राष्ट्रीय पर्व के प्रति उदासीन अधिकारी!

न आयोजक पहुंचे और न ही रक्षक, 35 मिनट देरी से शुरू हुई गणतंत्र दिवस तैयारी बैठक

राष्ट्रीय पर्व तैयारी बैठक में एसडीओ का इंतजार करते शिक्षक।
राष्ट्रीय पर्व तैयारी बैठक में एसडीओ का इंतजार करते शिक्षक।

 

प्रशासनिक बैठक में लगाई गई क्षतिग्रस्त टेबिल।
प्रशासनिक बैठक में लगाई गई क्षतिग्रस्त टेबिल।

-सुमित सारस्वत- ब्यावर। राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की तैयारी बैठक में प्रशासनिक उदासीनता नजर आई। दोपहर 3 बजे निर्धारित समय से 35 मिनट देरी से शुरू हुई इस बैठक में आमंत्रित सदस्यों में से अधिकांश ने भाग नहीं लिया। इनमें सरकारी विभागों के अधिकारी भी शामिल हैं। सुरक्षा का अहम जिम्मा निभाने वाली पुलिस भी बैठक में शामिल नहीं हुई। राष्ट्रीय पर्व पर नगर परिषद की ओर से आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारी बैठक में स्वयं आयोजक भी नदारद थे। हैरत की बात तो यह है कि सभापति व कई प्रमुख अधिकारियों को तो बैठक की सूचना तक नहीं मिली।
उपखण्ड अधिकारी भगवती प्रसाद कलाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गणतंत्र दिवस के उपखण्ड स्तरीय मुख्य समारोह को लेकर चर्चा की गई। मुख्य समारोह में विद्यालयों व महाविद्यालयों के विद्यार्थी व्यायाम प्रदर्शन, मार्चपास्ट, गायन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे। कई झांकियां भी निकाली जाएगी। विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही उपखण्ड की प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा। बैठक में आयुक्त मुरारीलाल वर्मा, बीसीएमएचओ डॉ.सीएल परिहार, एबीईईओ पूनमचंद वर्मा, एवीवीएनएल से एक्सईएन दिनेश सिंह, पीएचईडी एईएन संजीव माथुर, सीडीपीओ से कविता डाबी, पीडब्ल्यूडी एईएन सुखविंदर सिंह, जन चेतना मंच से महेंद्र बोहरा, पहल सेवा संस्था से अशोक सेन, शिक्षाविद् राजेश जिंदल, ताराचंद जांगिड़, मंजू कोठारी, सुधा गौतम, रजिया सुलताना, प्रमोद शर्मा, केएल बागड़ी, देवानंद, राजेश परिहार, प्रमोद चौहान, सुनील बर्टी, बीएल ढाबरिया, सर्वेश दवे सहित विभिन्न स्कूलों के शिक्षक मौजूद रहे।

सम्मानित होने के लिए लगाओ फाइल
उपखण्ड या जिला स्तर पर सम्मानित होने की चाह रखने वालों को आगामी 20 जनवरी तक उपखण्ड अधिकारी या आयुक्त कार्यालय में आवेदन करना होगा। आवेदन फाइल में मूल दस्तावेजों की फोटो प्रति, अखबार में प्रकाशित न्यूज की कटिंग सहित सम्मानित करने की वजह से जुड़े तमाम दस्तावेज संलग्न करने होंगे। आवेदन कि बिना किसी नाम पर विचार नहीं होगा। निर्धारित समयावधि के बाद मिलने वाले आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। 21 जनवरी को होने वाली बैठक में छह सदस्यों की कमेटी प्राप्त आवेदनों में से सम्मानित होने वालों की सूची तैयार करेगी।

हमारे लिए पॉसीबल नहीं..
राष्ट्रीय पर्व पर पूर्व में प्रदर्शन करने वाली संस्थाओं को इस बार पुन: आयोजन के लिए कहा गया। इस पर यह जुमला काफी चर्चा में रहा कि ‘इस बार हमारे लिए पॉसीबल नहीं..।’ छावनी बालिका, डिग्गी बालिका, वर्धमान कॉलेज, डीएवी कॉलेज की शिक्षिकाओं ने तर्क दिया कि ‘किराए पर ड्रेस लाना महंगा पड़ता है। एक कार्यक्रम पर 10-15 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं।’ सेंट जेवियर्स के प्रिंसीपल ने विद्यालय में परीक्षा होने के कारण जिमनास्टिक प्रदर्शन से इनकार कर दिया। वहीं अग्रसेन विद्यापीठ के प्रिंसीपल ने स्कूल में बच्चों की संख्या कम होना बताकर शारीरिक व्यायाम प्रदर्शन में शामिल होने से कन्नी काटनी चाही। बाल मंदिर के एचएम ने विद्यालय में संगीत शिक्षक नहीं होने से बालिकाओं के गायन कार्यक्रम में असमर्थता जताई। इन सभी तर्कों को सुनने के बाद एसडीओ ने राष्ट्रीय पर्व के सम्मान की सीख देते हुए सख्त निर्देश दिए कि हर परिस्थिति में कार्यक्रम की प्रस्तुति देना अनिवार्य है। एसडीओ ने राष्ट्रीय पर्व के प्रति समर्पण व संवेदनशीलता दिखाते हुए आर्थिक सहयोग देने की घोषणा भी की।

