अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने जिन समितियों का गठन किया हैं, उनमें जनप्रतिनिधि शामिल नहीं है। माना जा रहा है कि स्मार्ट सिटी के काम को राजनीति से दूर रखने के लिए ही सांसद, विधायक और पार्षदों को दूर रखा गया हैं।
केन्द्रीय नगरीय विकास मंत्रालय ने अजमेर के संभागीय आयुक्त को स्मार्ट सिटी की कार्य योजना कमेटी का अध्यक्ष मनोनीत किया है। इस संबंध में राज्य सरकार ने जो दिशा निर्देश दिए हैं, उसके अनुरूप शहर के आम लोगों से विचार विमर्श कर स्मार्ट सिटी की एक कार्य योजना तैयार की जानी है। स्मार्ट सिटी की कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से ही संभागीय आयुक्त भटनागर ने 22 उप कमेटियों का गठन किया हैं। इसमें डेढ़ सौ से भी ज्यादा अधिकारियों, तकनीकी विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि को शामिल किया गया हैं, लेकिन इन डेढ़ सौ में से एक भी निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है। यानि स्मार्टसिटी बनाने का काम अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ ही करेंगे। उप कमेटियों के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों से प्रस्ताव तैयार होंगे। कमेटियों के सदस्य आम लोगों के बीच जाकर पर्यावरण, स्वास्थ्य, टै्रफिक, पेयजल, सिवरेज, बिजली, वाई-फाई, शिक्षा, नवाचार, महिला सशक्तिकरण, हेरिटेज, खेल, पुलिस, उद्योग, लोक संस्कृति, स्वच्छता आदि के संबंध में राय जानेंगे। राय के आधार पर ही स्मार्ट सिटी में होने वाले कार्यों के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। संभागीय आयुक्त भटनागर ने जिस प्रकार कमेटियों की घोषणा की है वह अजमेर के जनप्रतिनिधियों को रास नहीं आ रही हैं। यदि स्मार्ट सिटी बनाने के काम में जनप्रतिनिधियों के राय को शामिल किया नहीं जाता है तो फिर तैयार प्रस्तावों पर जनप्रतिनिधि अपनी आपत्ति दर्ज करवाएंगे। अजमेर कि विकास में विधायकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती हैं।
इसी प्रकार नगर निगम के पार्षदों के माध्यम से भी वार्ड स्तर पर विकास के काम होते हैं। चूंकि स्मार्ट सिटी का दायरा अजमेर शहर के साथ-साथ पुष्कर और किशनगढ़ तक फैला हुआ है, इसलिए क्षेत्रीय सांसद और चार विधायकों की भूमिका खास मानी जा रही है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अजमेर के सांसद और चारों विधायक सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पहल पर अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है, तब सांसद और संभावित विधायकों को दूर कैसे रखा जा सकता है। इतना ही नहीं उप कमेटियों में भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी शामिल नहीं किया गया है। सत्तारुढ़ पार्टी के जनप्रतिनिधियों के लिए गठित कमेटियां किस प्रकार काम कर पाएगी। इस पर संशय है। फिलहाल, संभागीय आयुक्त भटनागर ने सिर्फ अपने नजरिए से उप कमेटियों का गठन किया है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511