अजमेर शहर….. सूफी संत हजरत ख्वाजा गरीब नवाज और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की नगरी के नाम से विश्व के मानचित्र में अंकित है। लेकिन भाजपा की सरकार ने तुष्टिकरण की निति को अपनाते हुए धीरे -धीरे इस इतिहास को मिटाने का काम शुरू कर दिया है। सरकार की इन नीतियों के साथ ही सवाल खड़े होने लगे है कि आखिर अजमेर के इस पौराणिक इतिहास को बदलने के पीछे आखिर कोन लोग जिम्मेदार है?…..और कौन इस बदलाव के खिलाफ आवाज उठाएगा !
वही सरकार के मंत्री और छूटभैया नेता इस मामले पर अपनी रोटिया सेखने में लगे है। इस बदलाव पर विपक्ष भी चुप्पी सादे बैठा है। सवाल यह भी उठता है कि आखिर बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही ऐतिहासिक इमारतों के नाम परिवर्तन पर आवाज किसी ने
क्यों नहीं उठायी?
विडम्बना है कि अजमेर के उन ऐतिहासिक स्थलो का नाम बदला गया है जिसका ताल्लुक अजमेर के एक इतिहास के तौर पर है। अजमेर के राजकीय महाविधालय का नाम बदल सम्राट पृथ्वीराज चौहान महाविधालय रख दिया जाता है। अकबर का किला जो की मशहूर है (म्यूजियम ) के नाम से उसे भी अब अजमेर के किले के नाम से जाना जाएगा !
दुखद है।
किशोर एएनआई