एसएचओ सिटी को बुलाओ
सुरक्षा से संबंधी चर्चा के दौरान महेंद्र बोहरा ने कहा कि कार्यक्रम में पुलिस निष्क्रिय रहती है। मनचले छात्राओं पर फब्तियां कसते हैं। इस बात का कई शिक्षकों ने भी समर्थन किया। चर्चा के दौरान पुलिस विभाग से कोई अधिकारी मौजूद नहीं दिखने पर एसडीओ ने नाराजगी जताते हुए कर्मचारी से कहा, एसएचओ सिटी को बुलाओ।

पुलिस हमेशा लेट आवे…
शहर थाने में तैनात एसआई बाबूलाल बैठक के निर्धारित वक्त से एक घंटा देरी से शाम 4 बजे पहुंचे। उनके पहुंचते ही महेंद्र बोहरा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि पुलिस हमेशा लेट आवे। एडिशनल बीईईओ पूनमचंद वर्मा भी एक घंटा देरी से आए।

सूचना से जताई अनभिज्ञता
बैठक के पश्चात् पड़ताल में सामने आया कि उपखण्ड प्रशासन की ओर से आमंत्रित सूची में अंकित नामों में से कई विभागों व प्रबुद्ध लोगों को सूचना नहीं मिली। सभापति बबीता चौहान व शहर थानाधिकारी सत्येंद्र नेगी ऐसे प्रमुख नाम हैं जिन्होंने सूचना से अनभिज्ञता जताई। सहायक पुलिस अधीक्षक, एकेएच के पीएमओ, रोडवेज डिपो प्रबंधक, ब्यावर कला मंडल, रोटरी क्लब, लॉयन्स क्लब, मानवाधिकार समिति के पदाधिकारियों सहित कई अधिकारी अनुपस्थित रहे। आमजन की तरफ से शहर का प्रतिनिधित्व करने के लिए महज एक समाजसेवी महेंद्र बोहरा शामिल हुए। आमंत्रण के बावजूद किसी भी महाविद्यालय के प्राचार्य शरीक नहीं हुए। कई अधिकारियों ने अपने प्रतिनिधि के रूप में अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को भेज दिया। एसडीओ ने अनुपस्थित रहने वालों को नोटिस भेजने की बात कही है।

इनका कहना है…
‘पंचायत चुनाव के कारण गांवों में दौरा कर रहा था, इसलिए आने में थोड़ी देरी हो गई। अवश्य कुछ विभागों के अधिकारी नहीं आए। आमंत्रित लोग नहीं आए तो उन्हें नोटिस भेजा जाएगा। आयुक्त मेरे साथ ही आए थे। पुलिस को फोन करके बुलवा लिया गया था। सभी को अपना दायित्त्व समझते हुए स्वत: ही राष्ट्रीय पर्व में भागीदार बनना चाहिए।’
-भगवती प्रसाद कलाल, उपखण्ड अधिकारी, ब्यावर

‘मुझे तो अभी तक (सायं 5.34 बजे) मिटिंग की कोई सूचना नहीं मिली। कब है मिटिंग? (बताया कि मिटिंग तो हो गई) अगर जानकारी मिलती जो जरूर जाती।’
-बबीता चौहान, सभापति, नगर परिषद, ब्यावर

‘मुझे सवा तीन बजे की सूचना थी। ठीक से याद नहीं, लेकिन 3.10 या 3.15 तक एसडीएम ऑफिस में साहब के पास पहुंच गया था। उन्होंने कहा रूको अभी चलते हैं।’
-मुरारीलाल वर्मा, आयुक्त, नगर परिषद, ब्यावर

‘मुझे मिटिंग की पूर्व सूचना नहीं थी। मैं बाहर गया हुआ था, अभी आया ही हूं। दीवानजी ने बताया कि लेटर मिटिंग शुरू होने के बाद आया था। फिर बाबूलाल जी को भेज दिया था।’
-सत्येंद्र नेगी, थानाधिकारी, सिटी थाना, ब्यावर

‘सूचना थी लेकिन डीईओ ऑफिस का कोई आवश्यक काम था। बस अभी अजमेर से घर आकर बैठा हूं। मिटिंग में स्कूल से केएल बागड़ी व ताराचंद जांगिड़ को भेज दिया गया। आज मिटिंग में नहीं था तो कल एसडीएम साहब से मिलकर सांस्कृतिक कार्यक्रम की रूपरेखा बनाऊंगा।’
-शिवकुमार दुबे, कार्यक्रम समन्वयक, गणतंत्र दिवस

मेरी राय…

सुमित सारस्वत
सुमित सारस्वत

हम सभी को राष्ट्रीय पर्व में उत्साह से भाग लेना चाहिए। चाहे सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी, जनप्रतिनिधि हो या आम नागरिक, महिला हो या पुरूष, बाल हो या बुजुर्ग। यह देश हमारा है। हम सभी का कत्र्तव्य है कि इसके उत्सव-पर्वों में शामिल हों। साल के 365 दिन में से महज 2 दिन स्वाधीनता दिवस व गणतंत्र दिवस के दिन चंद घंटे राष्ट्रीय पर्व में शामिल होकर राष्ट्र प्रेम का परिचय दें। सरकारी कर्मचारी भी महज ड्यूटी निभाने की बजाय मन से भाग लें। निजी या सरकारी विद्यालय इस आयोजन को अपना समझकर भागीदारी निभाएं। प्रशासन के समक्ष पहल कर मिसाल पेश करें। प्रशासन भी खानापूर्ति करने की बजाय ऐसे आयोजनों से आमजन को जोडऩे का प्रयास करे।

error: Content is protected !!