सकते है जो कि पूर्व सांसद रासा सिंह रावत के पुत्र है और सांवरलाल के लिए नाइट-वाचमैन की भूमिका में भाजपा के संगठन, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ को आसानी से स्वीकार्य हो सकते है। हालांकि मदनसिंह रावत भी टिकिट की कतार में है पर वे तीन बार नसीराबाद से हार चुके है। ऐसें में तिलकसिंह रावत का नाम किसी बेदाग नये चेहरे की भाजपा की तलाश को पूरा कर सकता है, जो कि सांवरलाल जाट के लिए नाइट वाचमैन बन सके।
नसीराबाद के टिकिट की लड़ाई में सांवरलाल जाट की भूमिका निश्चित रुप से महत्वपूर्ण होगी पर उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती स्वयं का भविष्य सुरक्षित रखने की है।