यूं तो अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पवित्र मजार पर अनेक देशों के शासनाध्यक्ष सूफी परम्परा के अनुरुप चादर पेश करते रहे हैं। लेकिन यह पहला अवसर है कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश माने जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने भी चादर भेजी है। इन दिनों अजमेर में ख्वाजा साहब के 803वें सालाना उर्स की रस्में चल रही है। 15 अप्रैल को उर्स का ध्वजारोहण होने के बाद चांद दिखने पर 21 अप्रैल से छह दिवसीय उर्स शुरू हो जाएगा। उर्स के दौरान ही शासनाध्यक्षों की ओर से भेजी जाने वाली चादरें चढ़ाई जाती है। इस बार के उर्स का महत्व यूं भी बढ़ गया है कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी ख्वाजा साहब की शरण में आ गया है। ओबामा ने चादर के साथ जो संदेश भेजा है उसमें कहा है कि ख्वाजा साहब ने सूफीवाद का जो संदेश दिया है उसी के माध्यम से दुनिया में आतंकवाद को समाप्त किया जा सकता है। ओबामा ने आज सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद की मानी है। ओबामा ने स्वीकार किया कि अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह एक ऐसा स्थान है जहां से पूरी दुनिया में साम्प्रदायिक सद्भावना और अमन चैन का संदेश जाता है। ओबामा द्वारा भेजी गई चादर को 20 अप्रैल को भारत स्थित अमेरिकी दूतावास के अधिकारी सूफी परम्परा के अनुरुप पेश करेंगे।
ओबामा और अजमेर
बराक ओबामा भले ही सात समुन्द्र पार अमेरिका में बैठे हों लेकिन अब उनकी नजर में भारत का अजमेर शहर खास महत्व रखता है। अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का बीड़ा भी ओबामा ने उठा रखा है। ओबामा का अजमेर से इसलिए भी लगाव है कि उनके राजनैतिक गुरु मार्टिन लूथर किंग भी अजमेर आए थे। लूथर तब सर्वोदय नेता विनोबा भावे से मिलने के लिए आए थे। ओबामा ने अपनी जो जीवनी लिखी है उसमें मार्टिन लूथर की अजमेर यात्रा का भी जिक्र है।
मुस्लिम धर्म से ताल्लुक
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का मुस्लिम धर्म से भी ताल्लुक रहा है। ओबामा ने अपनी जीवन में लिखा है कि जब उन्हें अपनी जन्म देने वाली मां और पिता बराक ओबामा अनदुनहम के साथ जर्काता में रहना पड़ा तब पब्लिक स्कूल में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी विषय के साथ-साथ कुरान का भी अध्ययन करने का अवसर मिला। ओबामा ने कहा कि मैंने स्कूल में कोई जेहाद की शिक्षा नहीं ली। मुझे मुस्लिम धर्म को अच्छी तरह समझने का अवसर मिला था।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511